Wednesday, March 26, 2025
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का मुहुर्त

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, मध्य रात्रि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 26 अगस्त 2024 सोमवार को सप्तमी तिथि दिन में प्रातः 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो रही है, अर्थात् इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। इसके साथ ही सोमवार की रात्रि 9 बजकर 10 मिनट पर कृतिका नक्षत्र समाप्त होकर रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ हो जायेगा। इस प्रकार अष्टमी तिथि- रोहिणी नक्षत्र मिलकर *जयंती योग* बना रहे हैं, जोकि बहुत ही शुभ है। मुहूर्त चिंतामणि ग्रन्थ के अनुसार आज *सर्वार्थसिद्धियोग* भी रहेगा। शास्त्रों में बुधवार तथा सोमवार को भी पुण्यफलकारक माना गया है>

कि पुनर्बुधवारेण सोमे नापि विशेषत: इसलिए  इस जन्माष्टमी पर्व पर पूर्ण श्रद्धा व उल्लास के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाकर पुण्यफल प्राप्त करें।
इसके अलावा जो स्वयं को वैष्णव मानते हैं वो औदायिक अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र में 27 अगस्त मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। पंचांगों में स्मार्तों और वैष्णवों के लिए अलग अलग तिथियों में व्रत त्योहार दर्शाया रहता है। कुछ लोगों को संदेह होने लगता है कि हम किसी दिन व्रत या त्योहार मनायें। आइए स्मार्त व वैष्णव का संक्षिप्त अन्तर समझने की कोशिश करते हैं। जिन लोगों को स्वयं का सम्प्रदाय नहीं मालूम वे अपने को स्मार्त मानते हैं।‌सामान्य रूप से स्मार्त शिव के उपासक होते हैं। वे श्रुति स्मृति को मानते हैं और वेद पुराण, धर्म शास्त्र, गायत्री, पंचदेव के उपासक होते हैं।
ठीक इसी प्रकार सामान्य रूप से वैष्णव भगवान विष्णु के उपासक होते हैं और उनके अवतारों को मानते हैं। वैष्णव सम्प्रदाय वाले मस्तक पर तिलक धारण करते हैं और विधि पूर्वक दीक्षा लेकर कण्ठी, तुलसी की माला धारण करते हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर, कृष्ण मंदिर, श्रीनाथ मन्दिर या भगवान विष्णु के अवतारों वाले जो भी मन्दिर हैं, वे सभी वैष्णव सम्प्रदाय के अन्तर्गत ही आते हैं।

सौरभ दुबे( Astrological Consultant)*
काशी/बनारस/वाराणसी*
*Watsaap-9198818164*

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