जीएसटी लागू होने के साथ ही 1 जुलाई से बैंकिंग सेवाएं महंगी हो गई हैं। जीएसटी काउंसिल ने बैंकों में 15 फीसदी तक लगने वाले सर्विस शुल्क को बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। इससे चेक लेना, डीडी बनवाना, पैसे निकालना, लॉकर सुविधा, एटीएम शुल्क, ईएमआई समय पर नहीं देने पर लगने वाला शुल्क आदि सभी 3 फीसदी महंगे हो गए हैं।
प्रवेश परीक्षाओं या किसी संस्थान की फीस जमा करने पर डीडी बनवाना पड़ता है। बैंक इस पर कमीशन लेते हैं। अब लोगों को यह तीन फीसदी महंगा पड़ेगा। इसी तरह लॉकर सुविधा शुल्क बढ़ गया है। साथ ही भूलवश किराया न पटाने पर लिया जाने वाला शुल्क भी महंगा हो गया है। अब पैसे निकालना महंगा पड़ेगा।
बैंक मासिक आधार पर मुफ्त लेनदेन की छूट देता है। अगर 4 बार मुफ्त लेनदेन की सुविधा देता है तो इस लिमिट को पार करते ही जो चार्ज लगता है उसमें 3 फीसदी अतिरिक्त देना होगा। एटीएम से ट्रांजेक्शन भी महंगा हुआ है।
आम तौर पर बैंक 4 से 5 बार मुफ्त निकासी की छूट देते हैं। इस सीमा को पार करने पर बैंक अलग-अलग दर से शुल्क वसूलते हैं। इस पर सर्विस टैक्स (सेवा शुल्क) भी लिया जाता है, जो तीन प्रतिशत अतिरिक्त 18 फीसदी की दर से लिया जाएगा।
मिनिमम बैलेंस न रखने पर 3 फीसदी अतिरिक्त शुल्क
बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस का ध्यान रखना होगा। यह अधिकांश बैंकों में 5000 रुपए है। मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर 18 फीसदी के हिसाब से शुल्क लगेगा।
अकाउंट बंद करने पर भी अधिक चार्ज
बैंक अकाउंट बंद करवाने के लिए भी शुल्क देना पड़ता है। सामान्य तौर पर बैंक इसके लिए 500 रुपए तक वसूलते हैं। ऊपर से इस पर सर्विस टैक्स देना होता है। अब 15 फीसदी के बजाय 18 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा।
अधिक शुल्क से बचना है तो इनका रखें ध्यान
उपभोक्ताओं थोड़ी सी सावधानी बरतकर ज्यादा शुल्क देने से बच सकते हैं। खाते में बैंक द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस कम न होने दें। एटीएम बार-बार न जाकर एक बार में ही पर्याप्त पैसे निकाल लें।
जहां तक हो सके दूसरे बैंक के एटीएम से ट्रांजेक्शन करने से बचें। यह भी ध्यान रखें कि कितनी बार एटीएम का यूज कर लिया है। लोन लिया है तो ईएमआई समय पर जमा करें। अगर किसी कारणवश नहीं कर पा रहे हैं तो तुरंत बैंक से संपर्क कर जानकारी दें।
साभार- http://naidunia.jagran.com से