सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 5 जून, 2024 को स्टारलाइनर से आईएसएस के लिए रवाना हुए। मिशन का उद्देश्य बोइंग के नए अंतरिक्ष यान की क्षमता का परीक्षण करना था। हालांकि, स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी संभव नहीं हुई। नासा ने अंततः स्पेसएक्स की मदद ली, और क्रू-9 मिशन के तहत एक अंतरिक्ष यान सितंबर 2024 में आईएसएस भेजा गया, जिसमें सुनीता और बुच के लिए दो सीटें खाली रखी गई थीं। 19-20 मार्च, 2025 को वह सफलतापूर्वक फ्लोरिडा के तट पर उतरे। इस दौरान सुनीता ने अंतरिक्ष में कुल 608 दिन बिताए, जो उनके पिछले रिकॉर्ड्स को जोड़कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन गई।
इतने दिनों तक क्या खाया?
अंतरिक्ष में भोजन प्री-पैकेज्ड और विशेष रूप से तैयार किया जाता है, ताकि यह माइक्रोग्रैविटी में खाया जा सके। सुनीता और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने निम्नलिखित चीजें खाईं:
ताजे फल और सब्जियां**: ये हर तीन महीने में सप्लाई के साथ आते हैं, लेकिन जल्दी खत्म हो जाते हैं।
*विशेष भोजन**: अंतरिक्ष यात्रियों के परिवार उनके पसंदीदा व्यंजन भेज सकते हैं। सुनीता ने पहले मिशनों में भारतीय खाना, जैसे समोसे, ले जाने की बात कही थी।
पानी**: पानी की आपूर्ति सीमित होती है, इसलिए उनके मूत्र को रिसाइकल करके शुद्ध पानी बनाया जाता है। यह तकनीक आईएसएस पर आम है और सुरक्षित मानी जाती है।
आईएसएस पर प्रति अंतरिक्ष यात्री प्रतिदिन लगभग 3.8 पाउंड भोजन उपलब्ध होता है, और अप्रत्याशित देरी के लिए अतिरिक्त स्टॉक भी रखा जाता है। उनकी सेहत पर नजर रखी गई, और वजन में कमी माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव के कारण हुई, न कि भोजन की कमी से।
आराम कैसे किया?
आईएसएस पर आराम करना पृथ्वी से बहुत अलग है क्योंकि वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होता। सुनीता ने निम्नलिखित तरीके अपनाए:
स्लीपिंग बैग: वह “हार्मनी” मॉड्यूल में फोन-बूथ जैसे स्लीपिंग क्वार्टर में सोती थीं। ये स्लीपिंग बैग दीवार से जुड़े होते हैं, और माइक्रोग्रैविटी में शरीर हवा में तैरता रहता है। पूर्व अंतरिक्ष यात्री निकोल स्टॉट ने इन्हें “दुनिया के सबसे बेहतरीन स्लीपिंग बैग” कहा था।
शांत वातावरण: आईएसएस बड़ा और शांत होता है, जिससे नींद लेना आसान हो जाता है। सुनीता सुबह 6:30 बजे (जीएमटी) जागती थीं और दिनभर के काम के बाद रात को सोती थीं।
दिन और रात का पता कैसे लगाया?
अंतरिक्ष में दिन और रात का चक्र पृथ्वी जैसा नहीं होता। आईएसएस हर 90 मिनट में पृथ्वी का चक्कर लगाता है, जिससे हर 45 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त होता है। सुनीता ने इसका पता लगाने के लिए:
– **शेड्यूल का पालन**: अंतरिक्ष यात्रियों का समय जीएमटी (ग्रीनविच मीन टाइम) के अनुसार तय होता है। सुबह 6:30 बजे उठना और रात को सोना उनके शेड्यूल का हिस्सा था।
प्रकाश का उपयोग**: सूरज की रोशनी से दिन का अंदाजा लगता था। सुनीता ने बताया कि पहली बार हैच खोलने पर रात थी, लेकिन सूरज निकलते ही पृथ्वी का नजारा देखकर वह हैरान रह गई थीं।
कृत्रिम रोशनी**: आईएसएस में रोशनी को नियंत्रित करके दिन-रात का अनुकरण किया जाता है।
सुनीता विलियम्स अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर रहीं, जहां का आंतरिक तापमान मानव जीवन के लिए आरामदायक बनाया जाता है। आईएसएस के अंदर तापमान आमतौर पर 20°C से 25°C (68°F से 77°F)** के बीच नियंत्रित रहता है। यह पृथ्वी पर सामान्य कमरे के तापमान के समान है और अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत व उपकरणों की कार्यक्षमता के लिए उपयुक्त रखा जाता है। इसके लिए स्टेशन में उन्नत थर्मल नियंत्रण प्रणाली होती है, जो बाहरी极端 तापमान से सुरक्षा प्रदान करती है। सुनीता ने अपने 286 दिनों के मिशन के दौरान इसी तापमान में समय बिताया।
सुनीता विलियम्स दो अलग-अलग यानों से जुड़ी थीं: बोइंग स्टारलाइनर (जाने के लिए):** यह यान उन्हें जून 2024 में आईएसएस तक ले गया। इसके अंदर का तापमान भी मानव के लिए उपयुक्त, यानी **20°C से 25°C** के आसपास रखा गया था। हालांकि, बाहरी सतह का तापमान अंतरिक्ष में सूर्य की ओर होने पर **120°C तक** और छाया में **-150°C तक** हो सकता है, लेकिन हीट शील्ड और इंसुलेशन इसे अंदर स्थिर रखते हैं।
*सूर्य की ओर:** सूर्य के प्रकाश में तापमान **120°C (248°F)** तक जा सकता है।
18 मार्च, 2025 को जब सुनीता विलियम्स क्रू ड्रैगन से आईएसएस से रवाना हुईं, तब अंतरिक्ष का बाहरी तापमान वही था जो ऊपर बताया गया—सूर्य की ओर **120°C** और छाया में **-150°C से -270°C**। यान के अंदर का तापमान **20°C से 25°C** रहा। आईएसएस से अलग होने के बाद यान ने पृथ्वी की ओर उड़ान भरी, और यह तापमान तब तक स्थिर रहा जब तक वह वायुमंडल में प्रवेश नहीं किया।
19 मार्च, 2025 को सुनीता विलियम्स का क्रू ड्रैगन फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में उतरा। इस दौरान:
– **वायुमंडल में पुनः प्रवेश:** यान की बाहरी सतह का तापमान **1650°C से 1926°C** तक पहुंचा, जैसा कि नासा और स्पेसएक्स के अनुसार सामान्य है। यह उच्च तापमान घर्षण और प्लाज्मा के कारण होता है, जिसके चलते 7 मिनट तक संचार ब्लैकआउट भी रहा। अंदर का तापमान हीट शील्ड के कारण **20°C से 25°C** ही रहा।
निष्कर्ष
– **आईएसएस पर:** 20°C से 25°C (अंदर), -150°C से 120°C (बाहर)।
– **यान के अंदर:** 20°C से 25°C (पूरे मिशन में)।
– **यान के बाहर (अंतरिक्ष में):** -150°C से 120°C।
– **वायुमंडल में वापसी:** 1650°C से 1926°C (बाहर), 20°C से 25°C (अंदर)।
– **लैंडिंग पर:** 20°C से 25°C (फ्लोरिडा का मौसम और यान के अंदर)।
यह जानकारी उनके मिशन की तकनीकी और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर आधारित है, जो नासा और स्पेसएक्स के डेटा से मेल खाती है।