हेलेन एडम्स केलर २७ जून १८८० को अमेरिका के टस्कंबिया, अलबामा में पैदा हुईं।जन्म के समय हेलन केलर एकदम स्वस्थ्य थी।उन्नीस महीनों के बाद वो बीमार हो गयी और उस बीमारी में उनकी नजर, ज़ुबान और सुनने की शक्ति चली गयी| हेलन केलर के माता-पिता के सामने एक चुनौती आ खड़ी हुई कि ऐसा कौन शिक्षक होगा जो हेलन केलर को अच्छी शिक्षा दे पाए और हेलन केलर समझ पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि हेलन केलर सामान्य बच्चों से भिन्न थी। इसके बाद उन्हें आखिरकार एक शिक्षक मिल गया जिनका नाम था “एनि सुलिव्हान”। इन्होंने हेलन केलर को हर तरीके से शिक्षा दी, जिसमें उन्होंने मेन्युअल अल्फाबेट और ब्रेल लिपि आदि पद्धतियों से शिक्षा देने की कोशिश की। जै वह कला स्नातक की उपाधि अर्जित करने वाली पहली बधिर और दृष्टिहीन थी। ऐनी सुलेवन के प्रशिक्षण में ६ वर्ष की अवस्था से शुरु हुए ४९ वर्षों के साथ में हेलेन सक्रियता और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँची।
मुख्य रूप से मेरी परेशानियों के संकेत बाद में मिस सुलिवन के विरुद्ध इस्तेमाल किये जाते. उन मिस सुविलन के जो वहां मौजूद मेरे दयालु दोस्तों में से एकमात्र ऐसी दोस्त थी जो मेरे लिए टेढ़े-मेढ़े को सीधा और कठिन रास्तों को सरल बना सकती थी. हालांकि धीरे-धीरे मेरी परेशानियां ओझल होनी शुरू हो गयीं. उभरी हुई प्रिंटिंग वाली किताबें और दूसरे सामान आ गये और एक नये विश्वास के साथ मैंने अपने आप को काम में लगा लिया. एल्जेब्रा और ज्योमेट्री ऐसे विषय थे जो उन्हें समझने के मेरे प्रयासों को ललकारते. जैसा मैंने पहले कहा मेरे पास गणित के लिए कोई लियाकत नहीं थी, बहुत -सी बातें मुझे उतनी अच्छी तरह समझ नहीं आयी थीं जितना कि मैं चाहती थी. वास्तव में ज्योमेट्रीकल डायग्राम बहुत चिढ़ पैदा करने वाले थे यहां तक कि कुशन पर भी मैं विभिन्न हिस्सों का एक दूसरे से सम्बंध नहीं देख पाती थी. जब तक श्री कैथ ने पढ़ाया तब तक मुझे गणित का स्पष्ट आइडिया नहीं था.
मैं इन सभी परेशानियों से उबरने की शुरूआत कर रही थी तभी एक घटना घटी, जिसने सब कुछ बदल दिया.
मेरी किताबें आने के कुछ पहले श्री गिलमैन ने इस आधार पर मिस सुलिवन के साथ इस बात पर आपत्ति करना शुरू किया कि मैं बहुत ज्यादा मेहनत कर रही हूं और मेरे गम्भीर विरोध के बावजूद उन्होंने मेरे पठन-पाठ के नम्बर घटा दिये. शुरूआत में हम इस बात पर सहमत थे कि यदि ज़रूरी हो तो मैं कॉलेज की तैयारी के लिए पांच साल लूं. लेकिन पहले साल में ही मेरी परीक्षा की सफलता ने मिस सुलिवन, मिस हर्बग (श्री गिलमैन की हेड टीचर) और अन्य को यह दिखा दिया था कि बिना किसी अतिरिक्त मेहनत के मैं अपनी तैयारी और दो साल में पूरी कर सकती हूं. श्री गिलमैन पहले इस बात से सहमत थे, लेकिन जब मेरे काम कुछ पेचीदे हो गये तो उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मुझ पर काम का बोझ बढ़ गया है इसलिए मुझे तीन साल और इस स्कूल में रहना चाहिए. मुझे उनकी यह योजना पसंद नहीं आयी क्योंकि मैं अपनी क्लास के साथ कॉलेज जाना चाहती थी.
17 नवम्बर को मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मैं स्कूल नहीं गयी. हालांकि मिस सुलिवन जानती थी कि मेरी अस्वस्थता गम्भीर नहीं है लेकिन इस बारे में सुनने के बाद श्री गिल ने यह घोषित कर दिया कि मेरी तबीयत खराब होती जा रही है और मेरी पढ़ाई में इस तरह बदलाव कर दिया कि फाइनल परीक्षा अपनी क्लास के साथ देना मेरे लिए असम्भव हो गया. अंत में श्री गिलमैन और मिस सुलिवन के बीच मतभेद का परिणाम यह हुआ कि मेरी मां ने मेरी बहन मिल्ड्रेड और मुझे कैम्ब्रिज स्कूल से निकाल लिया.
कुछ समय बाद यह व्यवस्था की गयी थी कि मैं ट्यूटर श्री मर्टोन एस मैथ, जो कि कैम्ब्रिज स्कूल के थे, के मार्गदर्शन में अपनी पढ़ाई जारी रखूं. मैंने और मिस सुलिवन ने अपने दोस्तों के साथ बाकी सर्दी बोस्टन से 25 मील दूर वरेंथम के चैम्बरलिंस में बितायी.
