बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट पर बांगालादेश की जानी-मानी लेखिका तसलीमा नसरीन ने खूब खरी खरी सुनाई है। तस्लीमा नसरीन 1994 से निर्वासन झेल रहीं नसरीन ने कटाक्ष करते हुए कहा कि 1999 में जिन कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए हसीना ने उन्हें देश से निकाल फेंका था, आज वह उन्हीं की शिकार हो गईं. उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर लिखा कि 1999 में मैं आखिरी सांसें ले रही अपनी मां को देखने के लिए बांग्लादेश आई थीं, लेकिन इसके बाद इस्लामी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए मुझे कभी भी देश में दाखिल नहीं होने दिया गया.
तसलीमा नसरीन ने कहा कि शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. अपनी स्थिति के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. उन्होंने कट्टरपंथियों को पनपने दिया. उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने दिया. अब बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए. सेना को शासन नहीं करना चाहिए. राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता लानी चाहिए.”
तसलीमा नसरीन ने पोस्ट में कहा, इस्लामी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए हसीना ने मुझे 1999 में मेरे देश से बाहर निकाल दिया, जब मैं अपनी मां को उनके आखिरी वक्त पर देखने के लिए बांग्लादेश गई थी और मुझे फिर कभी देश में नहीं आने दिया. वही कट्टरपंथी आंदोलन में शामिल थे, जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया.” शेख हसीना कल एक सैन्य विमान से भारत आ गई और जहां से वो संभवतः शरण लेने के लिए लंदन जाएंगी. लेखिका ने उन पर इस्लामी कट्टरपंथियों और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को पनपने देने का आरोप लगाया.
तसलीमा नसरीन को 1994 में अपनी पुस्तक “लज्जा” को लेकर कट्टरपंथी संगठनों द्वारा मौत की धमकियों के चलते बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था. 1993 में लिखी गई इस पुस्तक पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन यह अन्य जगहों पर बेस्टसेलर बन गई. हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया उस समय प्रधानमंत्री थीं, लेखिका तब से निर्वासन की जिंदगी बिता रही हैं.