Tuesday, December 3, 2024
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सितंबर माहः राजभाषा हिन्दी का माह और ओड़िशा में हिन्दी की वास्तविक स्थिति

पहली सितंबर,2024 से पूरे भारत के केन्द्र सरकार के सभी विभागों तथा सभी उपक्रमों में हिन्दी माह के रुप में मनाया जा रहा है। कहीं पर हिन्दी दिवस(14 सितंबर),कहीं पर हिन्दी सप्ताह,कहीं पर हिन्दी पखवाड़ा तथा कहीं-कहीं पर इसे राजभाषा हिन्दी माह के रुप में मनाया जा रहा है।ओड़िशा में हिन्दी की वास्तविक स्थिति संतोषजनक मानी जा सकती है जहां के भुवनेश्वर स्थित राज्य विधानसभा सचिवालय में 1986-87 में हिन्दी दिवस मनाया गया था।

गौरतलब है कि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य में कुल लगभग 400 तीर्थस्थलों का वर्णन है । महाभारत के आदिपर्व में इन्द्रद्युम्न तीर्थ का भी वर्णन है जिसका सीधा संबंध ओड़िशा प्रदेश के जगन्नाथ धाम पुरी से है जहां पर आनेवाले अधिकांश भक्तों के विचार-विनिमय की मुख्य भाषा जनसम्पर्क के रुप में हिन्दी ही थी। यहीं नहीं 12वीं शताब्दी से लेकर आजतक अगर ओड़िया भाषा के उद्भव और विकास पर विचार किया जाय तो निश्चित रुप से ओड़िशा में जनसम्पर्क की एक लोकप्रिय भाषा के रुप में हिन्दी का विकास हो चुका था जिसको और अधिक विकसित किए ओड़िशा के प्रमुख व्यापारी केन्द्रों(शहरों) के अप्रावासी हिन्दी व्यापारी,कारोबारी और छोटे-बड़े उद्योगपति आदि।

खुशी की बात यह है कि अर्द्ध मागधी हिन्दी भाषा परिवार के तहत मैथिली,बंगाली और ओड़िया आदि भाषाएं आरंभ से ही शामिल हैं। सच तो यह है कि भारतीय संघ की सभी राजभाषाएं आपस में एक-दूसरे के लिए बहन के समान हैं। प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को पुरी धाम में अनुष्ठित होनेवाली भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में आनेवाले लाखों श्रद्धालु जगन्नाथ भक्तों में हिन्दीभाषी भक्तों की संख्या लगभग 70 प्रतिशत रहती है।1200 से लेकर 1500 वर्ष पूर्व भी भारतीय आर्यभाषा परिवार के पूर्वी मागधी के अंतर्गत ओड़िया भाषा शामिल है।

यही नहीं, हाल ही में(5सितंबर,2023 को) नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन,2023 के भारत मण्डपम के मुख्य आकर्षण का केन्द्र भी कोणार्क के सूर्यमंदिर का पहिया रहा जो विश्व में कालचक्र का प्रतीक है। 18सितंबर,2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सबसे बडी महात्वाकांक्षी योजनाः विश्वकर्मा योजना को लागू कर तथा ओडिशा के विश्वकर्माओं को सम्मानित यह सिद्ध कर दिया कि ओडिशा की कलाएं तो उत्कृष्ट हैं ही साथ ही साथ ओड़िशा में हिन्दी की स्थिति भी अच्छी है।

विगत अगस्त 28,2024 को स्थानीय स्वस्ति प्रीमियम होटल,जयदेव विहार में नेशनल डेली सन्मार्ग,भुवनेश्वर ने अपना हिन्दी पुरस्कार सम्मेलन आयोजित कर यह सिद्ध कर दिया कि ओड़िशा में हिन्दी को जन-जन तक पहुंचाने में हिन्दी समाचारपत्रों की भी अहम् भूमिका है।

गौरतलब है कि खडीबोली हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र मात्र 15 साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ जगन्नाथ पुरी आकर भगवान जगन्नाथ जी से खडी बोली हिन्दी में लेखन का दिव्य आशीर्वाद लिए।हिन्दी की अमर रचना श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास भी पुरी धाम आकर चतुर्धा देवविग्रहों में अपने धनुषधारी श्रीराम आदि के दिव्य दर्शन किए।कबीरदास भी यहां पर आये। मीराबाई भी यहां पर आईं।गुरुनानकदेव जी यहां पर आये। चैतन्य महाप्रभु भी यहां पर आये।हिन्दी वैयाकरण कामता प्रसाद गुरु ने भी भगवान जगन्नाथ के दिव्य दर्शनकर हिन्दी के महान वैकारण बने।

यही नहीं,ओड़िशा के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत तथा विदेशों में आज हिन्दी दिवस,हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाडा तथा हिन्दी माह मनाने का औचित्य इसलिए भी है कि भारत में लगभग 850 भाषाएं बोली जातीं हैं जिनमें हिन्दी जनसम्पर्क की सबसे सशक्त तथा सबसे लोकप्रिय भाषा है।गौरतलब है कि 1918 में महात्मागांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही थी क्योंकि उनके अनुसार हिन्दी भारतीय जनमानस की भाषा है।इसीलिए जब भारत का लिखित संविधान तैयार हुआ तथा उसे जब 26 नवंबर,1949 को स्वीकार किया गया तो संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में भारतीय संघ की राजभाषा के रुप में हिन्दी को स्वीकार कर लिया गया जिसकी लिपि देवनागरी रखी गई जबकि अंकों को अंग्रेजी रुप में मान्यता प्रदान की गई।14 सितंबर,1949 को संविधानसभा ने यह भी निर्णय लिया कि हिन्दी एक तरफ जहां भारतीय संघ की राजभाषा होगी वहीं केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिन्दी ही होगी।हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए इसे 14 सितंबर,1953 को पूरे भारत में हिन्दी दिवस के रुप में सबसे पहले मनाया गया।

हिन्दी साहित्यकारों में काका कालेलकर,हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा सेठ गोविंद दास आदि ने इसका पूर्ण समर्थन किया। हिन्दी भाषा प्रेम की भाषा है।इसे भारत के लगभग 77 प्रतिशत लोग समझते और बोलते हैं।यह भारत की अस्मिता,गौरव और गरिमा की पहचान है।इस भाषा में जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है।यह भारत के अनेक प्रदेशों की मातृभाषा तथा राजभाषा है।पूरे विश्व में बोली जानेवाली तीन प्रमुख भाषाओः अंग्रेजी और चीनी के बाद हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी की शब्द-सम्पदा सबसे अधिक समृद्ध है। हिन्दी में चार प्रकार के शब्द हैं-तत्सम,तत्भव,देशज तथा विदेशी शब्द।यह भी सत्य है कि जब तक हिन्दी का प्रयोग पूर्ण रूप से पूरे भारत में नहीं किया जाएगा तबतक हिन्दी भाषा का पूर्ण विकास असंभव नहीं होगा।

भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, अनुभागों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और उपक्रमों में राजभाषा हिन्दी का प्रयोग तो हो ही रहा है फिर भी भारत सरकार के सभी केन्द्रीय विद्यालयों,नवोदय विद्यालयों तथा सैनिक स्कूलों आदि में जबतक हिन्दी को वैकल्पिक विषय की जगह अनिवार्य विषय के रुप में प्रयोग नहीं होगा तबतक हिन्दी का पूर्ण विकास कदापि संभव नहीं है।रही बात ओड़िशा में हिन्दी की स्थिति की तो यहां पर तेजी के साथ ओड़िया से हिन्दी अनुवाद क्रांति विकसित हो चुकी है साथ ही साथ ओड़िया के अनेक लेखक अपनी मूल रचनाएं भी खड़ी बोली हिन्दी में पिछले लगभग दो  दशकों से आरंभ कर दिए हैं जो ओड़िशा में हिन्दी के भविष्य को समुज्ज्वल बना रहे हैं।

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