दिल्ली के बाद उ.प्र. का रूख करेगा 8वां जागरण फिल्म फेस्टिवल!
नई दिल्ली। सुहाने मौसम के बीच सिनेमा और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की बौछार के बीच पिछले 4 दिनों से लगातार दिल्लीवासियों व दिल्ली पर्यटन पर आये सैलानियों को खासा लुभा रहे 8वें जागरण फिल्म फेस्टिवल का आज अंतिम दिन है। फेस्टिवल के चारों ही दिन दर्शकों ने मास्टर क्लास, कॉफी टेबल सत्र, शॉर्ट फिल्म और फीचर फिल्मों का लुत्फ उठाया साथ ही इन फिल्मों से जुड़े कलाकारों, निर्देशकों आदि से रूबरू होने का भी मौका मिला।
अंतिम दिन आज दिवंग्त कलाकार ओमपुरी को श्रृद्धांजलि अर्पित की गयी। मौके पर फेस्टिवल की क्लोज़िंग फिल्म, ‘मि. कबाड़ी’ जो कि उनके द्वारा अभिनीत अंतिम फिल्म भी है की निर्देशक सीमा कपूर एवम् अभिनेता विनय पाठक व अभिनेत्री सारिका ठाकुर सहित सिने-प्रेमियों व दिल्लीवासियों ने कैंडल लाइट जलाकर उन्हें याद किया व श्रद्धांजलि दी। जिसके बाद ‘मि. कबाड़ी’ की स्क्रीनिंग के साथ पांच दिन से चला आ रहा जागरण फिल्म फेस्टिवल सम्पन्न हुआ। पांचवे व अंतिम दिन के अन्य आकर्षण में जागरण शॉर्ट्स व अन्तर्राष्ट्रीय सिनेमा की फिल्मों; लास्ट क्रिस्मस, द लेटर बॉक्स, नैपोली अंडरग्राउण्ड, पेगासस, पोस्टो, अंगमली डायरीज़, ब्रावो वर्चुसो, द आर्ट ऑफ मूविंग, द डॉक, द ऐंड सहित लोकप्रिय फिल्मों; दो दुनी चार, रंग रसिया, मुक्ति भवन, फिल्लौरी आदि ने दर्शकों का दिल जीता।
पांचवें दिन पिता पुत्र की कहानी पर आधारित ‘मुक्ति भवन’ को मिला रिस्पांस देखते ही बनता था। हाउसफुल ऑडीयंस एक फिल्म को मिलें और वाह-वाही न रूके, एक फिल्मकार के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी। फिल्म की कहानी में मुक्ति पाने के लिए पिता बनारस जाना चाहते हैं, लेकिन पुत्र मना कर देते हैं फिर उनके मानने और बनारस जाने पर उनके रिश्तों में किस तरह के उतार-चढ़ाव व बदलाव आते हैं उसकी दिल छूती कहानी शानदार है। मौके पर फिल्म के कलाकार ललित बहल ने बताया कि इस फिल्म में उन्होंने ज़िंदगी और मृत्यु को करीब से जाना। मैंने फिल्म करने के बाद ज़िंदगी का दूसरा अर्थ जाना है। ज्ञात हो फिल्म के लिए कलाकार आदिल हुसैन को नेशनल अवार्ड भी मिला है।
फेस्टिवल के चौथे दिन एक से बढ़कर एक फिल्मों का दौर जारी रहा, जहां ‘एम.एस. धौनीः द अनटोल्ड स्टोरी’, ‘द सोशल नेटवर्क’, ‘अनारकली ऑफ आरा’, ‘जॉली एल.एल.बी.’ ‘गुटरूं गुटरगूं’ आदि हिन्दी फिल्में, जागरण शॉर्ट्स, क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय फिल्में प्रदर्शित की गयी। इनके अतिरिक्त एक्टिंग पर बैरी जॉन एक्टिंग स्टूडियों के अनिरूद्ध धनियन की मास्टर क्लास, गुटरूं गुटरगूं फिल्म के निर्देशक प्रतीक शर्मा व अभिनेत्री अस्मिता शर्मा और अनारकली ऑफ आरा की अभिनेत्री स्वरा भास्कर व निर्देशक अविनाश दास की मौजूदगी प्रमुख आकर्षण रहे।
