“पंडित जी ! मेरी पत्नी अभी- अभी दो कुंडलियां आपको देकर गई है मिलान के लिए।“ “
“”हाँ !” जी ”
“”क्या कह रही थी वो ?”
“”कहती थी गुणों का मिलान होगा तभी ब्याह के लिए हामी भरेगी ।”
“ “तो पंडित जी ,आपको किसी भी तरह उन कुंडलियों का मिलान करना है.””
“”ये कैसे संभव है जजमान ?””
“”पंडित जी ! आपकी भी जवान बेटी है, ना.””
“”है तो “.”
“”सोचो जरा कोई अच्छे घर का रिश्ता खुद ब खुद चलकर आपके घर आये .””
“बहुत सौभाग्य की बात होगी .””
“”एकलौता लड़का हो , वो भी सरकारी नौकरी में ?””
“”सोने पर सुहागा .“”
“”उस पर दहेज की कोई मांग नहीं ””
“”कभी न छोडूं ऐसे रिश्ते को, गुणों का क्या, जहाँ मन के तार मिल जाएँ वहां गुण तो अपने आप ही मिल जाते हैं “
“”तो पंडित जी …क्या आदेश है ?””
“”शगुन की तैयारी कीजिये जजमान “ .”
(लेखिका सुश्री लता अग्रवाल एम ए अर्थशास्त्र. एम ए हिन्दी, एम एड. पी एच डी हिन्दी हैं और शिक्षा. एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में आपकी 53 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। जिनमें दो कविता, दो कहानी, दो समीक्षा संग्रह , अब तक 79 कहानियों का लेखन, लगभग 400 शोध पत्र लेखन। कहानी , कविता. लेख आदि का विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशन। आकाशवाणी में पिछले 9 वर्षों से सतत कविता, कहानियॉं का प्रसारण से लेकर दूरदर्शन पर कार्यक्रमों का संचालन का व्यापक अनुभव है। . पिछले 22 वर्षों से निजी महाविद्यालय में प्राध्यापक एवं प्राचार्य का दायित्व निभा रही हैं।
आप विश्व मैत्री मंच से भी जुड़ी हैं और आज भी उनका सृजन निरंतर जारी है।
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