Saturday, December 21, 2024
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4 द‍िन ‘जेल’ में काटे, 5 द‍िन भूखे रहे; नारायण मूर्ति

इंपोसिस के संस्थापक और दिग्गज ँभारतीय कारोबारी एन नारायण  मूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित विशेष कार्यक्रम में अपने 120 घंटे भूखे रहने वाला किस्सा सुनाते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने 4 दिन जेल में काटे और पाँच दिन भूखे रहे। .

उन्होंने  बताया क‍ि वह एक बार ट्रेन से सफर कर रहे थे. उस दौरान वह एक लड़की से बात करने लगे. कुछ देर बार देखा कि उसका पत‍ि कुछ पुलिस वालों के साथ वहां पहुंच गया. बात 70 के दशक की है. विदेश में नौकरी करते हुए एन नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने यूरोप घूमने का फैसला किया. अपने कर‍ियर की शुरुआत में उन्‍हें यह आइड‍िया था क‍ि घूमने का फैसला अब नहीं ल‍िया तो घूम नहीं पाएंगे और दुनिया को समझ नहीं पाएंगे. बस फ‍िर क्‍या वो न‍िकल पड़े सैर पर, लेकिन हिचहाइकिंग के जरिये. पश्चिमी देशों में  हिचहाइकिंग यानी लिफ्ट लेकर फ्री में ट्रैवल करने का तरीका होता है।नारायण मूर्ति  ने अपनी कहानी एक ट्रैवलर पत्रिका के साथ शेयर की है. उन्‍होंने बताया कि कैसे उन्‍होंने अपनी सैलरी से 5,000 यूएस डॉलर बचाए थे, जिनमें से उन्‍होंने 450 अमेरिकी डॉलर अपने पास रखे और बाकी दान कर द‍िये. बचाए गए 450 डॉलर में से कुछ बचाए तो कुछ से जरूरी सामान खरीदकर वह सैर सपाटा करने न‍िकल गए. इस दौरान लिफ्ट लेकर अपना सफर पूरा क‍िया.

यूरोप के कई शहर घूमते हुए मूर्ति निश पहुंचे जो अब सर्बिया में है, उस समय यह यूगोस्लाविया था तब. वहां खाने के लिए रेस्तरां गए तो खाना नहीं मिला. वह शनिवार की रात थी. अगले दिन संडे था. मूर्ति बताते हैं कि फिर वह सोफिया एक्सप्रेस में सवार हुए. उनकी सीट के ठीक सामने युवा जोड़ा बैठा था. मूर्ति को अंग्रेजी, फ्रेंच और रूसी भाषा अच्छी तरह बोलनी आती थी तो वह लड़की से बात करने लगे. कुछ देर बार देखा कि लड़का कुछ पुलिस वालों के साथ वहां पहुंच गया और कुछ बातचीत करने लगा. अगले ही पल मैंने खुद को धक्का खाते, ट्रेन से धकेल के ले जाते पाया. कुछ ही देर में 8 बाई 8 के कमरे में खुद को बंद पाया.

सुबह से शाम हो गई लेक‍िन यहां भी खाने को कुछ नहीं मिला. मुझे लगा अब मैं नहीं जी पाऊंगा… मुझे गुरुवार को बाहर निकाला गया. मूर्ति के अनुसार तब मुझे ईस्ट और वेस्ट यूरोप के बीच का अंतर समझ में आया. वेस्ट में तरक्की थी खुले विचारों के थे जबकि ईस्ट में वामपंथ का दबदबा था. इस तरह मैं पूरे 120 घंटे भूखा रहा. उस भूख ने मुझे कन्फ्यूज लेफ्टिस्ट से धुर कैप्टलिस्ट बना दिया. मेरी सोच बदल गई. मुझे पूंजीवाद की अहमियत समझ आई, मैंने समझा कि देश के लिए पूंजीवादी जरूरी है, ऐसे व्यवसायी जरूरी हैं जो जॉब्स का सृजन करें और यह देश की तरक्की के लिए जरूरी है. नारायण मूर्ति ने अपने इसी टेलीफोनिक इंटरव्यू के अंत में कहा और शायद इसी घटना ने मुझे इंफोसिस का आईडिया भी दिया.

इंफोस‍िस का शेयर मंगलवार को आधा प्रत‍िशत की तेजी के साथ 1873 रुपये पर बंद हुआ. इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 7,77,898 करोड़ रुपये हो गया है. शेयर का 52 हफ्ते का हाई लेवल 1,903 रुपये और लो लेवल 1,352 रुपये है.

साभार- ज़ी न्यूजं से 

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