भारतीय सेना प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले 15 लाख भारतीय सिपाहियों और अपनी जान न्यौछावर करने वाले 74 हजार से भी अधिक सिपाहियों की स्मृति में 10 से 14 मार्च 2015 तक नई दिल्ली में शताब्दी समारोह का आयोजन कर रही है। 10 मार्च को न्यूवे चैवल के युद्ध के रूप में याद रखा जाता है जिसमें फ्रांस के आटोइस क्षेत्र में ब्रिटिश हमले की शुरूआत हुई थी जिसमें भारतीय सेना की भी गढ़वाल बिग्रेड और मेरठ डिविजन ने भाग लिया था। वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक की अवधि को प्रथम विश्व युद्ध के शताब्दी समारोह के रूप में मनाया जा रहा है।
शताब्दी समारोहों के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण किया। रक्षा मंत्री, रक्षा राज्यमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव और इस युद्ध में भाग लेने वाली रेजिमेंट के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
10 से 14 मार्च 2015 तक मानिकशॉ सेंटर में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें इस युद्ध में भारत की भूमिका को दर्शाया गया है। यह प्रदर्शनी आम जनता, स्कूलों और कालिजों के लिए 11 से 13 मार्च 2015 तक खुली रहेगी।
बलिदान के बारे में जानकारी देने के लिए आज शाम एक समारोह में थल सेना अध्यक्ष प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की भूमिका और योगदान पर गणमान्य अतिथियों को संबोधित करेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी प्रथम दिवस कवर स्मारिका जारी करेंगे। राष्ट्रपति इसके साथ ही प्रदर्शनी का अवलोकन भी करेंगे जिसमें गैलन्ट्री हॉल भी सम्मिलित है जिसमें यह महान युद्ध कैसे लड़ा गया और जीता गया के साथ-साथ भारतीय सैनिकों के युद्ध क्षेत्र और घर के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को भी दर्शाया गया है। इसमें 13 अभियानों, युद्ध के हथियारों और उपकरणों, स्मरणीय वस्तुओं और विभिन्न शिल्पकृतियों को दर्शाया गया है।