स्वरा भास्कर व टीम के साथ दर्शकों ने अनारकली ऑफ आरा का आनन्द लिया और फिल्म के बाद संवाद भी किया। जहां स्वरा व अविनाश दास ने सभी के उत्सुकता भरे सवालों के जवाब दिये। भाषा व संस्कृति को लेकर किये एक सवाल के जवाब में स्वरा ने बताया कि समाज के अनुसार और आज के समय के अनुसार ही जो असल जिंदगी में घटित होता है उससे सम्बंधित विषय है। इसमें कोई प्रोपेगेंडा या एजेंडा नहीं है। रोचक संवाद के दौरान उन्होंने बताया कि अनारकली ऑफ आरा का ऑफर जे.एफ.एफ के दौरान ही उन्हें मिला था जब वे अविनाश दास से मिली थी।
चौथे ही दिन फिल्म “गुटरूं गुटरगूं“ की स्क्रिप्ट राइटर व अभिनेत्री अस्मिता शर्मा की पहली फिल्म को दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसके चलते अस्मिता बेहद उत्साहित नज़र आयी। उम्मीद से ज़्यादा तारीफ सुन कर अस्मिता आश्चर्यचकित अस्मिता ने कहा “हमने ईमानदारी के साथ फिल्म बनायी थी और दर्शकों की सराहना ने बहुत प्रोत्साहित किया है। उन्होंने बताया कि फिल्म को डिस्ट्रीब्यूटर नहीं मिले जिसके चलते एक चुनौति थी लेकिन वितरकों के लिए पटना में टेस्ट रन के चलते फिल्म टैक्स फ्री हो गई। अस्मिता कहती हैं कि रिलीज की दिक़्क़तें हो रही हैं लेकिन जागरण फिल्म फ़ेस्टिवल में मिली प्रतिक्रिया ने उनके हौसले बुलंद किये हैं और हमें उम्मीद है कि हमारी फिल्म भी हर तरफ जाएगी।
इससे पूर्व दर्शकों ने सिनेमा की विविधताओं भरी फिल्मों का लुत्फ उठाया। बॉलीवुड की सशक्त फिल्मों के बीच क्षेत्रीय भाषाओं व अन्तर्राष्ट्रीय फिल्मों और शॉर्ट फिल्मों को दर्शकों की खासी प्रतिक्रिया मिली जो फिल्मकारों के लिए अपने आप में उत्साहवर्द्धक है और उनके प्रोत्साहन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल। शायद दर्शकों का प्यार व उत्साह ही था कि पहली बार एक शॉर्ट फिल्म के निर्माता बनी अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा ने शॉर्ट श्रेणी को स्टार्ट-अप बताया।
शॉर्ट इज़ बिग विषय पर फेस्टिवल के स्ट्रेटीजिक कंसल्टेंट मनोज श्रीवास्तव के साथ आयोजित कॉफी टेबल सत्र के दौरान टिस्का चोपड़ा ने कहा कि सिनेमा में करियर बनाने वालों के लिए शार्ट फिल्म स्टार्टअप है, जो उन्हें भविष्य में फीचर फिल्म के लिए मददगार रहेगा, क्योंकि मुझे लगता है शार्ट फिल्में सीखने और अच्छा करने का बेहतरीन प्लेटफार्म है। फेस्टिवल में टिस्का की डेबू फिल्म ‘चटनी’ का प्रदर्शन भी किया गया। अपनी फिल्म के अनुभव के विषय में उन्होंने कहा कि अच्छा लर्निंग अनुभव रहा मेरे लिए, यहां मैंने पर्दे के पीछे की मुश्किलों को जाना और अपनी गलतियों के भी सीखा, जो मुझे अगली फिल्म को बेहतर अंदाज में बनाने के मदद करेगा। टिस्का ने बताया कि मैं काफी वर्षों से फिल्म फेस्टिवल से जुड़ी हूं। इसकी खासियत है कि यह देश की जड़ों से जुड़ा है और इसकी पहुंच व्यापक है और इस फेस्टिवल के माध्यम से सिनेमा और शार्ट फिल्म्स दूरदराज के इलाकों तक पहुंचा रहा है।
