Thursday, November 28, 2024
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एस. चांद का 730 करोड़ का आईपीओ, 1939 में चांदनी चौक की गल‍ियों में दो कि‍ताबें छाप कर की थी शुरुआत

देश के सबसे पुराने किताबों के पब्लिशिंग हाउसिस में से एक एस.चांद ने 26 अप्रेल 2017 को अपने शेयर्स पब्लिक के लिए खोल दिए हैं। कंपनी ने 730 करोड़ रुपये के आईपीओ लोगों के लिए खोले हैं। बता दें कि यह दूसरी बार है जब किसी प्राइवेट पब्लिशिंग हाउस ने पहली बार अपने शेयर्स को पब्लिक मार्केट में उतारा है। कंपनी ने आईपीओ की कीमत 660-670 रुपये के बीच में तय की है। बता दें कि एस. चांदपब्लिशिंग हाउस देश के सबसे पुराने और बड़े पब्लिशिंग हाउसिस में से एक हैं। इसकी स्थापना नई दिल्ली में 1939 में हुई थी। एस. चांद पब्लिशिंग हाउस मुख्य रूप से प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा (इंजीनियरिंग-कॉमर्स) से जुड़ी पुस्तकों का प्रकाशन करता है।

इस पब्लिशिंग हाउस का इतिहास भी अपने आप में काफी दिलचस्प है। एस. चांद की स्थापना पुरानी दिल्ली के मशहूर चांदनी चौक इलाके में हुई थी। इसकी स्थापना श्याम लाल गुप्ता ने की थी और उन्होंने शुरुआत में महज 2 किताबों की छपाई से इस पब्लिशिंग हाउस की बुनियाद रखी। 1939 में ब्रिटिश-भारत में पब्लिशिंग मार्केट में ब्रिटिश कंपनियों का ही दबदबा था। ज्यादातर किताबों का देश में आयात होता था। ऐसे में एस. चांद पब्लिशिंग हाउस ने सबसे पहले प्रोफेसर बहल एंड तुली की फिजिक्स एंड केमिस्ट्री की किताब प्रकाशित करके देश की पब्लिशिंग मार्केट में कदम रखा। अपने इस महत्वूर्ण योगदान के लिए श्याम लाल गुप्ता को 1969 में “पद्म श्री” पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है और वह 1972 में बिहार से राज्य सभा सदस्या भी चुने गए।
वहीं कंपनी की ताजा स्थिति की बात करें, तो एस. चांद एंड कंपनी, सीबीएसई/आईसीएसई की मार्केट का बादशाह माना जाता है। एंजेल ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीबीएसई/आईसीएसई के मार्केट साइज की बात करें तो यह लगभग 500 मिलियन डॉलर का है जिसमें इस पब्लिशिंग हाउस का 13 फीसद तक की हिस्सेदारी है। वहीं कंपनी की वित्तीय स्थिति की बात करें तो बीते चार सालों में इसके रेवेन्यु में 33 फीसद तक का इजाफा हुआ है। हालांकि दूसरी तरफ 31 दिसंबर, 2016 के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी को अपने 150 करोड़ रुपये के रेवेन्यु पर लगभग 89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। बीते साल के रिकॉर्ड्स के मुताबिक एस. चांद एंड कंपनी ने शिक्षा के क्षेत्र में लगभग 55 ब्रांड्स को मार्केट में उतारा था।

साभार- जनसत्ता से

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