पण्डित प्रेमशंकर मिश्र का जन्म वैसाख शुक्ल 5 सवत 1982 वि० तदनुसार 27 जुलाई 1927 को बस्ती के सन्निकट मिश्रौलिया नामक ग्राम में हुआ। इनके पिता महाकवि बलराम मिश्र “द्विजेश” डा मुनि लाल उपाध्याय ‘सरस’ के शोध प्रबंध बस्ती के छंदकार के द्वितोय और तृतीय चरण के उत्कृष्ट कवि थे। प्रेम शंकर जी का पालन-पोषण बड़े ही शान शौकत के वातावरण में हुआ क्योंकि इनके पिता द्विजेश जी बड़े ही रईसी परम्परा के छन्दकार थे। प्रेमशंकर जी की साहित्यिक शिक्षा-दीक्षा उनके पिता के संरक्षण में हुई थी। पूर्वांचलाकार लिखता है-
“प्रेमशंकर मिश्र महाकवि द्विजेश के योग्य पुत्र बस्ती के साहित्यिक पुनरूत्थान में सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रेरक काव्य की अनेक विधाओं और वादों के कवि, साहित्यिक आयोजनों के कर्णधार और प्रसिद्ध द्विजेश परिषद के संस्थापक हैं।
पिता की कलात्मक रुचि के कारण वाल्य काल से ही काव्य कला का जो संस्कार वना वह बराबर विकसित होता गया। विद्यार्थी जीवन में पिता के निर्देशन में वे ब्रज भाषा के छंद लिखने लगे थे । उनकी मृत्यु 22 जनवरी 2015 को दिल्ली में हुई थी।
– ( पूर्वांचला पृष्ठ 136)
मिश्र जी की धर्मपत्नी श्रीमती राजेश्वरी देवी थी जो मिश्र जी के कवि मंडली की बड़ी ही तन्मयता से सेवा सुश्रुषा करती रहती थीं। बाद में इनके नाम से इनके उत्तर जीवियों ने कला केंद्र स्थापित कर आम जन मानस की सेवा और प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।
नवोदितों के प्रेरणाश्रोत:-
घनाक्षरी, सवैया छन्दो के साथ नवगीतो को लिखने के लिए परवर्ती नव-युवक गीतकारों नौर छन्दकारो के लिए प्रेमशंकर जी प्रेरणाश्रोत बने हुए हैं। कवि सम्मेलनों के अतिरिक्त रेडियो स्टेशन पर उनके काव्य स्वर प्राय. गूंजते रहते है। दस वर्ष पूर्व प्राय: मासिक गोष्ठियां कराना, नये कवियों को प्रोत्साहित करना द्विजेश परिषद के माध्यम से कवियों को मंचीय कवियों से सानिध्य प्रदान कराना आदि कवि मिश्र जी ने अपने ऊपर ले रखा था। चतुर्थ चरण के छन्दकारों में इनका प्रतिष्ठित स्थान रहा है।
पंडित प्रेमशंकर मिश्र की लेखन विधाएं
1.निबन्ध
2.संस्मरण
3. कविता संग्रह: “अपने शहर में”
कविताएँ :- प्रेम शंकर मिश्र जी की 42 कविताओं का एक सेट हिंदी समय डॉट कॉम पर प्रकाशित किया गया है। इनके शीर्षक इस प्रकार हैं –
अनुभूति,आँतों का दर्द,उठो सुहागिन,
एक पुरानी कविता,एक स्वर, कर्ता का सुख,किसलिए, खबर है, घुटनों घुटनो धूप, जमील हुई जमीन से, जागो हे कविकांत, ज़ीने की ईटें,जीवन वीणा, तुमसे नहीं, तुम्हारे शहर में, तुम्हारा बादल,दर्पण-एक चित्र ,धुँधलाई किरन, धूप चढ़ी ,नववर्ष एक प्रतिक्रिया, नेह का एतबार, नील गगन का चाँद, पंद्रह अगस्त,पुरातन प्रश्न, पिया की पाती, बंजारा टूटा, गिलास और मसला हुआ गुलाब, बरसात, बात कुछ और है, बापू और फागूराम,बोझ, भूख : वक्त की आवाज, मैं उन्मुक्त गगन का पंथी,मत छितराओ,मौसम का दौरा, युद्ध विराम, यह गली,रोशनी की आवाज,लो फिर बादल,स्थितिबोध, समस्या का समाधान आदि प्रमुख कविताएं हैं और आखिरी कविता का नाम सस्पेंस है।
प्रेमशकर जी की काव्य-यात्रा व्रजभाषा केन्द्रों से शुरू हुई और आज वह गीतों और नवगीतो की भावभूमि पर पुष्पित और संवर्धित हो रही है। द्विजेश परिषद की स्थापना से प्रेम शंकर जी बस्नी के छन्द- कारों के मार्गदर्शन के फिर सदैव प्रयत्न शील रहे। आज भी वे इस प्रयास मे रहते हैं कि बस्ती का अपना गौरव शाली मच सामादृत होना चाहिए। इसके लिए द्विजेश परिषद के तत्वावधान में कई बार प्रान्तीय और राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन मिश्र जी ने कराया ।
3. सितार वादक, श्री गंगेश्वर मिश्र
पण्डित बलराम प्रसाद मिश्र ‘द्विजेश’ जी के बड़े पुत्र उमाशंकर मिश्र के एकमात्र पुत्र का नाम था गंगेश्वर मिश्र। द्विजेश जी से कवि का उत्तराधिकार तो प्रेम शंकर मिश्र जी ने प्राप्त किया था किंतु द्विजेश जी की संगीत-साधना का दाय गंगेश्वर जी ने सँभाला था और वे बस्ती के अच्छे सितार-वादक थे। जिससे कुछ ने शिक्षा भी प्राप्त की थी।
कलानिधि नाथ त्रिपाठी ,चेतिया तिवारी
द्विजेश जी के परिवार में श्री मोहने प्रसाद मिश्र का नाम भी मिलता है जिनके दामाद श्री कलानिधि नाथ त्रिपाठी बाँसी रिसासत के अंतर्गत चेतिया के ज़मींदार थे। चेतिया राजवंश पूर्वांचल के वर्तमान सिद्धार्थनगर जिले की सरयूपारीण ब्राह्मणों की एक महत्वपूर्ण जमीदारी थी, इसके जमीदार बाबा विश्वंभर नाथ तिवारी जी थे, जोकि कड़क फैसले लेने के लिए जाने जाते थे।
4.अंबिकेश्वर मिश्र
श्री गंगेश्वर जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री अंबिकेश्वर मिश्र थे जो कक्षा 12 तक बस्ती में पढ़े थे। श्रीअंबिकेश्वर मिश्र , रतन सेन डिग्री कालेज,बांसी, सिद्धार्थनगर के पूर्व पुस्तकालय अध्यक्ष रहे तथा वर्तमान में
द्विजेश हिन्दी साहित्य परिषद बस्ती के सचिव हैं।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। (मोबाइल नंबर +91 8630778321;
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