Friday, November 22, 2024
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लोनावला में अग्रसेन पेलेस में महालक्ष्मी माता की प्राण प्रतिष्ठा

मुंबई  और पुणे के बीच स्थित लोनावला अभी तक पर्यटन व सैलानियों के लिए घूमने का एक स्थान मात्र था लेकिन अब यह एक तीर्थ में बदल गया है। लोनावला के पास स्थित कार्ला ग्राम में स्थित महाराजा अग्रसेन पेलेस के भव्य परिसर में महालक्ष्मी मंदिर में  अग्रवाल समाज की कुल देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही यह क्षेत्र अब अग्रवाल समाज के लोगों के लिए तीर्थ जैसा हो गया है। 
 
लगभग 5 सालों के इंतजार के बाद अग्रवाल समाज की कुलदेवी की प्राण प्रतिष्ठा अग्रवाल पैलेस परिसर में नवनिर्मिम श्री महालक्ष्मी माता शक्तिपीठ मंदिर में मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठापना जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज द्वारा की गई.
शुक्रवार 12 जुलाई को प्राण-प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी में सुबह 7 बजे से ही मंदिर परिसर में पूजन, अनुष्ठान का सिलसिला शुरु हो गया. समस्त पूजन, हवन, अनुष्ठान विधियां अहमदाबाद से पधारे ज्योतिषाचार्य डॉ. राजेंद्रप्रसाद शुक्ल नेतृत्व में मुख्य दानदाता राजेंद्र सागरमल घुवालेवाला एवं उनके परिवार द्वारा विधिपूर्वक संपन्न की गईं.

माता लक्ष्मी के भजनों से महाराजा अग्रसेन पैलेस का पूरा प्रांगण भक्ति रंग में रंग गया. जिसके हजारों अग्रवाल बंधु इस अद्भुत और ऐतिहासिक घड़ी के साक्षी बने. डॉ. राजेंद्रप्रसाद शुक्ल के साथ आये 25 से अधिक विद्वान पंडितों के मार्गदर्शन में हवन एवं पूर्णाहुति, महाआरती, महाप्रसाद, शिखर कलश प्रतिष्ठा एवं ध्वजा प्रतिष्ठा के साथ 6 जुलाई से प्रारंभ हुए इस 7 दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन हुआ. इस अवसर पर स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज के हाथों पैलेस के परिसर में ही बने ‌‘अग्रसेन गौधाम‌’ (गौशाला) का भी उद्घाटन किया गया.

इस सात दिवसीय प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव के संपूर्ण कार्यक्रम अग्रवाल ग्लोबल फाउंडेशन एवं मुख्य दानदाता राजेंद्र सागरमल घुवालेवाला एवं उनके परिवार द्वारा आयोजित किये गए थे. प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की भव्य सफलता के बाद मंदिर परिसर में मुख्य दानदाता राजेंद्र घुवालेवाला एवं उनके परिवार एवं फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं चेयरमैन वित्त समिति के मधुसूदन अग्रवाल एवं उनकी पत्नी ममता अग्रवाल को अग्रवाल ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया.

प्राण-प्रतिष्ठा के सभी कार्यक्रमों में अग्रवाल ग्लोबल फाउंडेशन के कार्यकारिणी सदस्यों में मुख्य सलाहकार- सुरेश भगेरिया, चेयरमैनअशोक गोयल, अध्यक्ष-जयकुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष-काशीनाथ गाडिया, अध्यक्ष/ चेयरमैन वित्त समिति-मधुसूदन अग्रवाल, सचिव- बंकेश अग्रवाल, सहसचिवराजकुम ार सिंघल, कोषाध्यक्ष संजय रामनिवास गुप्ता, सहकोषाध्यक्ष-विकास सुरेश भगेरिया, कार्यक्रम संयोजक‌’विनोद मित्तल, कार्यकारणी सदस्य- सुनील गोयल, मनोज डोकानियां, विनीत मोदी, अमित बगडिया, अनिल गुप्ता, दीपक भगेरिया, मुख्य दानदाता-राजेंद्र सागरमल घुवालेवाला, उनकी पत्नी कुसुम, बेटा गौरव, बहूं राखी एवं उनके परिवार की मुख्य उपस्थिति रहीं.

श्री महालक्ष्मी माता शक्तिपीठ की प्रमुख विशेषताएं
महाराजा अग्रसेन पैलेस में मंदिर 5000 स्क्वेयर फीट में निर्मित है
महालक्ष्मी माता शक्तिपीठ सभी गर्भगृह के मंदिरों की परिक्रमा हेतु मार्ग
मंदिर की परिक्रमा करते समय भक्तों को विष्णुजी के दस अवतारों के दर्शन होंगे.
मंदिर के अंदरूनी स्तंभों पर अमृत कलश, कमल की बेल, महालक्ष्मी वाहन गजराज और सरस्वती वाहन हंस की आकर्षक नक्काशी
शक्तिपीठ में 5 मंदिर हैं, प्रत्येक मंदिर के गुंबद पर भगवा झंडों के साथ कलश स्थापित किए गए हैं
सूर्य की सीधी किरणों से होगा माता लक्ष्मी का चरणवंदन

मंदिर के निर्माण में मकराना मार्बल, वियतनाम मार्बल, अंबाजी मार्बल और लाल संगमरमर का उपयोग किया गया है. वहीं मंदिर के बिल्कुल पास में ही ‌‘अग्रसेन गौधाम‌’ बनाया गया है जिसमें वर्तमान में आंध्रप्रदेश राज्य के चित्तूर जिले से लाई गई 5 पुंगनूर गाय एवं  एक नंदी है इसके साथ आने वाले दिनों में यहां और 50 गायों को लाया जाएगा.

इस सात दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठापना महोत्सव की शुरूआत 6 जुलाई से हुई थी जिसमें सर्वप्रथम कलश यात्रा एवं गणेश पूजन किया गया था. वहीं मंदिर उद्घाटन एवं मंडप प्रवेश जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेेशरानंद महाराज के हाथों किया गया. 7 जुलाई को महाराजा अग्रसेन पैलेस से एकवीरा मंदिर तक दिव्य नगर परिक्रमण यात्रा (रथयात्रा) निकाली गई थी. इस रथयात्रा के दौरान श्री महालक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थापित होने वाली मूर्तियों को विभिन्न रथों में विराजित कर नगर भ्रमण कराया गया था.

 
 8 जुलाई को मूर्तियों का गंधाधिवास एवं पौष्टिक हवन कराया गया था. 9 जुलाई को प्राण सूक्त पाठ, फलाधिवास कराया गया था. 10 जुलाई को मूर्ति-मूर्तिपति लोकपाल हवन, धान्याधिवास कराया गया था. 11 जुलाई को नेत्रोन्सिलन, तत्वन्यास, स्नपन विधि-81 कलश, यज्ञ, शैय्याधिवास कराया गया था. 12 जुलाई को मूर्ति की स्थापना, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, हवन, पूर्णाहुति, महाप्रसाद, शिखर कलश प्रतिष्ठा, ध्वजा प्रतिष्ठा के साथ महोत्सव उत्साहपूर्वक संपन्न किया गया.

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