Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeजियो तो ऐसे जियोसाध्वी से नेता कैसे बनी उमा भारती

साध्वी से नेता कैसे बनी उमा भारती

(58वें जन्मदिवस 03 मई 2017 पर विशेष आलेख)

अलौकिक ईश्वरीय प्रतिभा से सुसंपन्न ज्योतिर्मयी, एक सुलझी हुई राजनेत्री के साथ साथ एक प्रखर वक्ता, गंगा की निर्मल धारा के समान पवित्र व्यक्तित्व की धनी, केंद्रीय जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री साध्वी उमाश्री भारती का जन्म लोधी राजपूत परिवार में 03 मई 1959 को मध्य प्रदेश के अंतर्गत टीकमगढ़ जिले के डूंडा नामक ग्राम में हुआ था। उमा भारती के पिता का नाम गुलाब सिंह और माता का नाम बेटीबाई था। उमा भारती अपने चार भाईओं और दो बहिनों में सबसे छोटी थीं, इसलिए परिवार में सबकी लाड़ली थीं। एक वर्ष पांच माह की छोटी सी आयु में ही उमा भारती पितृ सुख से वंचित हो गयीं। उनके पिता के देहांत बाद भी उमा भारती की मां ने पूरे परिवार का भार वहन करते हुए बड़ी हिम्मत से बड़े स्नेह के साथ उमा भारती का पालन-पोषण किया और उमा भारती को पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। उमा भारती के बारे में बचपन में कौन जानता था कि यह छोटी सी कन्या बचपन में ही इतनी प्रसिध्दि पा लेगी। पांच साल की उम्र में जब उमा भारती को विद्या प्राप्त करने के लिए प्राथमिक पाठशाला में अध्ययन करने के लिए भेजा गया तब उमा भारती अपने शिक्षकों को अपनी बाल सुलभ वाणी से कभी-कभी अत्यंत गहन प्रश्न पूछकर आश्चर्य चकित कर देती थीं। इतनी छोटी सी उम्र में बाल उमा भारती के अद्वितीय ज्ञान ने लोगों को असमंजस में डाल दिया। बड़ी ही तेज गति से उमा भारती की प्रतिभा का विस्तार हुआ। उमा भारती को छोटी सी उम्र में ही गीता और रामायण कंठस्थ हो गयी थी। उमा भारती जब अपनी बाल वाणी में रामायण की कथा और रामचरित मानस की चैपाइयों का सस्वर पाठ कर लोगों को उसका अर्थ समझाती तो, लोग एक पल के लिए इस छोटी कन्या को देखते ही रह जाते थे। बचपन में उमा भारती के इतने अभूतपूर्व ज्ञान और प्रवचनों की वजह से लोग उनको दैवीय अवतार मानने लगे थे। जब उमा भारती टीकमगढ़ जिले में छठी कक्षा में अध्ययन कर रहीं थी तब वहां हुए एक अखिल भारतीय रामचरित मानस सम्मलेन में उन्होंने धाराप्रवाह प्रवचन दिया। लोग उमा भारती के विद्वतापूर्ण प्रवचन को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। उमा भारती ने पांच साल की उम्र में ही प्रवचन करना शुरू कर दिया था। इससे दूर दूर तक उमा भारती की ख्याति बढ़ने लगी। उमा भारती जब बचपन में धाराप्रवाह प्रवचन देती थीं तब धर्माडम्बर के खंडहर पर खड़े तथाकथित छद्म विद्वानों को दृष्टि नीची कर धरती की धूल चाटने को बाध्य कर देती थीं। जब उमा भारती ने धार्मिक प्रवचन देना शुरू किया था तब ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उमा भारती को एक बार प्रवचन करते हुए सुना। राजमाता विजयाराजे सिंधिया उमा भारती के अभूतपूर्व ज्ञान और उनकी ओजस्वी छवि से काफी प्रभावित हुई। इसके बाद उमा भारती राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सानिध्य में रहने लगीं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही आगे चलकर उमा भारती की राजनीतिक संरक्षक बनीं।
उमा भारती काफी युवावस्था में ही राजमाता विजयाराजे सिंधिया के कहने पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गयीं थी। उमा भारती ने 1984 में सर्वप्रथम लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस के पक्ष में उमड़ी सहानभूति की लहर में हार का सामना करना पड़ा। 1989 के लोकसभा चुनाव में उमा भारती खजुराहो लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुनी गयीं और लगातार 1991, 1996, 1998 के लोकसभा चुनावों में यह सीट बरकरार रखी। उमा भारती पांचवीं बार 1999 में भोपाल संसदीय क्षेत्र से संसद सदस्य के लिए चुनी गयीं। केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उमा भारती ने मानव संसाधन विकास, पर्यटन, युवा एवं खेल मामलों के राज्य स्तरीय और अंत में कोयला और खदान जैसा महत्वपूर्ण कैबिनेट स्तर का विभाग बिना किसी भ्रष्टाचार के दाग के संभाला है क्योंकि कहा जाता है कि कोयला और खदान जैसे मंत्रालय में रहने वाले मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही हैं। लेकिन उमा भारती इस मंत्रालय से बिना किसी भ्रष्टाचार के आरोप के बाहर निकलीं।

