प्रख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की लघु कहानियों पर आधारित आख्यान थिएटर मुंबई की नाट्य प्रस्तुति का कुछ ऐसा मोहक असर रहा कि अंत में दर्शकों ने खड़े होकर देर तक तालियां बजाईं। 26 जनवरी 2025 यानी गणतंत्र दिवस की शाम को मुम्बई के केशव गोरे सभागार में इस कार्यक्रम का आयोजन केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव, चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई एवं आख्यान थिएटर मुंबई की ओर से किया गया। मराठी भाषी कलाकारों द्वारा हिंदी लेखक की इस नाट्य प्रस्तुति को देखने के लिए मराठी और हिंदी भाषा के दर्शक अच्छी तादाद में सभागार में मौजूद थे।
रंगकर्मी आनंद माड़ये की इस संकल्पना को उनके साथी कलाकारों- समीर देशपांडे, वैभवी परदेशी, संजीव धुरी, तन्वी धुरी और ख़ुद आनंद माड़ये ने साकार किया। अपनी इस प्रस्तुति में उन्होंने परसाई की 25 लघु कहानियों का चयन किया था। कहानियों के इस गुलदस्ते में आज़ादी की घास, अफ़सर कवि, चंदे की समिति, अश्लील पुस्तकें, मिठाई की मक्खी आदि रचनाएं शामिल थीं। कलाकारों के सशक्त अभिनय और दिलकश तालमेल ने इस प्रस्तुति को इतना रोचक और असरदार बना दिया कि 1 घंटा 20 मिनट तक दर्शक एक सम्मोहन में बंधे रहे। ठहाके भी लगे और ख़ूब तालियां भी बजीं।
रंगकर्मी आनंद माड़ये की इस संकल्पना को उनके साथी कलाकारों- समीर देशपांडे, वैभवी परदेशी, संजीव धुरी, तन्वी धुरी और ख़ुद आनंद माड़ये ने साकार किया। अपनी इस प्रस्तुति में उन्होंने परसाई की 25 लघु कहानियों का चयन किया था। कहानियों के इस गुलदस्ते में आज़ादी की घास, अफ़सर कवि, चंदे की समिति, अश्लील पुस्तकें, मिठाई की मक्खी आदि रचनाएं शामिल थीं। कलाकारों के सशक्त अभिनय और दिलकश तालमेल ने इस प्रस्तुति को इतना रोचक और असरदार बना दिया कि 1 घंटा 20 मिनट तक दर्शक एक सम्मोहन में बंधे रहे। ठहाके भी लगे और ख़ूब तालियां भी बजीं।
व्यंग्य कहानियों की इस नाट्यमय पाठ प्रस्तुति ने साबित किया कि एक ज़माने में परसाई ने समाज और राजनीति की जिन विसंगतियों को रेखांकित किया था वे आज भी प्रासंगिक हैं और हमारे आसपास मौजूद हैं। अंत में सुप्रसिद्ध कवि सुभाष काबरा ने इस नाट्य प्रस्तुति को बेमिसाल बताते हुए कलाकारों के आपसी तालमेल की मुक्त कंठ से सराहना की। चर्चित कथाकार अलका अग्रवाल ने इसे बेहद असरदार प्रस्तुति बताते हुए इसकी ख़ूबियों को रेखांकित किया और परसाई के साथ अपनी मुलाक़ात को याद किया।
#प्रभात_समीर_का_कहानी_का_पाठ
कार्यक्रम की शुरुआत में कथाकार प्रभात समीर ने हृदयस्पर्शी कहानी का पाठ किया। “इसको भी चाॅंद छूने दो” शीर्षक कहानी में बाल मनोभावों का बहुत सुंदर चित्रण था। हिमाचल प्रदेश से पधारे प्रतिष्ठित कथाकार गंगाराम राजी ने इस कहानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज कहानियों में गाली गलौज का ट्रेंड चल रहा है। प्रभात समीर ने इससे बचते हुए सुरुचिपूर्ण तरीके से अपने कथ्य को पेश किया यह बहुत अच्छी बात है। । इस कहानी की भाषा साफ़ सुथरी और बहुत अच्छी है। कुल मिलाकर यह रचनात्मकता की बहुत शानदार और यादगार शाम रही।
कार्यक्रम की शुरुआत में कथाकार प्रभात समीर ने हृदयस्पर्शी कहानी का पाठ किया। “इसको भी चाॅंद छूने दो” शीर्षक कहानी में बाल मनोभावों का बहुत सुंदर चित्रण था। हिमाचल प्रदेश से पधारे प्रतिष्ठित कथाकार गंगाराम राजी ने इस कहानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज कहानियों में गाली गलौज का ट्रेंड चल रहा है। प्रभात समीर ने इससे बचते हुए सुरुचिपूर्ण तरीके से अपने कथ्य को पेश किया यह बहुत अच्छी बात है। । इस कहानी की भाषा साफ़ सुथरी और बहुत अच्छी है। कुल मिलाकर यह रचनात्मकता की बहुत शानदार और यादगार शाम रही।