Monday, March 17, 2025
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सहरिया परिवारों की जिंदगी में खुशी की दस्तक

शिवपुरी जिले में निवास करने वाली सहरिया जनजाति अब तक बेकारी और बेबसी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर थी लेकिन अब उनकी जिंदगी में  उजाला भरने लगा है. सबके बदलते हैं, उसके भी बदल गये.  बदलाव की यह कहानी शिवपुरी जिले की है. यहां के हातोद ब्लॉक में रहने वाली श्रीमती शांति सहरिया एक समय अपनी झोपड़ी में कठिनाइयों भरा जीवन जीती थीं. उनके परिवार के लिए रोजमर्रा की जरूरतें भी संघर्ष का विषय था. दिहाड़ी मजदूरी से जो कुछ थोड़ी सी कमाई होती, वो उदर पोषण में ही चली जाती. बरसात में उनकी झोपड़ी टपकती और रातें जागते हुए कटती थीं. पढ़ाई-लिखाई और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं उनके लिए सपना थीं. लेकिन आज शांति सहरिया और उनका परिवार एक सुखद बदलाव का अनुभव कर रहा है. इस बदलाव की शुरुआत हुई पीएम आवास योजना के तहत शांति के परिवार को एक पक्की कुटीर मिली. इससे उनका जीवन सुरक्षित और सुविधाजनक हुआ. अब उनका परिवार पूरी कॉलोनी में पक्के मकान के साथ एक सम्मानजनक जीवन जी रहा है.

विशेष पिछड़़ी जनजातियों में शामिल सहरिया जनजाति के दिन बहुरने लगे हैं. वर्तमान मोहन सरकार इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष जतन कर रही है. कागज पर किए गए वायदों से बाहर आकर जमीनी तौर पर सहरिया जनजाति को सुख-सुविधा दे रही है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लोकप्रिय जनहित कार्यक्रम ‘मन की बात’ में एक साल पहले बूंदा पंचायत की श्रीमती ललिता ने उनसे संवाद करते हुए बूंदा पंचायत में भी हातोद जैसी सुविधाजनक आवासीय कॉलोनी बनाने की मांग रखी थी. तब ललिता को इस बात की भनक भी नहीं थी कि उनकी मांग पूर्ण हो जाएगी. उनका अपना पुराना अनुभव खराब था क्योंकि वायदे तो पहले भी किए गए लेकिन वे सब खोखले साबित हुए थे. इस बार प्रधानमंत्री से बात करते हुए उन्हें इस बात की तसल्ली थी कि देश के मुखिया के समक्ष उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिला.
ललिता के लिए यह सपने के साकार होने जैसा था. ललिता ही क्यों, बूंदा पंचायत के सहरिया जनजाति के लिए ये एक सपना जैसा था जो अब साकार हुआ है. शिवपुरी जिले की चौथी कॉलोनी एवं पोहरी ब्लॉक की पहली जनमन आवासीय कॉलोनी बनकर तैयार हो गई है. मुख्य कार्यपाल अधिकारी जनपद पंचायत ने बताया कि कॉलोनी में 32 सहरिया हितग्राहियों के आवास बनाए गए हैं. इन आवासों की ख़ास बात ये है कि ये आवास शहरों की तर्ज पर डुप्लेक्स जैसे बनाये गए हैं. इन आवासों में अब विशेष पिछड़ी जनजाति के सहरिया हितग्राही निवास करेंगे. इसके अतिरिक्त इन आवास में घर-घर नल एवं विद्युत कनेक्शन की सुविधा दी गयी है, साथ ही सडक़, सामुदायिक भवन, चौपाल आदि की सुविधा भी दी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 जनवरी 2024 को शिवपुरी जिले के हातोद ग्राम पंचायत में 2 सहरिया जनजाति की महिलाओं से संवाद किया था, जिसमें पोहरी ब्लॉक की बूंदा पंचायत की श्रीमती ललिता ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से हातोद जैसी आवासीय कॉलोनी खुद की बूंदा पंचायत में भी बनवाने की गुजारिश की थी. कॉलोनी का प्रथम आवास पूर्ण करने वाली श्रीमती ललिता का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी का बहुत धन्यवाद, जिन्होंने हमारे लिए इतनी सुन्दर आवास कॉलोनी बनवाई, उन्होंने हमारे घर का सपना पूरा किया है.
बूंदा पंचायत की जनमन कॉलोनी की पूर्णता में आ रही समस्त अड़चनों का समयसीमा में निराकरण किया और कॉलोनी की गुणवत्ता के लिए सूक्ष्मता से मॉनिटरिंग करने की बात सीईओ ने बताया. उनका कहना है कि समस्त जनमन कॉलोनी में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया है और आवास बेहद सुन्दर बनाए गए हैं.
उल्लेखनीय है कि पीएम-जनमन योजना को 15 नवंबर 2023 को बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए शुरू किया गया था. शिवपुरी जिले की जनपद शिवपुरी ने पीएम जनमन योजना में देश का पहला आवास और पहली कॉलोनी बनाकर, देश में प्रदेश का नाम रोशन किया था. साथ ही सर्वप्रथम 100 आवास, एक हजार आवास तथा 2 हजार आवास भी शिवपुरी जिले में पूर्ण किए गए हैं.
शांति के चेहरे पर प्रसन्नता है और यही प्रसन्नता उसके  सुख और शांति पूर्ण जीवन की कहानी सुना रहे हैं.  वे बताती हैं -अब हमारे पास अपना घर है, जो बरसात में भी सुरक्षित रहता है. पक्की सडक़ों से हम शहर तक आसानी से जा पाते हैं. घर-घर तक नल से जल आने से पीने के पानी की समस्या भी खत्म हो गई है.
जीवन की तीन महत्वूपर्ण जरूरतें होती हैं, रोटी, कपड़ा और मकान. मोहन सरकार के प्रयासों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को सच करने वाली योजना से सहरिया परिवारों को ना केवल छत मिला बल्कि रोजगार के अवसर भी। आय का जरिया विकसित करने के लिए शांति ने बकरियां पालना शुरू किया. पीएम उज्ज्वला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर ने उनके परिवार को चूल्हे के धुएं से स्थायी राहत दे दी. आयुष्मान भारत (निरामयम) योजना से अब उनका परिवार स्वास्थ्य उपचार सेवाओं का मुफ्त लाभ ले सकता है. बेबसी में जीते परिवारों को जैसे आत्मबल मिल गया है. वे कहते हैं कि हम हर महीने पोषण आहार की राशि प्राप्त करते हैं, जिससे हमारे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है. अब हमें विश्वास है कि मेरे बच्चे पढ़-लिखकर एक अच्छा जीवन जी सकेंगे.
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसंख्या इन जनजातियों की है, जो अब भी भारत में सर्वाधिक है.  2011 की जनगणना के अनुसार जनजातियों का प्रतिशत मध्यप्रदेश में 21.1 प्रतिशत है. लगभग 24 जनजातियां यहां निवास करती हैं. इनकी उपजातियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है. विभिन्न जनजातियों के कलाकार अपनी जनजाति से जुड़ी कला और संस्कृति को देश—विदेश में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार भी इनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और सामाजिक विषयों पर लेखन करते हैं) 

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