श्री किरेन रिजिजू ने कहा, यह अमेंडमेंट बिल न केवल आवश्यक है बल्कि समय की मांग भी है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस बिल का समर्थन करें और न्याय, समानता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएं। मैं यहाँ इस बात को स्पष्ट करने के लिए आया हूँ कि क्यों इनका नोटिस स्तब्ध नहीं करता है और क्यों यहाँ पर उठाए गए ऑब्जेक्शन को स्वीकार नहीं करना चाहिए। मैं संक्षेप में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को प्रस्तुत करना चाहूंगा, उसके बाद आपके अनुमति से, मैं विस्तार से हर एक बिंदु का जवाब दूंगा। मेरा विश्वास है कि मेरी बातों को ध्यान से सुनने के बाद, अंत में जो भी आशंकाएं व्यक्त की गई हैं, वे सब दूर हो जाएंगी। मुझे पूरा यकीन है कि इस बिल के बारे में सब कुछ जानकारी प्राप्त करने के बाद, इस हाउस के सभी सदस्य इस बिल का समर्थन अवश्य करेंगे।
संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता:
अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कंटें का मुद्दा उठाया है। मैं पूरे जिम्मेदारी के साथ सदन को बताना चाहता हूं कि इस बिल में जो भी प्रावधान हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 25 से 26 तक के किसी भी धार्मिक निकाय की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं। ना ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के ब्रह्मचारी वर्सेस स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल केस का हवाला देना चाहता हूँ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक संप्रदाय के बारे में स्पष्ट रूप से रूलिंग दी है और वह आर्टिकल 25 और 26 के अंतर्गत नहीं आता है।
ब्रॉड बेस का उद्देश्य:
इस बिल में हमने ब्रॉड बेस का प्रावधान किया है। किसी का हक छीनने का सवाल ही नहीं है। बल्कि, जिनको हक नहीं मिला है, उन्हें हक देने के लिए यह बिल लाया गया है। इसमें महिलाओं, बच्चों और मुस्लिम समाज के पिछड़े वर्गों को अधिकार देने का प्रावधान है, जिन्हें अब तक कभी मौका नहीं मिला और जो अब तक दबे हुए थे।
संविधान के अनुसूची सूची में शामिल विषय:
संविधान के कंकरेंस लिस्ट में एंट्री नंबर 10 और 28 के अंतर्गत यह विषय आता है। इसलिए, यह पूरा विधायी अधिकार इस सदन और भारत सरकार के पास है।
इतिहास और अमेंडमेंट का संदर्भ:
यह वक्फ अमेंडमेंट बिल पहली बार इस सदन में पेश नहीं किया गया है। यह ऐतिहासिक रूप से 1954 में लाया गया था और उसके बाद कई अमेंडमेंट हुए हैं। आज जो अमेंडमेंट हम लाने जा रहे हैं, वह 1995 के वक्फ एक्ट और 2013 के अमेंडमेंट के आधार पर है।
अमेंडमेंट का उद्देश्य और कांग्रेस पार्टी का समर्थन:
कांग्रेस पार्टी ने भी कई मुद्दों को उठाया था, लेकिन वे उसे हल नहीं कर पाए। आज, हम उसी का समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। यह अमेंडमेंट आम मुस्लिम समाज के हित में है और इसका समर्थन करने से करोड़ों लोगों का भला होगा।
महत्वपूर्ण कमेटियों का हवाला:
1976 की इंक्वायरी रिपोर्ट और जस्टिस राजेंद्र सच्चर की कमेटी का हवाला देना चाहता हूँ। इन कमेटियों ने वक्फ बोर्ड की कई खामियों को उजागर किया और सुधार के लिए सिफारिशें की थीं। आज हम उन्हीं सिफारिशों के आधार पर यह अमेंडमेंट लाए हैं।
वक्फ प्रॉपर्टीज और आय:
वक्फ प्रॉपर्टीज की सालाना आमदनी बहुत कम है। सच्चर कमेटी ने यह भी बताया था कि अगर इन्हें सही तरीके से मैनेज किया जाए, तो यह बहुत अधिक हो सकती है। हमारी सरकार ने भी अध्ययन किया है और पाया है कि वक्फ प्रॉपर्टीज का मार्केट वैल्यू बहुत अधिक है।
ब्रॉड बेस और महिलाओं का प्रतिनिधित्व:
सच्चर कमेटी और जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी ने वक्फ बोर्ड को ब्रॉड बेस करने और महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने की सिफारिश की थी। आज हम उसी आधार पर यह अमेंडमेंट ला रहे हैं।
सार्वजनिक परामर्श और कंसल्टेशन:
इस बिल को लाने से पहले हमने व्यापक रूप से परामर्श किया है। हजारों लोगों से, स्टेकहोल्डर से, और विभिन्न समुदायों से परामर्श किया गया है।