लखीमपुर: वन्य जीव सरंक्षण एवं पर्यावरण के क्षेत्र में दो दशकों से कार्य कर रहे खीरी जिले के कृष्ण कुमार मिश्र को दिल्ली की प्रतिष्ठित संस्था निवेदिता फाउंडेशन तथा ए आर फाउंडेशन द्वारा लेखन व फोटोग्राफी के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए ह्यूमैनिटी एचीवर्स अवार्ड २०१७ से सम्मानित कर रही है, कृष्ण कुमार मिश्र ने पर्यावरण व् वन्य जीवन के क्षेत्र में पक्षियों पर शोध जिसमे खीरी जनपद में ओपनबिल्ड स्टार्क्स पक्षी की ब्रीडिंग बायोलोजी का अध्ययन, तथा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय जनर्ल्स में शोध पत्र लिखे, दुधवा नेशनल पार्क की वनस्पतियों, जंतुओं और खीरी जनपद की पुरातात्विक स्थलों के सम्बन्ध में कृष्ण कुमार मिश्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखते रहे हैं।
के के मिश्र द्वारा खीरी जनपद के आस पास के तमाम महत्वपूर्ण स्थलों, प्राचीन मूर्तियों, वनस्पतियों व् जंगली जानवरों की बीस वर्षों से अधिक समय से फोटोग्राफी व् फिल्म बनाते आये है जो विभिन्न संस्थानों, अखबारों व् पत्रिकाओं में प्रदर्शित व् प्रकाशित होती आई हैं, मानव इतिहास तथा प्राकृतिक इतिहास के इस विस्तृत व् महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए, दिल्ली में २५ फरवरी को निवेदिता फाउंडेशन तथा ए आर फाउंडेशन कृष्ण कुमार मिश्र को फ्रीलांस जर्नलिज्म तथा फोटो जर्नलिज्म में इनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित करेगा।
कृष्ण कुमार मिश्र ने पर्यावरण के क्षेत्र में जागरूकता के लिए गौरैया बचाओ जन अभियान, १८५७ की क्रान्ति के महानायक राजा लोने सिंह गढ़ी सरंक्षण अभियान, तालाब बचाओ जन-अभियान की शुरुवात की तथा दुधवा लाइव हिंदी पत्रिका तथा वैज्ञानिक जर्नल की स्थापना भी जिसमे वन्य जीवन एवं कृषि से सम्बंधित जानकारी दी जाती है, जिसे न्यूयार्क यूनिवर्सिटी अमेरिका में साउथ एशिया के छात्र छात्राओं को दुधवा लाइव पत्रिका के लेखों को पढ़ाया जाता है, पर्यावरण विद कृष्ण कुमार मिश्र को इससे पूर्व में लेखन तथा वन्य जीव सरंक्षण में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जर्मनी के डायचे वैले संस्थान द्वारा द बाब्स पुरस्कार, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ई- उत्तरा एवार्ड तथा खीरी जनपद की तमाम संस्थाओं द्वारा खीरी रत्न से सम्मानित किया जा चुका है.
ह्युमनिटी एचीवर्स एवार्ड्स २०१७ में गूगल ब्याय कौटिल्य, बालीवुड स्टार यशपाल शर्मा, सहित फैशन, कला, स्वास्थ्य सेवा और समाज सेवा के लिए पूरे भारतवर्ष के विभिन्न प्रदेशों से यह पुरस्कार महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कई लोगों को दिया जाएगा.
के के मिश्र 25 वर्षों से एनालॉग एस एल आर निगेटिव कैमरा और तीन सौ मिमी वाले ज़ूम लेंस का इस्तेमाल करते रहे हैं जब डिजिटल कैमरा तकनीक उपलब्ध नही थी, इनके पास अद्भत मूर्तियों, ऐतिहासिक इमारतों और इंडो-नेपाल की हिमालयन तराई की वनस्पतियों और वन्य जीवन की तस्वीरों का अद्भुत खज़ाना मौजूद है जिसे ये समय समय पर अखबारों, पत्रिकाओं और वैज्ञानिक शोध पत्रों के माध्यम से प्रकाशित व् प्रसारित करते रहते हैं।
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