Wednesday, December 25, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृति"धरोहर को अपनाएं 2.0" कार्यक्रम के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम...

“धरोहर को अपनाएं 2.0” कार्यक्रम के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि – 31 दिसंबर, 2023

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एक प्रमुख सरकारी संस्था है जिसके संरक्षण में 3696 स्मारक हैं जो पूरे देश में फैले हुए हैं। ये स्मारक न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं बल्कि आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 4 सितंबर 2023 को “धरोहर को अपनाएं 2.0” कार्यक्रम शुरू किया था। यह कार्यक्रम अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंडिंग के माध्यम से निजी/सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों/ट्रस्टों/समितियों/गैर सरकारी संगठनों आदि के साथ सहयोग चाहता है जो ‘केंद्रीय संरक्षित स्मारकों और स्थलों पर सुविधाएं प्रदान करने, उन्हें विकसित करने और बनाए रखने का इरादा रखते हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा है कि “इस पहल में भागीदारी और योगदान के लिए विभिन्न निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं से रुचि प्राप्त हुई है।”

वर्तमान चरण के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2023 तय की गई है। संगठनों को एक विजन स्टेटमेंट, एक कार्य योजना, एक कार्यान्वयन योजना और समय सीमा से पहले चयनित स्मारक के लिए प्रस्तावित मूल्यवर्धन के साथ आशय पत्र जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

आवेदन दिशानिर्देशों सहित विस्तृत जानकारी समर्पित ऑनलाइन पोर्टल indianheritage.gov.in पर उपलब्ध है। कार्यक्रम के अंतर्गत ऐतिहासिक स्मारकों की एक विविध श्रृंखला गोद लेने के लिए उपलब्ध है और सूची पोर्टल पर उपलब्ध है।

किसी भी पूछताछ और सहायता के लिए इच्छुक संगठन adoptaheritage.asi[at]gov[dot]in पर संपर्क कर सकते हैं।

दीर्घकालिक कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) उद्देश्य 5 वर्ष की साझेदारी के साथ अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के उद्देश्यों को पूरा करें जिसे प्रदर्शन समीक्षा के आधार पर अगले 5 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

पर्यटन और आर्थिक गतिविधियाँ अच्छी तरह से बनाए रखे गए स्मारक अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे आसपास के क्षेत्र को आर्थिक लाभ होता है।

ब्रांड जागरूकता हर वर्ष लाखों पर्यटक, स्थानीय और विदेशी दोनों, इन स्मारकों को देखने आते हैं।

इसे भी पढ़ें – ये मानसिकता है डाकघर वालों की, इंसान को इंसान नहीं समझते

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार