सीएनएन के पत्रकार डॉक्टर संजय गुप्ता ने नेपाल में रिपोर्टिंग के दौरान एक किशोरी की ब्रेन सर्जरी कर मानवता की एक मिसाल पेश की । न्यूरोसर्जन डॉ. गुप्ता सीएनएन की ओर से नेपाल में आए भीषण भूकंप को कवर करने गए थे, लेकिन वहां उन्होंने 15 साल की एक बच्ची संध्या चेलिस का ऑपरेशन किया। संध्या पर उसके घर की दीवार गिर गई थी।
संध्या नेपाल के ग्रामीण इलाके में रहती है। वह भूकंप के दो दिन बाद ही काठमांडू के बीर हॉस्पिटल में पहुंच सकी। सीएनएन की खबर के मुताबिक उसके मस्तिष्क में खून जमा हो गया था।
डॉक्टर गुप्ता ने सीएनएन को फोन पर बताया कि अस्पताल के अन्य डॉक्टरों ने उनसे यह ऑपरेशन करने को कहा। मुझे लगता है कि उन्हें वाकई बहुत मदद की जरूरत थी क्योंकि वहां वाकई डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है।
गुप्ता ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान उन्हें बुनियादी उपकरणों से ही काम चलाना पड़ा। इलेक्ट्रिक ड्रिल की जगह आरी और जीवाणु रहित पानी और आयोडीन को बोतल से लेना पड़ा, बजाय कि उचित स्क्रब सिंक के।
गुप्ता ने बताया कि संध्या की हालत में ऑपरेशन के बाद सुधार है, लेकिन कुल मिलाकर वहां के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।
सर्जरी के बाद एक आठ साल की बच्ची को भी अस्पताल लाया गया जिसे इसी तरह के ऑपरेशन की जरूरत थी।
नेपाल में आए भूकंप में 4 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं, लेकिन नेपाली अधिकारियों का अनुमान है 7.9 की तीव्रता वाले इस भूकंप में कम से कम 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इस प्राकृतिक आपदा में 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और अस्पतालों में ईलाज करवा रहे हैं। इतने अधिक घायलों को चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराना भी बड़ी चुनौती है।
सीएनएन में बतौर मुख्य स्वास्थ्य संवाददाता काम करने के साथ-साथ, डॉक्टर गुप्ता अंटलांटा के एमोरी हेल्थकेयर में न्यूरोसर्जन भी हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि तीन बच्चों के पिता, 45 वर्षीय डॉक्टर गुप्ता ने रिपोर्टिंग जॉब के दौरान सर्जरी की हो।
2003 में ईराक में रिपोर्टिंग के दौरान भी उन्होंने ईराकी नागरिकों और अमेरिकी सैनिकों की इमरजेंसी सर्जरी की थी। 2010 में हैती में आए भूकंप में भी गुप्ता और अन्य डॉक्टरों ने 12 साल की एक बच्ची की खोपड़ी से कंक्रीट का एक टुकड़ा निकाला था।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से