श्री जगन्नाथपुरी धाम (ओड़िशा) में भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन एवं अन्य देव-देवियों आदि की 21दिवसीय बाहरी चंदनयात्रा इस वर्ष 10 मई अर्थात् आगामी अक्षय तृतीया से पुरी के चंदन तालाब में अनुष्ठित होगी।चंदन तालाब को नरेन्द्र तालाब भी कहा जाता है। इस यात्रा के अलौकिक आयोजन की परम्परा लगभग एक हजार वर्ष पुराना और अत्यंत गौरवशाली परम्परा है जिसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु जगन्नाथ भक्त पुरी धाम में लगभग एक महीने तक रहकर उसका अलौकिक आनंद लेते हैं।
चंदन तालाब को पूरी तरह से स्वच्छ तथा उसके आसपास की जगह को साफ-सूथराकर उसे बिजलीबत्ती की रोशनी से आलोकित कर दिया जाता है जैसे रात को दिन में बदल दिया गया हो। जैसाकि सर्वविदित है कि भगवान जगन्नाथ भोजन प्रिय देव हैं जो प्रतिदिन 56 प्रकार के भोग ग्रहण करते हैं। वे वस्त्र प्रिय कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म देव हैं जो प्रतिदिन अपनी रुचि के अनुसार वस्त्र परिवर्तन करते हैं।ठीक उसी प्रकार वे जल प्रिय देव भी हैं और उसी का प्रत्यक्ष प्रमाण है उनकी 21 दिवसीय बाहरी चंदनयात्रा जो अक्षय तृतीया के दिन से चंदन तालाब में अनुष्ठित होती है। भगवान जगन्नाथ एक साधारण मानव की तरह ही मानव शरीर के सुख-दुख का अनुभव करते हैं। वे वैशाख-जेठ मास की भीषण गर्मी से परेशान होकर चंदन तालाब में कुल 21 दिनों तक शीतलता हेतु चंदन का लेप लगाकर मलमलकर स्नान करते हैं।नौका विहार करते हैं और कुछ देर तालाब के बीचोंबीच निर्मित चंदन घर में अपराह्न से लेकर मध्यरात्रि तक विश्राम करके प्रतिदिन अपने श्रीमंदिर लौट आते हैं।
श्रीमंदिर प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार आगामी 10 मई,अर्थात् अक्षय तृतीया के दिन से श्रीमंदिर की समस्त रीति-नीति के तहत जातभोग संपन्न कर अपराह्न बेला में भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन, रामकृष्ण, बलराम, पंच पाण्डव, लोकनाथ, मार्कण्डेय, नीलकण्ठ, कपालमोचन, जम्बेश्वर लक्ष्मी, सरस्वती आदि को अलौकिक शोभायात्रा के मध्य पुरी नगर परिक्रमा कराकर चंदन तालाब लाया जाता है।आगामी 10 मई से अर्थात् अक्षय तृतीया के दिन से भगवान जगन्नाथ की विजय प्रतिमा मदनमोहन, रामकृष्ण, लक्ष्मी, सरस्वती आदि को स्वतंत्र पालकी में आरुढ कराकर श्रीजगन्नाथ मंदिर की 22 सीढियों पर लाया जाएगा जहां पर पहले से ही प्रतीक्षारत होंगे पांच पाण्डव लोकनाथ, नीलकण्ठ, मार्कण्डेय, कपालमोचन तथा जम्बेश्वर आदि जिन्हें अतिमोहक शोभायात्रा के मध्य लगातार 21 दिनों तक चंदन तालाब लाया जाएगा।
शोभायात्रा अलौकिक होती है जिसमें प्रतिदिन 21 दिनों तक आगे-आगे परम्परागत बनाटी कौशल प्रदर्शन, तलवार चालन, पाईक नृत्य और भजन-संकीर्तन के मध्य देव प्रतिमाओं को चंदन तालाब लाया जाता है जहां पर पहले से ही गजदंत आकार की नौकाएं एकसाथ जोडकर तथा हंस के आकार की तैयार कर तथा पूरी तरह से सजाकर रखी रहतीं हैं। पूरे 21 दिनों तक देवों को उन नौकाओं में आरुढ कराकर चंदन तालाब के एक छोर से दूसरे छोर तक नौका विहार कराया जाता है। चंदन तालाब के मध्य अवस्थित चंदनघर ले जाकर उन्हें चंदन का लेप लगाकर सुवासित जल से उन्हें पवित्र स्नान कराया जाता है। गौरतलब है कि कुल लगभग तीन एकड में फैले चंदन तालाब को बिजली की रोशनी से अति सुंदर तरीके से आलोकित किया जाता है जिसके देश-विदेश के हजारों जगन्नाथ भक्त दर्शनकर अपने सनातनी जीवन को प्रतिवर्ष सार्थक करते हैं।
(लेखक ओडिशा की साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों पर नियमित लेखन करते हैं वे राष्ट्रपति से पुरस्स्कृत हैं और भुवनेश्वर में रहते हैं)