स्ट्रिंग सिद्धांत, ब्लैक होल और चंद्रमा पर रामानुजन के प्रभाव से संबंधित एक शोधपत्र रॉयल सोसायटी ने छापा है जिसने विज्ञान की दुनिया में हलचल मचा दी है। अभी तक रामानुजन को महान गणितज्ञ के रूप में जाना जाता था पर अब भौतिकी खासकर अंतरिक्ष भौतिकी के क्षेत्र में रामानुजन द्वारा खोजे गए सूत्र अध्ययन के नए द्वार खोल रहे हैं।
महान रामानुजन ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष में जब उनकी शारीरिक शक्तियां क्षीण हो गईं थी, कुछ खोजों पर काम कर रहे थे। लगभग डेढ़ सौ पेज में आड़े तिरछे लिख कर उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त की, उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने वे पेज मद्रास विश्वविद्यालय को दे दिए जहां से वे ट्रिनिटी कॉलेज की व्रेन लाइब्रेरी में रख दिए गए। यह समय 1922 के आस पास का था। 1976 में जॉर्ज एंड्रयूज को लाइब्रेरी में एक बक्सा दिखा, उसे जब उन्होंने खोला और पढ़ा तो वह नाचने लगे। सौ से अधिक पृष्ठों में छह सौ से अधिक गणितीय सूत्र बिना किसी प्रमाण के एक के बाद एक लिखे गए थे।
रामानुजन के नोट्स पर किताब लिखने वाले गणितज्ञ बर्नड्ट नोटबुक की खोज के बारे में कहते हैं कि इस ‘लॉस्ट नोटबुक’ की खोज ने गणितीय दुनिया में लगभग उतनी ही हलचल पैदा कर दी जितनी बीथोवेन की दसवीं सिम्फनी की खोज ने संगीत की दुनिया में पैदा की होगी।
मैंने इस संदर्भ में अपने एक वैज्ञानिक मित्र से बात की, उन्होंने बताया कि बाहर की यूनिवर्सिटीज में रामानुजन के प्रमेय सिद्ध करने वाले छात्र को सीधे पीएचडी की डिग्री अवार्ड होगी।
महान रामानुजन के लिए गणित के सूत्र बनाना भगवती की अर्चना में फूल अर्पित करने जैसा था। वह गणित के पर्याय थे, बचपन में अपने मित्र द्वारा गणित के बारे में पूछने पर उन्होंने अपनी कोहनी दिखाई। कोहनी की त्वचा एकदम काली और मोटी हो गई थी जो उनके द्वारा स्लेट पर लिखी गणनाओं को लिखने मिटाने से हुआ।
महान रामानुजन घोर आर्थिक संकट में रहे, स्वास्थ्य बिगड़ता गया मात्र 32 वर्ष की उम्र में मां भारती का लाल अनंत की खोज में अनंत में विलीन हो गया।
साभार- https://www.facebook.com/pkmkit से