महोदय
यह अत्यंत दुखद व निंदनीय है कि म्यंमार से भागे रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठियों को सरकार जम्मू में ‘बसाने’ की अनुमति दे रही है। इस प्रकार जम्मू क्षेत्र में जनसंख्या अनुपात को बिगाड़ कर निज़ामे-मुस्तफा कायम करने के घीनौने षड्यंत्र को क्यों रचा जा रहा है ? जबकि लगभग 5 लाख कश्मीरी हिन्दू विस्थापितों को उनके मूल स्थानों में बसाने में सरकार अभी तक असमर्थ है ।
ध्यान रहें कि 90 के दशक में कश्मीर के मूल हिन्दू निवासियो पर कट्टरपंथी मुसलमानो ने भीषण अत्याचार किये थे। उनका इतना अधिक उत्पीड़न किया गया जिससे वे वहां से पलायन करने को विवश हुए।यहां यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि कश्मीर से गैर मुसलमानों (काफिरो) को खदेडने की कुटिल व घृणित मानसिकता वहां के कट्टरपंथियों की जम्मू-कश्मीर में निज़ामे-मुस्तफा (दारुल-इस्लाम) की स्थापना का कुप्रयास है।परिणामस्वरूप पिछले लगभग 25 वर्षो से जम्मू-कश्मीर के हिन्दू विभिन्न स्थानों पर सामान्य जीवन जीने के लिए भटक रहे है।
ऐसे में जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठियों को बसाने का विचार केवल धार्मिक कट्टरता को ही बढ़ाने के संकेत है।क्या यह देश के साथ द्रोह और धर्मनिरपेक्षता पर इस्लाम का आक्रमण नहीं है ? हमको याद रखना होगा कि सीरिया-ईराक़ से शरणार्थियों के रुप में आये मुस्लिम घुसपैठियों के अत्याचारों से आज विश्व के अनेक देश पीड़ित है।जबकि हम भी पहले ही लगभग 5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आतंक व अपराध से ग्रस्त है। ऐसे में म्यंमार के मुस्लिम घुसपैठियों को प्रवेश देकर क्या आतंकियों व अपराधियों का दुःसाहस नहीं बढेगा ? क्या बढ़ती हुई राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का कभी अन्त हो पायेगा ? कब तक मुस्लिम तुष्टिकरण से हिन्दू स्वाभिमान हारता रहेगा ?
अतः केंद्र सरकार को रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों के प्रवेश को ही निषेध करना होगा साथ ही जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित सैनिक कालोनी व विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के लिए कालोनियों के निर्माण की योजनाओं को अविलंब आरम्भ करना चाहिये ।
भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
ग़ाज़ियाबाद