Saturday, November 23, 2024
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पुरातत्व विभाग में न जाने की कसक अब तक सालती है

कोटा निवासी डॉ.प्रभात कुमार सिंघल राजस्थान के उन सुधि लेखकों में हैं जिन्होंने न केवल प्रदेश वरन देश की कला,संस्कृति, पर्यटन,इतिहास,पुरातत्व जैसे विरल विधा पर भी गहनता से पुस्तकीय रूप में लिखा है उन्होंने स्नातकोत्तर इतिहास में करने के पश्चात राजस्थान विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जन संचार विषय में सनातकोत्तर डिप्लोमा कर राजपूताने में पुलिस प्रशासन (1857-1947) विषय पर इतिहास में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इनकी इतिहास, पुरातत्व, कला, संस्कृति और पर्यटन में विशेष रुचि है।

आरंभ में ये पुरातत्व विभाग में अपनी सेवा देना चाहते थे। इस बारे में इन्होंने राजस्थान पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक और भारतीय पुरातत्व विज्ञान के अधिष्ठाता डॉ.रत्न चंद्र अग्रवाल जी से भी मिल कर प्रयास किया था पर बात नहीं बन पाई और ये जनसंपर्क विभाग में आ गए। पुरातत्व विभाग में जाने का उनका मानस नवीन अनुसंधान करना था। उन्होंने इस विषय और अनुसंधान के प्रति हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने भारतीय इतिहासकारों और पुराविदों की स्तरीय पुस्तकों का संदर्भ युक्त सहित गूढ़ अध्ययन किया और प्राचीन धरोहरों को देखने में अपना समय दिया।

इसी के प्रतिफल स्वरूप इन्होंने अपनी ऐतिहासिक दृष्टि विकसित कर राजस्थान के कई संभागों के अनेक जिलों के इतिहास और उनके पर्यटन महत्व पर काफी कुछ लिखा। उनके इस लेखन से पुरातत्व स्थलों को पार्यटकीय महत्व प्राप्त हुआ और कई उपेक्षित और अनदेखे पुरातत्व स्थल लोगों के सामने आए।

अपनी अनुसंधान वृति को जारी रखते हुए इन्होंने अपने स्तर पर 16 विषयों में गहन शोध किया और सभी पर पुस्तकों का प्रकाशन हुआ। राजकीय सेवा में रहते हुए भी समय-समय पर देश के अनेक संग्रहालयों का अध्ययन किया और संग्रहालयों पर एक पुस्तक का प्रकाशन भी करवाया। उनकी 6 खंडों में आने वाली ’अद्भुत भारत’ पुस्तक में भारत के प्राचीन भारत,मध्य कालीन भारत, आधुनिक भारत सहित स्वतंत्रता के बाद अब तक के भारत के इतिहास की प्रामाणिक घटनाएं हैं।

विगत दिनों उनकी पुस्तक ’हाड़ोती की पुरातत्व संपदा एक अध्ययन’ का प्रकाशन हुआ। इसमें सर्वाधिक विशेष पहलू यह रहा कि हाड़ोती के चारों जिलों की पुरातत्व धरोहरों के इतिहास, पर्यटन वैभव के साथ उनकी सामाजिक-सांकृतिक विशेषता और वहां के पुरातत्व संग्रहालयों में प्रदर्शित विविध संपदा पर सचित्र जानकारी दी गई है। अभी तक इतिहास, पुरातत्व और पर्यटन पर उनके लिखे गए समस्त आलेख गूगल पर पूरी दुनिया के पाठकों के लिए उपलब्ध हैं।

इतिहास की दृष्टि से इन्होंने यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल भारत की धरोहरों पर हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में सह लेखकों के साथ पुस्तकें लिखी हैं। भारत की विश्व विरासत पुस्तक का जब इन्होंने लोकार्पण कराया तब जिला कलेक्टर उज्जवल राठौर ने पर्यटन लेखक का उपर्णां और मोतियों की माला पहना कर सम्मान किया। झालावाड़ के सामर्थ्य सेवा संस्थान द्वारा ’पर्यटन लेखक’ के राष्ट्रीय सम्मान से इन्हें सम्मानित किया गया। कोटा पुरातत्व और संग्रहालय विभाग ने इन्हें हाड़ोती की पुरातत्व संपदा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के लिए विश्व संग्रहालय दिवस-2023 पर प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

ये बानगी डॉ.सिंघल के इतिहास, पुरातत्व और पर्यटन लेखन के प्रति निष्ठा का ऐसा प्रमाण है जो राजस्थान के सांस्कृतिक जगत में एक विशिष्ठ देन है।
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