देश से फरार हुआ दिवालिया उद्योगपति विजय मल्या और मेसर्स किंगफिशर एयरलाइन्स लिमिटेड को दिया हुआ लोन और लोन देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की बैठक में मंजूर प्रस्ताव की जानकारी न देकर सरकार और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया विजय मल्ल्या को मदत करनेवाले बड़े आसामियों को बचाने का आरोप आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लगाया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जानकारी मांगी थी कि विजय मल्या को दिया हुआ लोन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में पेश किया हुआ एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव और मिनट्स की कॉपी दे। अनिल गलगली के आवेदन पर जबाब देते हुए तनावग्रस्त प्रबंधन शाखा के उप महाप्रबंधक ने बताया कि यह मामला न्यायप्रविष्ठ और जांच प्राधिकरण के समक्ष प्रलंबित हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (ज) अन्वये सूचना देने से इनकार किया गया। इस धारा के अनुसार ” जिस जानकारी से अपराधियों की जांच करना या उसे गिरफ्तार करना या उसपर मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में रुकावट आएगी, ऐसी जानकारी ” ताज्जुब की बात यह हैं कि जिस बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में विजय मल्या को लोन मंजूर किया गया उस बैठक में उपस्थितों की लिस्ट भी नहीं दी गई।
अनिल गलगली ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इस तर्क वाले आदेश के खिलाफ प्रथम अपील दायर की हैं।अनिल गलगली के अनुसार विजय मल्या जैसे दिवालियों को जिन अधिकारियों ने मदद की हैं उनके नाम को सार्वजनिक करने के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में पेश किया हुआ एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव और मिनिट्स की जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मल्या तो दोषी हैं लेकिन उन्हें मदद करनेवाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी भी जो जनता के पैसे सुरक्षित रखने में असफल हुए हैं और जिन्हें आजतक गिरफ्तार नहीं किया गया हैं । विजय मल्ल्या को मदत करनेवाले बड़े आसामियों का नाम सार्वजनिक न करने में कौनसा बड़ा राष्ट्रीय हित प्रभावित होगी?
अनिल गलगली
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