देश में पत्रकार कितने असुरक्षित हैं इस बात का खुलासा भारतीय प्रेस परिषद की उस रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें बताया गया है कि देश में पिछले ढाई दशक (1990-2015) में 80 पत्रकार मारे गए हैं।परिषद की माने तो, पत्रकारों के लिए सबसे असुरक्षित पूर्वोत्तर राज्य है, जहां 80 में से सबसे ज्यादा 32 पत्रकार यहीं मारे गए हैं, जबकि इसके बाद असम का नंबर आता है, जहां 22 पत्रकारों की जान चली गई।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि अब तक मारे पत्रकारों के 93 प्रतिशत मामले में किसी को सजा नहीं हुई है। भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारों की सुरक्षा पर गठित उप समिति के सदस्य के.अमरनाथ ने गुरुवार को पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से पत्रकारों के लिए सबसे बुरा हाल पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर है, जहां उनके लिए परिस्थितियां सबसे खराब है।
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने असम के पुलिस महानिदेशक से पत्रकारों की हत्या के बारे में जानकारी मांगी तो हमें बताया गया कि उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है और वे इस संबंध में जानकारी भेज देंगे लेकिन पिछले दो साल में वहां से कोई रिपोर्ट नहीं आई।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी टीम ने उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिलकर राज्य में पत्रकारों पर हिंसा की हालत के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि वे रिपोर्ट भेजेंगे पर आज तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि हम लोगों ने 11 राज्यों का दौरा कर 1200 पत्रकारों, संपादकों से मिलकर पिछले 25 वर्ष में मारे गए पत्रकारों का यह आंकड़ा इकट्ठा किया है। इसमें 1999 में तेलंगाना के इनाडू के रिपोर्टर मल्लेपुल्ला नरेंद्र से लेकर जगेंन्द्र सिंह तथा संदीप कोठारी का भी जिक्र है, जिनकी हत्या कर दी गई।
साभार- http://www.samachar4media.com/ से