उमा भारती पिछले चार दशकों से राजनीती का जाना माना चेहरा रही हैं। उमा भारती देश और भाजपा की फायरब्रांड नेता मानी जाती है। वो चाहे भाजपा में रही हो या भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनायी हो सब जगह ये सन्यासिन अपनी विचारधारा से जुडी रही। उमा भारती एक अनुभवी एवं सुलझी हुई और जमीन से जुडी हुयी और लोकप्रिय नेता हैं। उमा भारती पहली ऐसी नेत्री हैं जिन्हें बुन्देलखण्ड का नेतृत्व करने वाली प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। उमा ने अपनी सूझ बूझ और कड़ी मेहनत से 2003 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली 10 साल की सरकार को उखाड़ फेंका था। इस जीत का श्रेय सिर्फ और सिर्फ उमा भारती को जाता था। इसके बाद 2004 कर्नाटक के हुबली में तिरंगा फहराने के केस में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था। बेशक उमा भारती को भाजपा ने मध्य प्रदेश से तड़ी पार कर दिया हो लेकिन अभी भी उमा भारती मध्य प्रदेश कि राजनीती में अपनी धाक रखती हैं। वैसे भी केंद्र में जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री साध्वी उमा भारती की लोकप्रियता और प्रसिद्धि व्यापक है।

