भोपाल। सुभाष खेल मैदान, शक्ति नगर में दो दिवसीय मातृभाषा समारोह-2025 का आयोजन 01 एवं 02 फरवरी 2025 (शनिवार एवं रविवार) मातृभाषा मंच के द्वारा किया जा रहा है। आज शनिवार को कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पी. नरहरि (प्रमुख्य सचिव मध्य प्रदेश), सोमकांत जी उमलाकर (वरिष्ठ समाजसेवी) और मातृभाषा मंच के अध्यक्ष संतोष कुमार रावत रहें।
प्रमुख सचिव पी नरहरि ने मातृभाषा को प्रोत्साहित करने वाले इस कार्यक्रम में लिए मातृभाषा मंच का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में ही हम शुरुआती जीवन का ज्ञान अर्जित करते हैं। श्री नरहरि ने कहा कि हमें 3 भाषाएं अवश्य आनी चाहिए पहली मातृभाषा, दूसरी हिंदी और अन्य। मुझे भी तीन भाषाएं बोलनी आती हैं।
वरिष्ठ समाजसेवी सोमकांत यू जी ने अंतराष्ट्रीय स्तर के उदाहरण देकर मातृभाषा की महिमा को बताया। उन्होंने कहा कि रूस, इजरायल जैसे विकसित देश अपने मातृभाषा में ही सारे काम काज करते हैं। इसी प्रकार हमें भी राजभाषा हिंदी की महिमा समझनी होगी। हम एक कुशल संप्रेषक मातृभाषा सीखकर ही बनते हैं, मुझे लगता है मातृभाषा के माध्यम से हम कोई भी चीज आसानी से समझा सकते हैं। संतोष कुमार जी ने बताया कि पिछले 8 वर्षों से हर साल इस कार्यक्रम को कराया जा रहा है और प्रतिवर्ष इसमें लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। नमस्ते और योग दुनिया भर प्रसिद्ध हो गए जो मातृभाषा के आगे बढ़ने का प्रतीक है।
कार्यक्रम के पहले दिन शनिवार को 11 भाषाओं में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिसमें 180 लोगों ने भाग लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृत में सरस्वती वंदना के साथ हुई। जिसमें तेलुगू में कुचीपुड़ी और नाटेशा कोटुवम, मलयालम में थिरुवाथिरा काली, उड़िया में नृत्य, तमिल में दुर्गा स्तुति, नेपाली में सालैजो, पंजाबी, भोजपुरी और अन्य भाषाएं शामिल रहीं।
सांस्कृतिक छटा के साथ – साथ देवी अहिल्या बाई पर आधारित चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। लोगों ने भाषायी संस्कृतियों के पारंपरिक व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया था। इसमें तमिल, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी और तेलगु जैसे 17 भाषीय राज्यों के व्यंजन शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि मातृभाषा के महत्व को अंतर्राष्ट्रीय जगत द्वारा मान्यता प्रदान करते हुये संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया है। इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की जनक भारत की बाँग्ला भाषा है। समाज में मातृभाषा के व्यवहारिक प्रयोग को बढ़ाने, मातृभाषा के प्रयोग से परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत की धरोहर को सहेज कर उसे नवीन पीढ़ी को सौंपने की आवश्यकता है। मातृभाषा मंच, भोपाल शहर में इसी दिशा में विगत सात वर्षाें से सक्रिय संस्था है। पूर्व में किये गये सफल आयोजनों में भाषायी समाजों के कलाकारों ने सांस्कृतिक छटा बिखेरी थी और लोगों ने भाषायी संस्कृतियों के पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया था। बौद्धिक सत्रों में भी देश के प्रतिष्ठित चिंतक व विचारकों ने संबोधित किया।