जाने-माने साहित्यकार कैलाश वाजपेयी का हृदयगति रुकने के कारण निधन हो गया है। उन्हें साहित्य अकादमी सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। वाजपेयी 81 वर्ष के थे।
लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद उन्होंने अध्यापन से करियर आंरभ किया। दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई विदेशी संस्थानों में भी उन्हें अध्यापन किया। भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ और कवि के रूप में उनकी ख्याति अधिक थी।
दिल्ली दूरदर्शन के लिए उन्होंने कबीर, हरिदास स्वामी, सूरदास, जे कृष्णामूर्ति, रामकृष्ण परमहंस और बुद्ध के जीवन-दर्शन पर फिल्में बनाईं। वह दूरदर्शन की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे।
वाजपेयी की प्रमुख कृतियों में संक्रान्त, देहांत से हटकर, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का मध्यांतर, प्रतिनिधि कविताएं, सूफीनामा, भविष्य घट रहा है, हवा में हस्ताक्षर, शब्द संसार, अनहट शामिल हैं। विवेकानंद के जीवन पर आधारित नाटक 'युवा संन्यासी' और प्रबंध काव्य 'पृथ्वी का कृष्णपक्ष' भी उनकी महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।
उन्हें 1995 में हिंदी अकादमी सम्मान, 2002 में व्यास सम्मान दिया गया। 2009 में वे कविता संग्रह 'हवा में हस्ताक्षर' के लिए साहित्य अकदमी से सम्मानित किए गए। कैलाश वाजपेयी अमर उजाला के लिए कॉलम भी लिखते थे।