उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावों में जिन उम्मीदवारों को भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल, समाजवादी पार्टी, बसपा आदि प्रमुख पार्टियों ने टिकट नहीं दिया उनको लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक बिकाऊ सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा कराए गए सर्वे में ये बात सामने आई है कि इन पार्टियों ने उन लोगों को टिकट देना तो दूर उनका बायोडैटा तक नहीं लिया, जिनके खिलाफ चोरी, डकैती, लूट, अपहरण, बलात्कार, मारपीट जैसे मामलों में थानों में कोई मामला दर्ज नहीं था।
सर्वेक्षण एजेंसी को एक दावेदार ने बताया कि मैं भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा सबके पास टिकट माँगने गया तो पहले तो मुझे कहा गया कि तुमको तुम्हारे एरिये में जानता ही कौन है। जब मैने कहा कि मैं पिछले तीस साल से समाज सेवा कर रहा हूँ, गरीब बच्चों को पढ़ा रहा हूँ, क्षेत्र में वृक्षारोपण कर रहा हूँ, बुजुर्गों की सेवा कर रहा हूँ तो हर जगह मेरी मजाक उड़ाई गई। मुझे कहा गया कि ये ओल्ड फैशन की समाज सेवा चुनाव टिकट के लिए किसी काम की नहीं। आजकल तो टिकट के लिए बुजुर्गों की सेवा की बजाय अपने क्षेत्र के सबसे बड़े गुंडे या किसी बड़े नेता की सेवा करने का अनुभव होना चाहिए। अगर ये लोग तुमको नहीं पहचानते तो फिर तुमको टिकट कैसे दें, ऐसे में तो तुम्हारी जमानत जप्त हो जाएगी।
एक अन्य दावेदार ने बताया कि जब मुझे पता चला कि टिकट लेने के लिए थाने में दो चार संगीन मामलों मे रिपोर्ट दर्ज होना जरुरी है तो मैने कई थानों में जाकर खुद पुलिस वालों से कहा कि मेरे खिलाफ किसी भी मामले में रिपोर्ट दर्ज कर लो। मगर इसके लिए भी पुलिस वालों ने रिश्वत माँगी। एक पुलिस वाला तो एक लाख रु. लेकर मेरे खिलाफ हत्या, बलात्कार, अपहरण के मामले दर्ज करने के लिए भी राजी हो गया था, मगर फिर पता चला कि जिस उम्मीदवार को टिकट दिया उसके पर पहले से ही कई मामले दर्ज थे, ऐसे में अगर मैं दोचार फर्जी मामले भी दर्ज करा लेता तो मुझे टिकट नहीं मिलता। उसने अफसोस जताते हुए कहा कि कहाँ तो पुलिस वाले जबरन ही लोगों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करके रिश्वत लेकर मामले को रफा-दफा करते हैं और अब रिश्वत देने पर भी मामले दर्ज नहीं कर रहे हैं। राजनीति और पुलिस का स्तर कितना गिर गया है।
एक अन्य दावेदार ने कहा कि मैं जिस भी पार्टी के पास गया और कहा कि मैं स्वच्छ छवि का व्यक्ति हूँ, मैने बरसों से इस क्षेत्र में समाजसेवा की है, तो सबने मेरा मजाक उड़ाया। टिकट बाँटने के लिए बैठे नेताओं ने मुझसे कहा कि तुम्हारे जैसे लोगों की वजह से ही राजनीति का स्तर इतना गिर रहा है। एक तरफ समाज सेवा करते हो और दूसरी ओर राजनीति में आकर चुनाव का टिकट माँगते हो। अगर तुम जैसों को टिकट दे देंगे तो ये लठैत, अपहरणकर्ता, बलात्कारी, लुटेरे, चोर, उचक्के कहाँ जाएंगे। क्या ये समाजसेवा से अपना पेट भरेंगे। और ये समाज सेवा करना भी चाहें तो इनको समाजसेवा करने कौन देगा। क्या देश में प्रजातंत्र को खतम करना चाहते हो, ये लोग भी तो देश के नागरिक हैं और समाज सेवा करना चाहते हैं। क्या समाजसेवा का ठेका तुम जैसों ने ही ले रखा है।
एक अन्य दावेदार ने रुँआसा होकर बताया कि मेरे खिलाफ तो पहले से ही कई थानों में मामले दर्ज थे और मुझे पक्का भरोसा था कि कोई न कोई पार्टी मुझे टिकट दे देगी लेकिन दूसरे उम्मीदवार ने मेरे खिलाफ पार्टी नेताओं को यह कहकर भड़का दिया कि मैने ये सब मामले जानबूझकर दर्ज करवाए हैं ताकि उसका टिकट कट जाए और मुझे टिकट मिल जाए। उसने कहा मैं चाहे जिसकी कसम खाकर कह सकता हूँ कि मेरे खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हैं वो सब असली हैं, सबूत भी चीख चीख कर कह रहे हैं कि मेरे खिलाफ कोई भी मामला फर्जी नहीं है फिर भी मेरा टिकट कट गया। उसने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि राजनीति में ऊपर बैठे नेताओँ का कितना पतन हो गया है, उनको असली और फर्जी मामलों में फर्क करना नहीं आता। जिस उम्मीदवार को टिकट दिया है वो तो इस क्षेत्र का ही नहीं है, उसके खिलाफ सब मामले दूसरे क्षेत्र के थाने में दर्ज हैं. जब उसने इस क्षेत्र में कोई अपराध ही नहीं किया तो उसे इस क्षेत्र का टिकट कैसे दे दिया गया।
एक अन्य दावेदार ने बताया कि जब मैने अपनी पार्टी वालों से कहा कि मैं पार्टी का कर्मठ कार्यकर्ता हूँ और पिछले 40 साल से पार्टी की सेवा कर रहा हूँ। तो मुझे कहा गया कि हमारे यहाँ तो उसी को टिकट दे रहे हैं जो दल बदलू हो। अगर तुमको टिकट चाहिए तो दो चार बार दूसरे दलों में शामिल होकर फिर हमारी पार्टी में शामिल हो जाओ। उसने हताश होते हुए सर्वेक्षण एजेंसी को बताया कि चुनाव में एक हफ्ता ही बचा था, ऐसे में दो तीन दलों में एक साथ दल-बदल कैसे करता। बाद में मुझे पता चला कि जिस आदमी को हमारी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है वो हमारी पार्टी के नेताओं को खुलेआम गालियाँ देता था, लेकिन उसे इसलिए टिकट दे दिया कि अगर उसे हमारी पार्टी टिकट नहीं देती तो दूसरी पार्टी उसे टिकट दे देती।