Saturday, December 21, 2024
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1500 डमरु के नाद से गूँज उठी महाकाल की नगरी

एक साथ लाखों दीपक प्रज्जवलन, मिट्टी की गणेश मूर्तियों का के निर्माण को विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने वाले शहर में एक और विश्व रिकॉर्ड बन गया है। सावन महीने का तीसरा सोमवार उज्जैन में नई आभा लेकर आया। श्रावण मास के तीसरे सोमवार भगवान महाकाल की सवारी के पहले  भस्मारती में  और सवारी के दौरान 1500  वादकों ने डमरू वादन कर विश्व कीर्तिमान रच दिया।
एस्सेल समूह के अध्यक्ष डॉ. सुभाष  चन्द्रा ने इस अभिनव अध्यात्मिक प्रयोग पर अपनी शुभकामना देते हुए कहा कि यह अलौकिक और अद्भुत तस्वीर रही। महाकाल की नगरी ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल लोक स्थित शक्ति पथ पर 1,500 डमरू वादकों ने मनमोहक लयबद्ध प्रस्तुति देकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। उज्जैन में 1,500 वादकों ने डमरू वादन कर फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन न्यूयॉर्क के 488 डमरू वादन का रिकार्ड तोड़ा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर उज्जैन ने डमरू वादन का विश्व कीर्तिमान रचा। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एडिटर ऋषिनाथ ने डमरू वादन के वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। सीएम यादव ने डमरू वादन के विश्व रिकॉर्ड के लिए उज्जैन को बधाई और शुभकामनाएं दीं।

25 दलों के 1,500 डमरू वादकों ने भस्म आरती की धुन पर डमरू वादन कर भगवान महाकाल की स्तुति की। गिनीज बुक विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए एक साथ 1,500 कलाकार भगवान शिव के प्रिय वाद्य डमरू, झांझ मंजीरे की सुरमयी मंगल ध्वनि आकर्षण का केंद्र बन गई।

सवारी में उत्साह और आकर्षण को और अधिक बढ़ाने के क्रम में जनजातीय कलाकारों की प्रस्तुति, 350 जवानों के पुलिस बैंड की प्रस्तुति के बाद अब सवारी में डमरू वादन की प्रस्तुति ने एक अलग रोमांच पैदा किया।
समूची उज्जैन नगरी डमरू की गूंज से गुंजायमान हो गई। महाकाल महालोक के सामने शक्ति पथ पर अद्भुत अनूठे आयोजन में भगवा वस्त्रों में डमरू वादक कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी को भाव विभोर किया।

डमरू बजाने का यह विश्व कीर्तिमान उज्जैन में ऐसे ही हासिल नहीं कर लिया। इसके लिए पूरे प्रदेश भर से डमरू वादक पिछले तीन दिनों से शक्ति पद पर जमकर मेहनत कर रहे थे।

महाकालेश्वर मंदिर की जनसंपर्क प्रभारी गोरी जोशी ने बताया कि भोपाल के डमरू वादक संस्कृति विभाग और भस्म मैया भक्त मंडली के साथ ही भोपाल, सागर, खंडवा, खजुराहो और जबलपुर डमरू वादकों ने अपनी प्रस्तुति दी, जिसके कारण ही यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बन सका।

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