हाथ से हाथ मिलता चल
आगे कदम बढ़ाता चल
सूरज चलता चंदा चलाता
तू भी आगे बढ़ता चल
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सब भारतवासी हैं भाई भाई
” आगे कदम बढ़ाता चल ” शीर्षक कविता है ” कोई गीत सुनाओ ना ” बाल काव्य संग्रह कृति से जिसे कोटा की बाल रचनाकार श्यामा शर्मा ने रचा है। कविता बच्चों को जीवन में सदा आगे बढ़ने और सामाजिक सद्भाव का प्रभावी संदेश देती नजर आती है और नैतिक ज्ञान का पाठ पढ़ाती है। आगे कविता में वे बताती है बच्चों मिल कर चलोगे तो सारा आकाश तुम्हारा है……………..
सब भारतवासी हैं भाई भाई
अब आकाश हमारा होगा
सारा नीर हमारा होगा
संकट में हम हाथ मिलाते
आगे हम सब बढ़ते जाते
अब विकास की गंगा लाना
जन जन को है ये बतलाना।।
कविताओं से बच्चों का मनोरंजन करते हुए उन्हें खेल – खेल में शिक्षप्रद ज्ञान प्रदान करना ही उनके लेखन का लक्ष्य भी प्रतीत होता है। संग्रह की चालीस बाल कविता बच्चों को कई जीवनोपयोगी संदेशों से जोड़ती हैं वहीं “भारत देश” कविता में वे देश की संस्कृति की बात भी समझती नजर आती हैं………….
भारत देश हमारा देश
सब देशों से न्यारा देश
तरह तरह के रंग यहाँ हैं
तरह तरह के ढंग यहाँ हैं
विविध रंग हैं विविध बोलियाँ
पोशाकों में दिखे टोलियां
अलग अलग है नृत्य यहाँ के
देश समर्पित भक्त यहीं के
गंगा यमुना नदी यहां हैं
पर्वत हिमगिरि विंध्य यहां है
इस माटी को नमन करे सब
भेद भाव को कम कर दें सब।।
” रंगला राजस्थान ” रचना बच्चों को राजस्थान से परिचय कराती नजर आती पर है………
माही डेम बांसवाड़ा में
कोटा में चंबल का पानी
आबू में हैं पर्वत ऊंचे
जयपुर में सजती है राजधानी
जैसलमेर सोने सा किला
बीकानेर का है रसगुल्ला
रणत भंवर के श्री गणेशा हैं
उदयपुर की झील पिछौला।
देश के महापुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से बच्चों को यूं परिचय कराती हैं ……..
गांधी जी के नेक विचार
सत्य अहिंसा का व्यवहार
कभी न बोले कड़वे बोल
मीठी मीठी मिश्री घोल
गांधी जी सबको भाये
भारत में आजादी लाये।
देशभक्ति की भावना जगती ” मैं सीमा पर जाऊंगी ” जोशीली रचना देखिए……..
मां मुझको बंदूक तो ला दो
मैं सीमा पर जाऊंगी
सीमा पर जा कर के माता
दुश्मन मार गिराऊंगी
हंसते हंसते देश पर मरना
मैया बड़ा काम होता है
लौट तिरंगे में जो आता
उसका बड़ा नाम होता है
जो सीमा पर बलिदान हुए हैं
माता उनको नमन मेरा
उनके त्याह बलिदान भाव से
देश देखता नया सवेरा।।
कविता संग्रह की इन कुछ बांगियों के साथ बच्चो को जैव विविधता का महत्व बताती ” जैव विविधता दिवस”, बढ़ते पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ लगाने को प्रेरित करती ” पृथ्वी दिवस “, बूंद बूंद से करों सिंचाई जल बचत का महत्व समझती ” जल संरक्षण”, गुरु और शिष्य का संबंध स्थापित करती ” शिक्षक दिवस”, ऐसा सुंदर देश बनाए स्वच्छता का पाठ दिखाती ” स्वच्छता अभियान “, बच्ची लड़की हो या महिला, मांग रही अपना हक पहला से नारी का महत्व समझती ” नारी दिवस” शिक्षा का महत्व बताती ” अक्षरज्ञान”, विज्ञान से जोड़ती ” कंप्यूटर दादा “, स्वास्थ्य का महत्व बताती ” योगासन” जैसी शिक्षाप्रद कविताएं संग्रह के मोती हैं। बाल काव्य के अन्य मोतियों में रंगीला राजस्थान, बंदर, बारिश,ओजोन परत, काले बादल, बस्ता,रेल, खरगोश, सूरज, नानी का घर, मोर,तितली आदि कविताएं हैं।
चालीस बाल कविताओं के मोतियों को गूंथ कर बनी मणिमाला की यह कृति बच्चों के लिए किसी सुंदर उपहार से कम नहीं है। नोएडा के दिविक रमेश, अल्मोड़ा के उदय किरोला और कोटा के भगवती प्रसाद गौतम ने कृति और कृतिकार पर अपने अभिमत में इसे बच्चों के लिए अभिन्दनीय पहल बताते हुए मनोरंजन के साथ उपयोगी बताया है। भूमिका में झालावाड़ के पूर्व प्राचार्य प्रो.कृष्ण बिहारी भारतीय ने लिखा ” विषय वैविध्य की दृष्टि से इतनी सुंदर बुक अब तक देखने को नहीं मिली। काव्य की सुंदर रचनाओं को बार – बार पढ़ने को मन करेगा।” अपनी बात में लेखिका अपने सृजन की कथा बताते हुए बाल साहित्य में आगे आने का श्रेय अपने पति जितेंद्र निर्मोही को देती है और कृति की विषय वस्तु पर रोशनी डालती हैं। रंगबिरंगा कवर पेज अत्यंत आकर्षक है। हर रचना के साथ उससे संबंधित सुंदर रेखाचित्र और छायाचित्र कृति को मोहक बनाते हैं।
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कोई गीत सुनाओ ना ( बालकव्य संग्रह)
लेखक : श्यामा शर्मा
समीक्षक :
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
( लेखक , पत्रकार और समीक्षक )