अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समाजवादी पार्टी नेता और पूर्व यूपी मिनिस्टर आजम खान का मेरठ गैंग रेप पर दिया गया बयान आर्टिकल 19 (1) (ए) के तहत मिली अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है। जस्टिस दीपक मिश्रा और एएम खानविल्कर की बेंच के समक्ष अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आजम खान का बयान फ्री स्पीच की कैटेगरी में आता है और अगर किसी को इससे ठेस पहुंची है तो वह सपा नेता के खिलाफ सिविल/आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कर सकता है। भारतीय संविधान सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। हालांकि अदालत अभी जांच कर रही है कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी पर निजता के अधिकार का असर पड़ सकता है।
बता दें कि आजम खान ने आरोप लगाया था कि मेरठ गैंग रेप केस विरोधी पार्टियों की साजिश भी हो सकती है, ताकि तत्कालीन अखिलेश सरकार को गिराया जा सके। आजम खान के इस बयान पर रेप पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें पिता ने कहा था कि मंत्री के बयान से जांच प्रभावित होगी और केस को यूपी के बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी।
बुलंदशहर गैंगरेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान से अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने को कहा
उच्चतम न्यायालय ने आजम खान को इस टिप्पणी पर फटकार लगाई थी। साथ ही कोर्ट ने यह जांच करने को कहा था कि क्या एक मंत्री इस तरह की बयानबाजी कर सकता है, खासकर यौन उत्पीड़न के मामले में। आजम खान ने बाद में बिना शर्त माफी मांगी थी और कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी थी। उन्होंने सफाई देते हुए कहा था, ‘मैंने विरोधियों की साजिश’ नहीं कहा था (गैंगरेप को)। मैंने कहा था, यूपी में चुनाव नजदीक हैं और इस तरह की बहुत सी घटनाएं हो रही हैं। इसलिए इनकी जांच की जरूरत है। मैं निजी रूप से पीड़ित परिवार के साथ हूं।’