इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित जाने माने अध्यात्मिक गुरु श्री भूपेन्द्र भाई पण्ड्या, ने वाल्मिकी रामायण और तुलसी की रामचरित मानस का सुंदर विवेचन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि ये राम के चरित्र की महत्ता है कि देश में 230 रामायण हैं। हर प्रांत हर भाषा के लोगों ने राम को अपनी दृष्टि से देखा और उनकी महिमा का वर्णन किया। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि वाल्मिकी और तुलसी ने सनातन हिंदू संस्कृति और सामाजिक प्रतिबध्दता के साथ जो रामचरित गाया है वह मनुष्य की अपने ही प्रति श्रध्दा की प्रस्तुति है।
उन्होंने कहा कि अगर तुलसी ने राम चरित मानस न लिखा होता तो हम आज गुलामी के शिकार तो होते ही ह्म अपने धर्म को भी नहीं बचा पाते। तुलसी दास ने ये संदेश दिया कि हमें अपनों से नहीं लड़ना है बल्कि अपनी बुराईयों से लड़ना है।
वाल्मिकी रामायण का उल्लेख करते हूए भूपेन्द्र भाई ने कहा कि वाल्मिकी के राम हमें सिखाते हैं कि हमें अपने लक्ष्य को पूरा किए बगैर उससे पीछे नहीं हटना है। उन्होंने कहा कि हम अपना शौर्य भूल चुके हैं। दुनिया ने हमारी अहिंसा को हमारी कमजोरी मान लिया है जबकि हम अहिंसक हैं नपुंसक नहीं। उन्होंने एक रोचक किस्से के साथ समझाया कि आज हिंदू समाज की स्थिति कैसी है। उन्होंने कहा कि एक गाय को कुछ लोमड़ियों ने घेर लिया जब गाय ने अपने सींग से लोमड़ियों को भगाने का उपक्रम किया तो लोमड़ियों ने गाय पर आरोप लगाया कि वह हिंसा कर रही है, वह नफरत फैला रही है। इस दुष्प्रचार से गाय शांत हो गई। लेकिन कुछ ही देर में लोमड़ियों के झुंड ने गाय को नोचना शुरु कर दिया और उसकी जान ले ली। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज आज उसी गाय की तरह नफरती और हिंसक लोमड़ियों से गिरा हुआ है। हिंदू समाज को अपनी शक्ति पहचाननी होगी। हिंदू समाज को राम के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर अपनी संस्कृति और मूल्यों को बचाना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमारी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्मरण करने में ये ग्रंथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि राम सबके लिए प्रेरक हैं। नरेंद्र मोदी पूरी सरकार को रामराज्य की तरह चला रहे हैं। नरेन्द् मोदीजी के नेतृत्व में देश के धार्मिक स्थानों का पुनरोध्दार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विकास और विरासत दोनों एक साथ हों तभी विकास सार्थक होता है। प्रधान मंत्री श्री मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेजी से देश के विकास को गति देंगे।
श्री पराग संघानी ने कहा कि राम मय भारत एक अद्भुत ग्रंथ है और इस ग्रंथ की विषय वस्तु को लेकर पूरे देश के स्कूल और कॉलेजों मे ंसेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए ताकि नई पीढ़ी को हमारी संस्कृति, हमारी विरासत और राम जैसे चरित्र की विशेषताओँ की जानकारी मिले। उन्होंने कहा कि हमें राममय भारत के साथ ही राममय विश्व की भी कल्पना करना होगी।
कार्यक्रम में पीपी सबानी विश्वविद्यालय, सूरत के प्रोवोट कुलपति श्री पराग संघानी, ठाकुर कॉलेज के ट्रस्टी श्री वीके सिंह, जितेंद्र सिंह, प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात कुमार व महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादेमी के अध्यक्ष श्री शीतला प्रसाद दुबे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने तुलसीदास के जीवन के कई जाने अनजाने व रोचक पहलुओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर राममय भारत ग्रंथ के संपादन से जुड़े डॉ. रतन शारदा, श्रीमती पूनम बुधिया, डॉ. निर्मला पेड़ीवाल का सम्मान श्री पीयूष गोयल ने किया।
कार्यक्रम में वाणी याज्ञिक और नेहा शर्मा ने श्री रामचंद्र क़पालु भजमन पर सुंदर नाट्य प्रस्तुति दी।
श्री भागवत परिवार के सभी ट्रस्टियों,शुभचिंतकों,सदस्यों,