Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeखबरेंमानिकपुर के सैकड़ो वर्ष पुराने थाने में धूमधाम से मनाया गया 'शहीद...

मानिकपुर के सैकड़ो वर्ष पुराने थाने में धूमधाम से मनाया गया ‘शहीद दिवस’

मानिकपुर/चित्रकूट। आज शहीद दिवस के मौके पर मानिकपुर विकास मोर्चा द्वारा नगर स्थित सैकड़ो वर्ष पुराने थाने (ब्रिटिश कालीन थाना जहाँ किसानों-मजदूरों को फांसी दी जाती थी) में भारत माता के अमर सपूतों – ‘शहीद भगत सिंह -सुखदेव-राजगुरु’ का बलिदान दिवस मनाया गया । मानिकपुर विकास मोर्चा विगत कई वर्षों से लगातार इस शहीद स्थल पर शहीद दिवस मनाता आ रहा है । गौरतलब हो कि देश की आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगने वाले अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। इस अवसर पर आज पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर शहीदों को याद किया। उन्होंने लिखा कि देश उनके बलिदान और साहस को कभी नहीं भूल सकता।

सबसे खास बात यह है कि भारत माता के अमर सपूत जिन्होंने देश की आजादी के खातिर अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया उनसे जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को सहेजने की जरूरत है । ऐसे ही अंग्रेजों के समय की जेल मानिकपुर में थी जो आज सरकार की उदासीनता के चलते लगभग धूल धूसरित हो गया है । इन्ही में से एक मानिकपुर ब्लाक संसाधन केंद्र के ठीक पीछे पड़ा खंडहर जो आज भी चींख-चींखकर अपने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले अमर शहीदों की याद दिलाता है।

आपको बता दें कि मानिकपुर (चित्रकूट) जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर है । मानिकपुर नगर में स्वतन्त्रता संग्राम और उस समय के बहुत अवशेष जीवित हैं परन्तु मात्र खंडहरों के रूप में ,अगर अगले 2-3 साल तक इनकी देखरेख नही की गई तो ये धूल धूसरित हो जायेंगे । हमारी शुरुआती जांच पड़ताल से यह स्थान 100 साल से भी अधिक पुराना है । नगर के कुछ बुजुर्गो के अनुसार यहाँ 60 साल पूर्व थाने में ब्रिटिशो के द्वारा देशभक्तो को फाँसी दी जाती थी । आप आज इसकी हालत देखें तो आपको बहुत दुःख होगा । यहाँ का हर कीमती सामान व् दस्तावेज लोहे से बने दरवाजे व् छड़ व् अन्य बेशकीमती सामान सरकार की उदासीनता के कारण चोरी हो गए । क्या शहीदों को ऐसा ही सम्मान मिलता रहेगा । पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के चलते स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश भक्तों के ऐसे शहीद स्थल खंडहर में तब्दील हो रहे हैं ।इसके चलते इतिहास की बेशकीमती धरोहर के नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया है । जिले के इक्का दुक्का शहीदों की यादों के इस तरह के खजाने को लेकर शासन और प्रशासन की उदासीनता लोगो को परेशान करती है ।पुराने लोग बताते हैं की यहाँ पर देशभक्तों को अंग्रेज फाँसी देते थे । ब्लाक संसाधन केंद्र के पीछे खंडहरों में बिखरे अवशेष हमारे देशभक्तों की बहादुरी के किस्से बताते हैं । आस पास के लोगों का कहना है कि इस थाने मे थानेदार पेड़ से लटकाकर देशभक्तों को फाँसी देता था और इसको रजिस्टर में दर्ज भी नही करता था । जब इसकी जानकारी जमींदार को होती थी तो बवाल भी हो जाता था । माताबदल बताते है की तब अंग्रेजों की सरपरस्ती में थानेदार और सिपाही पास के तालाब नहाने आने वाली महिलाओं से भी अभद्रता करते थे । जब ये बातें जमीदार को पता चली तो उसने गाँवों वालो को इकट्ठा किया और थानेदार को जमकर पीटा और बाहर निकाल दिया

एक बार जरूर सोंचिये की खंडहर हो रही इन ऐतिहासिक धरोहरों के मामले में सरकार का ध्यान कभी गया हो !सरकार के पास सौ काम है फिर उसको दोष देना भी जायज नही । यह मामला सरकार के सामने प्रभावशाली ढंग से रखने का भी किसी ने कोई प्रयास किया ? हमारी वैभवशाली विरासत गर्त में जा रही है और हम आज भी इससे अंजान बने है । स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी वीर सपूत के शहीद दिवस के मौके पर एक बार जरूर सोंचिये की कल कहीं आपके नाती-पोते ने कोई तस्वीर देखकर कहा की दादा-बाबा हमें इस जगह जाना है तो उनसे क्या यह कह पाएंगे की हमारे नकारेपन की वजह से अब इसका वजूद नही रह गया है । ऐसे में पुरातत्व विभाग को इस भवन को अपने कब्जे में लेकर ऐतिहासिक धरोहर के रूप में इसका विकास करना चाहिए ताकि ऐसे क्षेत्रों के नवयुवक शहीदों की कुर्बानी के सम्बन्ध में जान सके । इसके आलावा भवन को शहीद स्थल के रूप में घोषित करते हुए यहाँ से चोरी हुई सामग्री बरामद की जाये । ऐसे ऐतिहासिक स्थलों को सहेजने के लिए योगी सरकार को ‘शहीद विभाग’ का गठन करना चाहिए जो ऐसे शहीद स्थलों को खोजे ,उनकी मरम्मत कराये ,विचार गोष्ठीयां कराये ! पूरे देश में एक ऐसा आंदोलन बन जाये जहाँ शहीदों की कुर्बानी को वाकई में महसूस किया जाये। सदियों से देश में इसी बात की कमी थी की हमने शहीदों को सम्मान नही दिया ।

इस स्थान को शहीद स्थल घोषित करने हेतु मानिकपुर विकास ने ने कई बार डीएम , कमिश्नर ,विधायक और सांसद और कैबिनेट मंत्री को पत्र देकर सूचित किया लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नही हुई । अभी हाल ही में संगठन ने उप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री को इस बाबत पत्र सौंपा था लेकिन निराशा ही हाथ लगी ।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार