वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिससे गांधी बकरी बांधा करते थे।
किंतु वो रस्सी कहाँ है जिसपे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू हँसते हुवे झूले थे ?
हालात-ए-मुल्क देखकर रोया न गया।
कोशिश तो की पर मुँह ढँककर सोया न गया।
देश मेरा क्या बाजार हो गया है,
पकड़ता हूँ तिरंगा तो लोग पूछते है कितने का है ?
बरसों बाद एक नेताको गंगा की आरती करते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ाते देखा है।
बरसों बाद एक नेता को अपनी राष्ट्रभाषा में बोलते देखा है,
वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है।
बरसों बाद एक नेता को स्टॅच्यू ऑफ़ यूनिटी बनते देखा है,
वरना अब तक एक परिवारकी मूर्तियाँ बनाते देखा है।
बरसों बाद एक नेता को संसद भवन की माटी चूमते देखा है,
वरना अब तक इटालियन सैन्डल चाटते देखा है।
बरसों बाद एक नेता को देशके लिए रोते देखा है,
वरना अब तक ' मेरे पति को मार दिया ' कह कर वोटों की भीख माँगते देखा है।
पाकिस्तान को घबराते देखा है,
अमेरिका को झुकते देखा है,
इतने बरसो बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।