फरवरी से जुलाई 1898 तक श्री कैथ हफ्ते में दो बार वरेंथम आते और मुझे एल्जेब्रा, ज्योमेट्री, ग्रीक और लैटिन पढ़ाते. मिस सुलिवन उनके निर्देशों को मेरे लिए इंटरप्रेट करती.
अक्तूबर 1898 में हम बोस्टन वापस आ गये. आठ महीनों तक श्री कैथ मुझे हफ्ते में पांच बार एक-एक घंटे के लिए पढ़ाते रहे. हर बार वे मुझे वह चीज़ समझाते जो मैं पिछली बार नहीं समझ पायी थी, नया काम देते और हफ्ते भर तक मैंने जो ग्रीक एक्सरसाइज अपने टाइपराइटर पर लिखी होती उसे अपने साथ घर ले जाते, उनमें सुधार करते और मुझे वापस लौटाते.
इस तरह कॉलेज के लिए मेरी तैयारी बिना रुकावट के चलती रही. क्लास में निर्देश पाने के बजाय अपने आप पढ़ना मुझे ज्यादा सरल और सुखद लगा. कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई भ्रम नहीं था. मेरी ट्यूटर के पास मुझे समझाने के लिए बहुत समय था इसलिए मैं जल्दी से समझती और स्कूल के बजाय मैंने ज्यादा अच्छा काम किया. गणित के सवालों में मास्टरी हासिल करने में मुझे दूसरे विषयों के मुकाबले ज्यादा परेशानी महसूस होती है. मैं सोचती हूं कि भाषाएं और साहित्य जितना सरल है काश उसकी आधी सरलता एल्जेब्रा और ज्योमेट्री में भी होती. लेकिन श्री कैथ ने गणित को भी रुचिकर बना दिया था, वे सवालों को इतना छोटा बनाने में सफल हो गये थे जिससे वे आसानी से मुझे समझ आ जाते थे. उन्होंने मेरे दिमाग को सजग, उत्सुक बनाये रखा और इसे इस तरह तैयार किया कि पागलों की तरह भटकने और कहीं नहीं पहुंचने के बजाय यह स्पष्ट तर्क दे सके और शांति और तर्कपूर्ण ढंग से निष्कर्ष पर पहुंच सके. चाहे मैं कितनी ही सुस्त क्यों न होऊं, वे हमेशा शांत और सहिष्णु थे, और विश्वास करो, मेरी मूर्खता अक्सर काम के धैर्य को समाप्त कर देती थी.
29 और 30 जून 1899 को मैंने रेडक्लिफ कॉलेज के लिए फाइनल परीक्षा दी. पहले दिन आरम्भिक ग्रीक और उच्च लैटिन और दूसरे दिन ज्योमेट्री, एल्जेब्रा और उच्च ग्रीक का पेपर था.
कॉलेज प्राधिकारियों ने मिस सुलिवन को मेरे लिए परीक्षा पत्र पढ़ाने की अनुमति नहीं दी इसलिए पर्किंस इस्टीट्यूशन फोर ब्लाइंड के एक टीचर श्री यूजेन सी विनिंग को परीक्षा पत्रों को अमेरिकन ब्रेल में कोली करने के लिए नियुक्त किया गया. विनिंग मेरे लिए अजनबी थे और ब्रेल लिखने के अलावा वे किसी भी तरह मुझसे बातचीत नहीं कर सकते थे. निरीक्षक भी अजनबी था. उसने मुझसे किसी भी तरीके से बात करने की कोशिश नहीं की.
भाषाओं के लिए ब्रेल अच्छे से काम आयी लेकिन ज्योमेट्री और एल्जेब्रा में परेशानियां आयीं. मैं बहुत बुरी तरह हैरान हो गयी और बहुमूल्य समय को बर्बाद होने से मुझे बहुत हतोत्साहित महसूस हुआ विशेष रूप से एल्जेब्रा में. यह सही है कि इस देश में सामान्य रूप से काम आने वाली सभी साहित्यिक ब्रेल से मैं परिचित थी- जैसे इंग्लिश, अमेरिकन और न्यूयॉर्क पाइंट, लेकिन इन तीनों ही सिस्टम में ज्योमेट्री और एल्जेब्रा चिह्न और संकेत बहुत कठिन थे तथा मैंने एल्जेब्रा में मैंने केवल इंग्लिश ब्रेल को ही काम में लिया था.
परीक्षा के दो दिन पहली श्री विनिंग ने मुझे हार्वड के एल्जेब्रा के पुराने पेपर की एक कॉपी भेजी. मैंने देखा कि वह पेपर अमेरिकन नोटेशन में था. मैं तुरंत बैठ गयी और श्री विनिंग को लिखा कि वे मुझे सभी चिह्न समझाएं. लौटती डाक से मुझे दूसरा पेपर और चिह्न की सूची मिली. मैं वे नोटेशन याद करने बैठ गयी. लेकिन एल्जेब्रा की परीक्षा के पहले वाली रात जब मैं कुछ कठिन उदाहरणों से जूझ रही थी, तो मैं ब्रेकैटस, ब्रेस और रेडिकल का संयोजन नहीं बता पायी. हम दोनों, श्री कैथ और मैं, परेशान थे और कल की परेशानियों का पूर्वाभास कर रहे थे. लेकिन हम परीक्षा शुरू होने से कुछ पहले ही कॉलेज पहुंच गये और श्री विनिंग ने अमेरिकन संकेत पूरी तरह समझा दिया.
(लेखक हिंदी अधिकारी रहे हैं और कई पुस्तकों के लेखन के साथ कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया है)
( साभार -नवनीत हिंदी डाइजेस्ट के जनवरी 2014 के अंक से )