पञ्च प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा। खेद है की हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शुन्य हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने स्पष्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्वबलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे। अन्धविश्वास में अवतार की प्रतीक्षा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला। अपने आपको समर्थ बनाना ही एक मात्र विकल्प है। धर्मानुकूल व्यवहार, सदाचारी जीवन, अध्यात्मिकता, वेदादि शास्त्रों का ज्ञान जीवन को सफल बनाने के एकमात्र विकल्प हैं।
1. आज हमारे देश में सेक्युलरता के नाम पर, अल्पसंख्यक के नाम पर, तुष्टिकरण के नाम पर अवैध बांग्लादेशियों को बसाया जा रहा हैं।
2. हज सब्सिडी दी जा रही है, मदरसों को अनुदान और मौलवियों को मासिक खर्च दिया जा रहा हैं, आगे आरक्षण देने की तैयारी हैं।
3. वेद, दर्शन, गीता के स्थान पर क़ुरान और बाइबिल को आज के लिए धर्म ग्रन्थ बताया जा रहा हैं।
4. हमारे अनुसरणीय राम-कृष्ण के स्थान पर साईं बाबा, ग़रीब नवाज, मदर टेरेसा को बढ़ावा दिया जा रहा हैं।
5. ईसाईयों द्वारा हिन्दुओं के धर्मान्तरण को सही और उसका प्रतिरोध करने वालों को कट्टर बताया जाता रहा हैं।
6. गौरी-ग़जनी को महान और शिवाजी और प्रताप को भगोड़ा बताया जा रहा हैं।
7.1200 वर्षों के भयानक और निर्मम अत्याचारों कि अनदेखी कर बाबरी और गुजरात दंगों को चिल्ला चिल्ला कर भ्रमित किया जा रहा हैं।
8. हिन्दुओं के दाह संस्कार को प्रदुषण और जमीन में गाड़ने को सही ठहराया जा रहा हैं।
9. दीवाली-होली को प्रदुषण और बकर ईद को त्योहार बताया जा रहा हैं।
10. वन्दे मातरम, भारत माता की जय बोलने पर आपत्ति और कश्मीर में भारतीय सेना को बलात्कारी बताया जा रहा हैं।
11. विश्व इतिहास में किसी भी देश, पर हमला कर अत्याचार न करने वाली हिन्दू समाज को अत्याचारी और समस्ते विश्व में इस्लाम के नाम पर लड़कियों को गुलाम बनाकर बेचने वालों को शांतिप्रिय बताया जा रहा हैं।
12. संस्कृत भाषा को मृत और उसके स्थान पर उर्दू, अरबी, हिब्रू और जर्मन जैसी भाषाओँ को बढ़ावा दिया जा रहा हैं।
हमारे देश, हमारी आध्यात्मिकता, हमारी आस्था, हमारी श्रेष्ठता, हमारी विरासत, हमारी महानता, हमारे स्वर्णिम इतिहास सभी को मिटाने के लिए सुनियोजित षड़यंत्र चलाया जा रहा हैं। गुरु गोविन्द सिंह के पावन सन्देश- जातिवाद और कायरता का त्याग करने और संगठित होने मात्र से हिन्दू समाज का हित संभव हैं।
आईये गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के अवसर पर एक बार फिर से देश, धर्म और जाति की रक्षा का संकल्प ले।
जफरनामासे विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं. ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके —
1 – शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना —
बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर.
खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा. 2 -3.
उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है. और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है. जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं.
तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त.
वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा.
तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा, और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी. और अपना आलीशान महल तैयार किया.
न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात.
ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद.
तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं. मुझे उनपर यकीन नहीं है . इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा.
चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.
चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.
यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ. अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है. जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा.
मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.
न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.
कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.
अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.
मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है. तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं. जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा. अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए.
कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.
कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.
सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे. कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए. सब का एकसा अंजाम हुआ.
कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.
चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.
चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.
हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे. मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे. जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है.
इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.
उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.
यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले. यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बल बांका नहीं क़र सकते है. सदा ही धर्म की विजय होती है.
गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय — सिखों से उलझाने से कतराते हैं. वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते . इसलिए उनसे दूर ही रहो.
गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है
सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, बढे धर्म हिन्दू सकल भंड भागे
The Zafarnāma ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ, ظفرنامہ, > Declaration of Victory was a spiritual victory letter sent by Guru Gobind Singh Ji in 1705 to the Mughal Emperor of India, Aurangzeb after the Battle of Chamkaur. The letter is written in Persian verse.
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Source-Vedic Sikhism.