भुवनेश्वर। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष 2025 में उत्तराखण्ड ऋषिकेश से पधारे सद्गुरु व्यासानंद जी महाराज जी ने व्यासपीठ से सद्गुरु, सद्ग्रंथ और सत्संग के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए नव वर्ष में इन्हें अपनाने का संदेश दिया। व्यासानंद का स्वागत अशोक पाण्डेय ने किया और स्पष्ट किया कि हमें अपने क्रोध रुपी दुश्मन का त्याग कर अपने विवेक रुपी सच्चे मित्र को अपनाना चाहिए। आयोजन पक्ष की ओर से सीए अनिल अग्रवाल तथा गिरधारी हलान ने व्यासपीठ पर स्वामी व्यासानंद जी का स्वागत किया।
व्यासानंद जी ने जीवन में आनंद को अपनाने का संदेश कुछ मिनट मौन रहकर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से आज बचने की आवश्यकता है। उन्होंने शाकाहारी भोजन के साथ अपने अपने विचारों को और सोच को सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है। भगवान उन्हीं की प्रार्थना सुनते हैं जो सद्गुणी होते हैं। उनके अनुसार कर्म हमारा जबतक मंगलमय नहीं होगा तब तक नव वर्ष मंगलमय हो कहना सार्थक नहीं होगा।आगत सभी ने प्रवचन का लाभ उठाया।