Thursday, March 27, 2025
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अनुवाद: स्वरूप,संवेदना और सन्देश

कुछेक दशकों से ‘अनुवाद’ का एक विषय के रूप में महत्व बढ़ गया है।कई विश्वविद्यालयों और संस्थाओं में अनुवाद वहां के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है और स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाएं भी होने लगी हैं।  मीडिया,अनुवाद-ब्यूरो,संवाद-लेखन, सरकारी-कार्यालयों  आदि में कुशल अनुवादकों की ज़रूरत बढ़ने लगी है।इसके अलावा वर्तमान समय में, जब वैश्वीकरण के चलते विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद का महत्व बढ़ गया है, अनुवाद का उपयोग न केवल शैक्षणिक, बल्कि व्यावसायिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी अपरिहार्य बन गया है। छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए, अनुवाद अध्ययन का एक अनिवार्य अंग बन गया है, क्योंकि यह उन्हें विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध साहित्य, शोध-पत्रों और अन्य शैक्षणिक सामग्रियों तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करता है।
यह परीक्षा की तैयारी में मददगार होता है और ज्ञान के विविध पहलुओं को समझने में सहायता करता है।इसके अलावा अनुवाद का महत्व केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। यह साहित्य, व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्य कई क्षेत्रों में भी समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुवाद के बिना, विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संपर्क स्थापित करना लगभग असंभव हो जाता। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुवाद, भाषा और संस्कृति के बीच सेतु का कार्य करता है।

मैं ने अनुवाद के क्षेत्र में बहुत काम किया है।देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने इस कार्य के लिए मुझे सम्मानित-पुरस्कृत भी किया है। अपने दीर्घकालीन अनुभवों को साक्षी बनाकर अनुवादकला पर एक समीक्षत्मक/विवेचनात्मक पुस्तक लिखने का मन बहुत दिनों से था। 2024 में काम शुरू किया और आज 2025 के पहले ही दिन इस श्रमसाध्य पुस्तक के आवरण-पृष्ठ को देख अपार आनंद की अनुभूति हो रही है। प्रकाशक महोदय ने दो-तीन डिज़ाइन भेजे जिनमें से मुझे यह नयनाभिराम डिज़ाइन अच्छा लगा।प्रस्तुत पुस्तक अनुवाद की परिभाषा से लेकर उसके व्यावहारिक उपयोग और अनुवाद करने के नियमों तक के सभी ज़रूरी पहलुओं पर प्रकाश डालती है।अनुवाद-प्रेमियों,विद्यार्थियों,शोध-छात्रों,अध्यापकों आदि के लिए प्रस्तुत पुस्तक समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी। पुस्तक शीघ्र छपकर आ रही है और अमेज़न, फ्लिपकार्ट आदि से उपलब्ध होगी।

एक निवेदन

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