नई दिल्ली। दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली को विकास और समृद्धि की ओर अग्रसर करने में सक्रिय, साफ-सुथरी एवं मूल्यों पर आधारित राजनीति की सर्वाधिक आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है राजनीति में शासक नहीं, सेवक आगे आए। मैं शासक नहीं, सेवक हूं।
श्री तिवारी दिल्ली भाजपा के कार्यालय में प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी से आशीर्वाद ग्रहण करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग ने गुलदस्ता भेंट कर श्री तिवारी का स्वागत किया। किसान यात्रा संदेश के संपादक पं. नरेन्द्र शर्मा ने पत्रिका का नवीन अंक भेंट किया।
श्री मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली का विकास सत्ता और स्वार्थ की राजनीति के कारण अवरुद्ध है। जो केवल अपना हित सोचते हैं वे राजनीति के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं। श्री तिवारी ने गणि राजेन्द्र विजयजी के द्वारा आदिवासी उत्थान के लिए किये जा रहे शिक्षा, सेवा एवं जनकल्याण के कार्यक्रमों की सराहना की।
गणि राजेन्द्र विजयजी ने इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आज राजनीति का अर्थ देश में सुव्यवस्था बनाये रखना नहीं बल्कि अपनी सत्ता और कुर्सी को बनाये रखना है। संतुलित एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिए आर्थिक विसंगतियों के साथ-साथ राजनीतिक विषमताओं को भी दूर करना जरूरी है। उन्होंने आदिवासी उत्थान की अपेक्षा महसूस करते हुए कहा कि देखा गया है कि एक ओर लोगों के पास चढ़ने को साईकिल भी नहीं है दूसरी ओर नेता लोग लाखों रुपयों की कीमती कारों में घूमते हैं। पिता मिठाई खाये और बच्चे भूखे मरे- क्या यह भी कोई सुखी परिवार और सुखी राष्ट्र की तस्वीर है?
सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में गतिमान आदिवासी अहिंसक ग्राम योजना की जानकारी देते हुए बताया कि सुखी परिवार फाउंडेशन की यह एक अभिनव आदिवासी उत्थान की योजना है जिसके अंतर्गत आदिवासी लोगों को निःशुल्क आवास उपलब्ध कराया जाएगा और इसके साथ-साथ आदिवासी लोगांे के लिए शिक्षा, सेवा, संस्कार-निर्माण, नशामुक्ति एवं महिला उत्थान के उपक्रम किये जायेंगे।
प्रेषकः
(ललित गर्ग)
संयोजक-सुखी परिवार फाउंडेशन
10, पंडित पंत मार्ग, नई दिल्ली-110001
मो. 9811051133
फोटो परिचयः
दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी से चर्चा करते हुए आदिवासी संत गणि राजेन्द्र विजयजी। साथ में हैं श्री ललित गर्ग एवं पं. नरेन्द्र शर्मा।