दो पाटों के बीच पीसता मरीज

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आज जो डॉक्टरों और मेडिकल स्टोरों की मनमानी चल रही है उस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है | आज लोगों का 72 प्रतिशत खर्चा दवाइयों पर हो रहा है पर सभी राजनीतिक दल इस विषय की और ध्यान नहीं दे रहे हैं | डॉक्टरों द्वारा महंगी दवाइयाँ लिखना एक आम बात हो गई हैं | फीस की तो बात ही मत पूछिये जो मांगे वो देना पड़ता है और रसीद के नाम पर तिरस्कार | बात सत्य है लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं | आप परेशान हैं दवा के लिए दुकानदार एक रूपये की दवा के दो रूपये मांगता है विरोध पर कहता है लेना है तो लो नहीं तो आगे बढ़ो । आप क्या करेंगे ? मैं दवा लेने गया तो केमिस्ट ने दवा नहीं दी कहता है पहले आपको डॉ से परचा बनवाना होगा । इसका मतलब ५ रूपये की दवा के लिए डॉक्टर को २ सौ या ४ सौ रूपये देने पड़ेंगे हर जगह लूट है कोई कण्ट्रोल नहीं है इंसानियत खत्म हो चुकी है | वक़्त पड़ने पर डॉक्टर ने जैसा कहाँ वैसा मानना पड़ता है | यह डॉक्टर भी जनता है और मरीज भी |
आपातकाल में जब मरीज डॉक्टर के यहा जाता है तब दोनों जानते है कि जीवन – मरण में थोड़ा ही वक़्त बचा है सो उस समय डॉक्टर को भगवान समझ कर सब कुछ उसके भरोसे पर छोड़ देना पड़ता है और इसी का लाभ लेते है डॉक्टर और मेडिकल स्टोर वाले |मैंने आज तक किसी डॉक्टर को जेरेनिक दवाई लिखते हुये नहीं देखा | मेरे घर के बाहर जो मेडिकल स्टोर है उसने तो जेरेनिक दवाइयाँ भी होती है इस बारे में उसने नहीं सुना | वसई के कोर्डिनल हॉस्पिटल के बाहर बोर्ड लगा है कि निम्न जेरेनिक दवाइयाँ यहाँ मिलती है पर डॉक्टर की चिट्ठी होना आवश्यक है | पर मैंने अपने 38 साल के खराब स्वास्थ्य के चलते कई डॉक्टरों के संपर्क में रहा पर किसी ने जेनेरिक दवाइयाँ नहीं लिख कर दी है | हर नया डॉक्टर मरीज़ को प्रयोगशाला समझ लेता है व महंगी से महंगी दवाइयाँ उस पर आजमाता है | इन सब बातों को सुन कर सरकार के कान पर झू भी नहीं रेंगती और मरीज , डॉक्टर और मेडिकल स्टोरों के दो पाटों के बीच पीस रहा है , जहां कोई साबित नहीं बचता |

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अशोक भाटिया , सेक्रेटरी वसई ईस्ट सीनियर सिटिज़न असोशिएशन ,
अ /001 वैंचर अपार्टमेंट, वसंत नगरी,
वसई पूर्व जिला पालघर-401208 फोन 9221232130