ब्रिस्बेन: ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में भारतीय मूल के 12 वर्षीय हिंदू फुटबॉल खिलाड़ी शुभ पटेल को तुलसी की माला (कंठी माला) पहनने की वजह से खिलाने से मना कर मैदान से बाहर निकाल दिया गया। द ऑस्ट्रेलिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, शुभ को रेफरी ने माला उतारने के लिए, जिससे उसने इनकार कर दिया, यह माला शुभ ने 5 साल की उम्र से पहनी हुई है। शुभ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ‘महज एक फुटबॉल मैच के लिए मैं इसे तोड़ने की जगह अपने धर्म का पालन करना पसंद करूँगा।’
टूवॉन्ग क्लब के युवा सदस्य शुभ ने बताया कि माला उतारना हिंदू धर्म के विरुद्ध है। उल्लेखनीय है कि सनातन परंपरा में पूजा में प्रसाद के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली तुलसी की माला को धारण करना और उससे जप करना अत्यंत ही मंगलकारी माना गया है। स्वामीनारायण के भक्त शुभ ने आगे कहा कि, ‘यदि मैं इसे उतार देता, तो उस वक़्त भगवान को लगता कि मुझे उन पर भरोसा नहीं है।’ शुभ ने जोर देते हुए कहा कि माला उसे आत्मविश्वास देती और उसे सुरक्षित महसूस कराती है। इसके बाद शुभ एक कोने में बैठकर अपनी टीम को खेलते हुए देखने लगा। यह पहली बार था, जब शुभ को अपनी माला उतारने के लिए कहा गया। रिपोर्ट बताती है कि उन्होंने 15 मैच माला पहनकर ही खेले हैं और एक बार भी उन्हें अपने कोच या टीम के साथी द्वारा उन्हें माला उतारने को नहीं कहा गया था।
क्या कहते हैं नियम ?
कथित तौर पर, फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) के नियमों के मुताबिक, एक खिलाड़ी को खेलते वक़्त कोई भी उपकरण या कुछ भी खतरनाक चीज नहीं पहनना चाहिए। 2014 से पहले फीफा ने भी हिजाब पर बैन लगाते हुए कहा था कि इससे खिलाड़ी के सिर या गर्दन पर चोट लगने की आशंका रहती है।