ओलंपिक में सेल्फी को लेकर विवादों में आई देश की एक मात्र महानतम लेखिका के बयान को मीडिया वालों ने और देश विरोधी लोगों ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। अंग्रेजी अखबारों में देश की समस्याओँ पर लिखने वाले कई लेखकों के समूह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि देश की वह महान लेखिका यह कहना चाहती थी कि ओलंपिक में जाने वाले जाने वाले सभी भारतीय खिलाड़ियों को सेल फ्री दिया जाए। सेल फ्री को लोगों ने सेल्फी करके बात का बतंगड़ कर दिया। बयान में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि वो देश के और पाकिस्तान के जैश के कई मुद्दों पर गंभीर (या बेमतलब के) लेख अंग्रेजी अखबारों में लिख रही है,लेकिन कोई नोटिस नहीं ले रहा था और कहीं भी न तो इसको लेकर विवाद हो रहा था न कोई बयान दे रहा था। इससे उनको लगा कि देश के लोग अब अंग्रेजी पढ़ना पसंद नहीं करते। लेकिन फिर हमने सोचा कि मोदीजी के हिन्दी में भाषण देने की वजह से लोगों ने अंग्रेजी पढ़ना और उस पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दी होगी।
अंग्रेजी के इन तमाम लेखकों ने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि आजकल अंग्रेजी में कुछ भी लिखो न कोई पढ़ता है, न प्रतिक्रिया देता है न टीवी चैनलों पर उसकी चर्चा होती है। इस पर हम सब अंग्रेजी के लेखक-लेखिकाओं ने तय किया था कि ट्वीटर या फेसबुक पर मोदीजी की स्टाईल में मन की बात करना चाहिए। लेकिन मन की बात के लिए कोई टॉपिक ही नहीं मिल रहा था। पहले तो गाय पर कुछ लिखने की इच्छा हुई मगर जैसे ही मोदीजी गौरक्षकों को गुंडा घोषित किया हमारी हिम्मत जवाब दे गई। तो फिर ले-देकर हमाारे पास दो ही टॉपिक थे जिन पर हम लिख सकते थे, एक तो स्वतंत्रता दिवस और दूसरा रियो ओलंपिक। स्वतंत्रता दिवस पर हम इसलिए कुछ नहीं लिख पाए कि हमको स्वतंत्रता दिवस के बारे में गाँधीजी और नेहरु जी के अलावा कोई नाम ही याद नहीं आ रहा था कि इनके अलावा और कौन था जिसकी वजह से आज़ादी मिली। गूगल पर भी खूब सर्च किया तो ले-देकर गाँधी और नेहरु का ही नाम सामने आया। लेकिन हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने और राडिया भक्त पत्रकारों ने हमें खबर दी कि अब गाँधी नेहरु का जमाना लद गया, कुछ नया सोचो। इसी चक्कर में कई दिन निकल गए।
इधर अचानक गूगल पर मोदीजी का कोई पुराना बयान देखने में आया ‘सेल्फी विथ डाटर’ -इस बयान को पढ़ने के बाद हमें प्रेरणा मिली कि रियो ओलंपिक को सेल्फी से जोड़ सकते हैं। मोदीजी की सेल्फी की इसी भावना के वशीभूत होकर हम बयान देना चाहते थे कि रियो ओलंपिक में हमारे जो भी खिलाड़ी पदक के साथ साथ अच्छी सेल्फी भी खिंचवाकर आएँगे उसे हम सेल फ्री देंगे। लेकिन ट्वीटर पर 140 शब्दों की सीमा होने और देऱ रात एक उद्योगपति के यहाँ हुई पार्टी में देर रात तक देश की सेंसेक्स की समस्याओं पर चर्चा की वजह से सुबह हमारी खुमारी नहीं उतरी और हम अपनी भावनाओं को सही शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाए। अब हमने तय किया है कि कोई खिलाड़ी पदक लेकर आए या न आए अगर सेल्फी लेकर भी आएगा तो हम उसे पुरस्कृत करेंगे।
इधर ओलंपिक में गए खिलाड़ियों ने इन अंग्रेजी के गुलाम लेखकों को देश का दुश्मन बताते हुए कहा है कि ये अंग्रेजी बोतल और अंग्रेजी भाषा के असर में कुछ भी उलुल-जुलुल लिखते रहते हैं, इनसे सम्मानित होने की बजाय हम अपने पदक अपने गाँव की पंचायत को सौंप देंगे।