मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के फाउंडर और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव से पूछा कि जब आपने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं।
दरअसल, कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ मां माथी (42 साल) और लता कामराज उर्फ मां मायू (39 साल) को ईशा योग सेंटर में कैद में रखा गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है।
जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगणनम की बेंच ने पुलिस को मामले की जांच करने और ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी मामलों की एक लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया है।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव पर कुछ विवाद और मुकदमे समय-समय पर चर्चा में रहे हैं, जिनमें उनकी पत्नी और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे प्रमुख हैं।
उनकी पत्नी विजयकुमारी की मृत्यु:
सद्गुरु जग्गी वासुदेव की पत्नी विजयकुमारी (विज्जी के नाम से भी जानी जाती थीं) की मृत्यु 1997 में हुई थी। सद्गुरु के अनुसार, उनकी पत्नी ने अपनी इच्छा से समाधि ली थी, जो योगियों द्वारा आत्म-साक्षात्कार की एक प्रक्रिया मानी जाती है। उन्होंने कहा कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव था, जिसमें उन्होंने अपने शरीर को जान-बूझकर त्याग दिया।
हालांकि, कुछ लोगों ने विजयकुमारी की मृत्यु को लेकर संदेह जताया और इस मामले की पुलिस में शिकायत भी की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक नहीं थी। लेकिन पुलिस जांच में कोई ठोस सबूत नहीं मिला, और मामला बंद कर दिया गया। इसके बाद से यह मुद्दा सार्वजनिक रूप से ज्यादा चर्चा में नहीं रहा।
पर्यावरण से जुड़े विवाद:
ईशा फाउंडेशन द्वारा कोयंबटूर में बनाए गए “ध्यानलिंगम” और ईशा योग केंद्र से जुड़े भूमि अधिग्रहण को लेकर भी कुछ विवाद उठे हैं। कुछ आरोपों के अनुसार, फाउंडेशन ने अनधिकृत रूप से वन भूमि पर निर्माण कार्य किया है। हालाँकि, फाउंडेशन ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि उनके सभी प्रोजेक्ट कानूनी रूप से स्वीकृत हैं।
सद्गुरु द्वारा शुरू की गई “रैली फॉर रिवर्स” पहल, जो नदियों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी, को भी समर्थन के साथ-साथ आलोचना का सामना करना पड़ा। कुछ पर्यावरणविदों ने इसे एक शो के रूप में देखा और इसकी वास्तविक प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव से जुड़े ये विवाद और मुकदमे उनके सार्वजनिक जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन इनकी जांच और परिणामों में कोई ठोस आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। उनकी पत्नी की मृत्यु और पर्यावरणीय परियोजनाओं को लेकर विवादों के बावजूद, उनके समर्थक उन्हें एक प्रभावशाली आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक मानते हैं, जबकि कुछ आलोचकों ने उनके कार्यों और दावों पर सवाल उठाए हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक प्रसिद्ध भारतीय योगी, आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं। उनका जन्म 3 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ था। सद्गुरु ने अपने जीवन को ध्यान और आंतरिक अनुभवों के माध्यम से मानवता के कल्याण के लिए समर्पित किया है।
जीवन और करियर:
सद्गुरु की आध्यात्मिक यात्रा तब शुरू हुई जब 25 साल की उम्र में उन्होंने एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने योग और ध्यान सिखाने का कार्य शुरू किया। 1992 में उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है और दुनिया भर में योग, ध्यान और आध्यात्मिकता से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित करता है।
ईशा फाउंडेशन:
ईशा फाउंडेशन का मुख्य केंद्र तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित है। यहाँ योग, ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के लिए विभिन्न कार्यक्रम और कार्यशालाएँ संचालित होती हैं। ईशा फाउंडेशन पर्यावरण, शिक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए भी कई परियोजनाओं पर काम करता है, जिनमें “रैली फॉर रिवर्स” और “प्रोजेक्ट ग्रीनहैंड्स” शामिल हैं, जो पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित हैं।
सद्गुरु की शिक्षाएं:
सद्गुरु का मानना है कि योग और ध्यान जीवन को आनंदपूर्ण और अर्थपूर्ण बना सकते हैं। उनकी शिक्षाओं में आंतरिक शांति, आत्म-जागरूकता और संतुलन को प्रमुखता दी जाती है। वह विज्ञान और आध्यात्मिकता के संगम पर जोर देते हैं और विभिन्न देशों में अपनी शिक्षाएं फैलाने के लिए जाने जाते हैं। वे सामाजिक और वैश्विक मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं।
किताबें और अन्य योगदान:
सद्गुरु ने कई किताबें भी लिखी हैं, जैसे “इनर इंजीनियरिंग,” “डेथ: एन इनसाइड स्टोरी,” और “मिस्टिक्स मस्कुलरिटी,” जिनमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और आध्यात्मिक ज्ञान को साझा किया है। इसके अलावा, सद्गुरु सोशल मीडिया और यूट्यूब पर भी काफी सक्रिय रहते हैं, जहाँ वे लाखों लोगों तक अपनी बातें पहुंचाते हैं।
सद्गुरु की विशेषता यह है कि वे प्राचीन योग और ध्यान को आधुनिक जीवनशैली के साथ जोड़कर एक समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन जीने के तरीके सिखाते हैं।