प्लास्टिक बोतलों में दवाओं की सप्लाई बंद होनी चाहिए। प्लास्टिक बोतलों में यूनानी दवाओं के बेअसर होने की बात करते हुए अब यूनानी डॉक्टरों ने आयुष मंत्रालय से यह मांग की है। यूनानी डॉक्टरों का कहना है कि यह साफ हो चुका है प्लास्टिक बोतल में दवा का असर कम होता है। इस बारे में ऐलोपैथ के अडवाइजरी बोर्ड ने भी कह दिया है, लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है। आल इंडिया यूनानी सिद्धि कांग्रेस ने आयुष मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर मांग की है कि प्लास्टिक बोतल में दवा की सप्लाई बंद की जाए, इसकी जगह कांच की बोतल में दवा की सप्लाई की जाए।
ऑल इंडिया यूनानी सिद्धा कांग्रेस के महासचिव डॉ. एस. ए. खान ने कहा कि दवा की क्वॉलिटी की जांच के लिए क्वॉलिटी एस्योंरेंस कमिटी ने पहले ही सिफारिश की है कि प्लास्टिक के बोतल में दवा बेअसर होती है। मेडिसिन लिक्विड प्लास्टिक के साथ रिऐक्शन करता है और इससे टॉक्सिसिटी बढ़ जाती है। मरीजों को सेफ दवा चाहिए, न कि टॉक्सिसिटी के साथ दवा चाहिए। यह एक गंभीर मुद्दा है, इसे तुरंत प्रभाव से रोका जाए क्योंकि ऐसी दवाई से मरीजों को नुकसान होने का खतरा बना हुआ है।
डॉ. खान ने कहा कि यूनानी अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी है। यूनानी डॉक्टरों ने आयुष मिनिस्टर से मिलकर यह मांग उठाई है। आज स्थिति यह है कि यूनानी अस्पताल में 50 पर्सेंट भी दवा नहीं है। हमारी मांग है कि जो मरीज यूनानी दवा लेना चाहते हैं, उन्हें दवा मिल जाए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। इंडियन मेडिसिन ऑफ फार्मासूटिकल लिमिटेड का काम दवा उपलब्ध कराना है। उसके मॉडल के आधार पर ही दवा बनाई जाती है, लेकिन दवा अस्पतालों में सप्लाई नहीं हो पा रही है।
असोसिएशन का कहना है कि इस मांग को लेकर कई बार मिनिस्ट्री को रिमाइंडर भेजा जा चुका है। साल में दो बार अस्पतालों को अपनी डिमांड भेजनी होती है। पहली किस्त के लिए मार्च में डिमांड भेजी गई थी। दो महीने पहले तक आधी डिमांड पूरी हुई है। मरीजों को दवा नहीं मिल रही है। ओपीडी में आने वाले मरीज को आधी दवा भी नहीं मिलती है। इस कारण मरीजों को दवा बाहर से खरीदनी होती है। हमारी मांग है कि सरकार इसे गंभीरता से ले और कांच के बोतल में दवा की सप्लाई हो और पर्याप्त दवा दी जाए।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से