स्विट्जरलैंड में समुदाय विशेष मात्र 2% है और पढ़ा लिखा भी है फिर भी तार्किक सोच रखने वाले सलवान मोमिका की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी।
भारत में तो कन्वर्टेड हिंदू 20% हैं और ज्यादातर मदरसे में पढ़े हैं इसलिए 20 साल बाद गृहयुद्ध, नरसंहार, हत्या, बलात्कार और विभाजन निश्चित है।
लव जिहाद, लैंड जिहाद, ड्रग जिहाद, घुसपैठ जिहाद, धर्मांतरण जिहाद, जनसंख्या जिहाद के कारण भारत की डेमोग्राफी बहुत तेजी से बदल रही है।
यदि कठोर कानून तत्काल नहीं बना तो 20 वर्ष बाद या तो कन्वर्ट होना पड़ेगा अन्यथा यश चोपड़ा, प्रेम चोपड़ा, सुनील दत्त, देवानंद, राज कपूर, राजेन्द्र कुमार, गुलजार, मनमोहन सिंह, खुशवंत सिंह, मिल्खा सिंह, इंद्र कुमार गुजराल, राम जेठमलानी और आडवाणी जी की तरह मकान, दुकान, खेत, खलिहान, उद्योग, व्यापार छोड़कर भागना होगा
यदि विकास करने से देश सुरक्षित होता तो विकास के मामले में फ्रांस और स्विट्जरलैंड हमसे बहुत आगे है
1805 में अफ़गानिस्तान के प्रधानमंत्री पंडित नंदराम टिक्कू ने बहुत विकास किया था और 10 साल बाद उन्हें खदेड़ दिया गया और आज वहां एक भी हिंदू जैन बौद्ध सिख नहीं बचा है
यदि मठ-मंदिर गुरुद्वारा बनाने से हिंदू जैन बौद्ध सिख सुरक्षित होते तो अफ़गानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश में हज़ारों मठ-मंदिर और गुरुद्वारे थे।
यदि गौशाला, धर्मशाला, गुरुकुल बनाने से हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख सुरक्षित होते तो अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान बांग्लादेश में भी हज़ारों गौशाला, धर्मशाला और गुरुकुल थे।
यदि कथा, पूजा, दान, हवन, ध्यान, साधना करने से हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख सुरक्षित होते तो अफ़गानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश में हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख का नामोनिशान नहीं मिटता
100 वर्ष पहले विश्व की सबसे बड़ी भगवान बुद्ध की मूर्ति अफ़गानिस्तान में थी लेकिन अब वहाँ न मूर्ति बची है और न बौद्ध।
१०० वर्ष पहले विश्व का सबसे बड़ा जैन मंदिर मुल्तान में था लेकिन अब वहाँ मदरसा चलता है और न तो भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति है और न तो कोई जैन।
१०० वर्ष पहले विश्व का सबसे बड़ा शिव मंदिर गांधार (अफ़गानिस्तान) में था लेकिन अब उसका नामोनिशान नहीं है। न शिवलिंग बचा है और न शिवभक्त।
१०० वर्ष पहले विश्व का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर कैकेय (पाकिस्तान) में था लेकिन अब उसका नामोनिशान नहीं है। न भगवान विष्णु की मूर्ति बची और न विष्णु भक्त।
1971 में बांग्लादेश को बनवाने के लिए हमारे 20 हज़ार सैनिकों ने बलिदान दिया था लेकिन अब वहां हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख को अपना मकान, दुकान, खेत, खलिहान, उद्योग, व्यापार छोड़कर भागना पड़ रहा है
1990 में कश्मीर से हिंदुओं को अपना मकान, दुकान, खेत, खलिहान, उद्योग, व्यापार छोड़कर भागना पड़ा और आजतक वापस नहीं मिला।
वोटजीवी, नोटजीवी और सत्ताजीवी नेता प्रतिदिन आरोप-प्रत्यारोप, तू-तू-मैं-मैं, नूरा-कुश्ती, बतोलेबाजी, भाषणबाजी और तू चोर मैं सिपाही करते हैं लेकिन आवश्यक मुद्दों पर संसद में चर्चा नहीं करते हैं।
गांधीवाद, लोहियावाद, अंबेडकरवाद, साम्यवाद, समाजवाद आपको भ्रमित करने वाले जुमले हैं। नेताओं का असली लक्ष्य है सत्ता और सत्ता से पैसा।
यदि अपना मकान, दुकान, खेत, खलिहान, उद्योग, व्यापार और त्योहार बचाना चाहते हैं तो दल गुलामी छोड़िये और अपने सांसद से मिलकर लव जिहाद, लैंड जिहाद, ड्रग जिहाद, घुसपैठ जिहाद, धर्मांतरण जिहाद और जनसंख्या जिहाद रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग करिए।
यदि अपने बच्चों को सुरक्षित देखना चाहते हैं तो नेताओं की जय जयकार करने की बजाय अपने सांसद से मिलकर समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, समान कर संहिता, समान व्यापार संहिता, समान जनसंख्या संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्याय संहिता, समान प्रशासनिक संहिता लागू करने की मांग कीजिये।
याद रखिए, आज के नेता 20 वर्ष बाद आपका मकान, दुकान, खेत, खलिहान, उद्योग, व्यापार और त्योहार बचाने नहीं आएंगे लेकिन आज का कठोर कानून आपका धन, धर्म और परिवार को बचाएगा।
रास्ता दो है- चीन जैसा कठोर कानून और इजरायल जैसा शक्ति का उपयोग।
मेरा तो मानना है कि यदि शक्त कानून नहीं आया तो 10 साल बाद ही इस देश का प्रधान मंत्री, राष्ट्रपती, जज सभी मुस्लिम समुदाय के लोग होगें।
क्योंकि हमारे बच्चे शादियां ही नहीं कर रहे, यदि शादी करते हैं तो बच्चे नहीं कर रहे,तो जनसंख्या कैसे बढ़ेगी और उधर बच्चों की लाईन लग रही है तथा उन्हें मदरसा में ट्रेंड किया जा रहा है।आज हिन्दू 80 करोड़ हैं और मुस्लिम 30 करोड़ हैं,यह उल्टा हो जायेगा और हम अल्पसंख्यक हो जाएंगे। अभी से सावधान हो जाएं।