उमा भारती भाजपा में भी महासचिव और उपाध्यक्ष जैसे बड़े-बड़े ओहदों पर रह चुकी हैं। उमा भारती हर चुनाव में भाजपा की तरफ से स्टार प्रचारक की भूमिका में भी रहती हैं। 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ जिन चार चेहरों को दिखाकर भाजपा चुनाव लड़ी थी, उनमे भी उमा भारती शामिल थीं। उमा भारती की वाकपटुता और भाषण शैली से आम जनमानस प्रभावित होता है। आज भी जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री साध्वी उमा भारती के ओजस्वी और जोश से भरे हुए भाषणों को सुनने के लिए हजारों की तादात में लोग आते हैं। अपने बचपन में 50 से ज्यादा देशों में प्रवचन कर चुकी साध्वी उमा भारती के बारे में कहा जाता है कि वे देश के किसी भी क्षेत्र में चली जाये भीड़ अपने आप उनके पीछे आने लगती है। उमा भारती ने अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक मुकाम हांसिल किये हैं। उमा भारती की राजनैतिक यात्रा भी काफी दिलचस्प और कठिनाइयों से भरी रही है। कठिनाइयों के साथ-साथ उमा भारती ने अपने राजनैतिक जीवन में अनेक आयाम स्थापित किये हैं और अनेक सफलताएं प्राप्त की हैं।
पिछले दिनों बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उच्चतम न्यायलय ने बड़ा फैसला सुनाया जिसमे भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत 13 लोगों पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। लेकिन उमा भारती ने कोर्ट द्वारा आपराधिक साजिश का केस चलाने के फैसले पर कहा कि ‘यह साजिश का मामला नहीं, सब कुछ खुल्लमखुल्ला है। साजिश की क्या बात है, मैं तो वहां मौजूद थी।’ उन्होंने कहा कि वह अयोध्या आंदोलन की भागीदार रही हैं, जिसका उन्हें कोई गिला-शिकवा नहीं है। वास्तव में उमा भारती ने गर्व के साथ अयोध्या आंदोलन में भागीदार की, और उन्होंने कभी भी बाबरी मस्जिद विध्वंस पर दूसरे नेताओं की तरह खेद नहीं प्रकट किया। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक मामले में सजा के मसले पर उमा भारती कहती रहीं है कि वह अयोध्या, गंगा और तिरंगे के लिए कोई भी सजा भुगतने को भी तैयार हैं। उमा भारती तो यहाँ तक कहती रही हैं कि वह अयोध्या मामले में फांसी भी चढ़ने को तैयार हैं। अयोध्या में आपराधिक साजिश के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल में सुनवाई करने के आदेश दिए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि उमा भारती सहित सभी नेता इस मामले से बरी होकर निकलते हैं या उन्हें सजा सुनाई जाती है। लेकिन उमा भारती इस केस को अपने माथे पर चन्दन के टीके के समान मानती है। अगर इस मामले में उमा भारती को कोई सजा होती भी है तो उन्हें इस मामले में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इस मामले में अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है। अगर सजा भी हो जाती है तो उमा भारती को कोई अधिक नुकसान नहीं होने वाला है बल्कि इस मामले से उमा भारती के राजनैतिक कैरियर को उछाल ही मिलेगा।

इस समय साध्वी उमा भारती केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में जल संसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री का दायित्व निभा रहीं हैं। अगर भगवाधारी केंद्रीय मंत्री उमा भारती के गंगा के प्रति नजरिए के बारे में बात की जाये तो वह गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को अपने जीवन-मरण का सवाल बना चुकी हैं। इसलिए उमा भारती अपने हर वक्तव्य में कहती हैं कि ‘‘जब आए हैं गंगा के दर पर तो कुछ करके उठेंगे, या तो गंगा निर्मल हो जाएगी या मर के उठेंगे।’’ इससे पता चलता है कि उमा भारती गंगा के प्रदूषण से कितनी विचलित हैं। अब आगे देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती यमुना का कितना जीर्णोद्धार या कायाकल्प कर पाती हैं।

साध्वी उमा भारती का व्यक्तित्व और सार्वजनिक जीवन नैसर्गिक और सादगीपूर्ण है। उन्होंने हमेशा भगवा सभ्यता जो कि देश की अस्मिता से जुडी हुई है को बचाने के लिए संघर्ष किया है। चाहे राम मंदिर आंदोलन हो, चाहे राम रोटी यात्रा रही हो, चाहें रामसेतु को बचाने का मुद्दा हो या गंगा समग्र अभियान हो सब जगह साध्वी उमा भारती ने अपना अग्रणी योगदान दिया है। साध्वी उमा भारती का राजनैतिक और सामाजिक जीवन एकदम साफ सुथरा रहा है। अदभुत स्मरण शक्ति स्वतःस्फूर्त व्याख्यात्मक ज्ञान की धनी साध्वी उमा भारती का आज (03 मई 2017) को 58वां जन्मदिवस है। इस अवसर पर अंतर्मन से ईश्वर से सिर्फ यही प्रार्थना है कि ईश्वर देश की राजनीती में दीदी के नाम से जाने वाली साध्वी उमा भारती जी को स्वास्थ्य लाभ एवं चिर-आयु के आशीर्वाद से सदैव परिपूर्ण रखें।

लेखक
ब्रह्मानंद राजपूत, दहतोरा, शास्त्रीपुरम, सिकन्दरा, आगरा
(Brahmanand Rajput) Dehtora, Agra
on twitter @33908rajput
on facebook – facebook.com/rajputbrahmanand
E-Mail – brhama_rajput@rediffmail.com

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार