आईटी ऐक्ट के सेक्शन 66 ए को रद्द करने के ऐतिहासिक फैसले के पीछे दिल्ली की श्रेया सिंघल का बड़ा हाथ है। 21 साल की श्रेया ने ही सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी जिसके पक्ष में यह फैसला आया है। श्रेया दिल्ली की रहने वाली हैं और कुछ ही समय पहले यूके में पढ़ाई खत्म करके लौटी हैं।
श्रेया को इस ऐक्ट के तानाशाही रवैये पर आपत्ति थी। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यामूर्ति श्री अल्तमस कबीर ने भी कहा कि उन्हें हैरानी है कि इससे पहले किसी ने इस धारा को चुनौती क्यों नहीं दी? यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के अंतर्गत मिलने वाली अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है। इस फैसले के बाद फेसबुक, ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर की जाने वाली टिप्पणी के लिए पुलिस आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं कर पाएगी।
श्रेया कहती है कि वह एक छात्र प्रतिनिधि है। वह अपने मन की बात दूसरों से कहना पसंद करती है। हममें से हर व्यक्ति रोजाना कितनी बार अपने मन की बात कहता है। अगर हमें अपनी बात कहने नहीं दिया जाएगा तो हमारा समाज गूंगा हो जाएगा।
2013 में महाराष्ट्र में दो लड़कियों को शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे पर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसी के बाद श्रेया सिंघल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
श्रेया अपने परिवार की इकलौती संतान है। दिल्ली के वसंत वैली स्कूल की पढ़ी हुई है और उसने यूके की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी से एस्ट्रोफिजिक्स की तीन साल की पढ़ाई की है। अब वह कानून की पढ़ाई करने का इरादा रखती है। उसकी मांँ भी सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं जिन्होंने अपनी बेटी को हर तरह से प्रोत्साहित किया। श्रेया की नानी एक जज रह चुकी हैं।
वैसे श्रेया फेसबुक पर बहुत सक्रिय नहीं रहती और ट्विटर पर उसका एकाउंट नहीं है।
साभार- समाचार4मीडिया से