शॉर्ट फिल्मों की एक और डेबू निदेशक पाखी टायरवाला भी फेस्टिवल के तीसरे दिन दर्शकों से रूबरू हुई और उन्होंने चुनौतियों, मुश्किलों और मजेदार अनुभव सभी के साथ साझा किये। उनके साथ फिल्म की अभिनेत्री सोनाली लूथरा भी मौजूद थीं। टायरवाला ने बताया कि मैंने पूर्व में मेनस्ट्रीम सिनेमा किया है और अब शॉर्ट सिनेमा का भी हिस्सा हूं, मुझे लगता है शॉर्ट फिल्मों के लिए आप में जज़्बा होना जरूरी है साथ ही क्रियेटिविटी की कम समय में आप अपनी बात एक सशक्त संदेश के साथ दर्शकों तक पहुंचायें। जेएफएफ जैसे फिल्म फेस्टिवल से जुड़ना अच्छा अनुभव है क्योंकि इसकी रीच बहुत व्यापक है और शॉर्ट फिल्मों के लिहाज से कमर्शियल सिनेमा के साथ-साथ फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया जाना महत्वपूर्ण है। यहां आप दर्शकों के रूबरू हो सकते हैं और चर्चा में भाग लेकर सिखने और सिखाने का मौका भी मिलता है।
तीसरे दिन का एक सत्र रहा ‘शिवाय’ द वी.एफ.एक्स. स्टोरी बिहाइंड बाय सारिका सालियान। यहां सारिका ने वी.एफ.एक्स. तकनीक से जुड़ी बारीकियों व अन्य पहलुओं को दर्शकों के साथ साझा किया और उनके सवालों के जवाब भी दिये।
फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरूआत हिंदी में डब कोंकणी फिल्म ’मार्टिन’ से हुई जिसके बाद दिन भर एक से बढ़ कर एक ब्लॉकबस्टर फिल्में दिखाई गईं जिनमें ’पिंक, अग्निपथ’ और ’द गाजी अटैक’ (निर्देशक- संकल्प रेड्डी) शामिल रहीं। ‘द गाज़ी अटैक’ के प्रति दर्शकों का रूझान देखते ही बनता था। फिल्म देखने आये दर्शकों में कुछ दर्शक ऐसे भी थे जो इस फिल्म को पहले भी कई बार देख चुके थे। ’द गाजी अटैक’ भारत की पहली अंडर-वाटर फिल्म है, जो पाकिस्तानी पनडुब्बी के डूबने के रहस्य को डिकोड करती है। फिल्म की कहानी 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध पर आधारित है जो अमूमन मसाला फिल्मों से अलग ‘वार’ फिल्म है। फिल्म के उपरान्त सभागार में दर्शक फिल्म की तारीफ करते नहीं थके और तालियों की गड़गड़ाहट एक अलग की अनुभूति प्रदान कर रहा था।
मौके पर जेएफएफ के स्ट्रेटीजिक कन्सलटेंट मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि मौसम के बदलते मिजाज़ और विभिन्नता भरा सिनेमा व अनछुए पहलुओं को दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। हर वर्ष की तरह जागरण फिल्म फेस्टिवल को दर्शका को प्यार व स्नेह मिला है जो हमारी मौजूदगी व प्रयासों को पुख्ता कर हमें प्रोत्साहित करती है।
1 जुलाई से शुरू हुए इस समारोह के पहले ही दिन मशहूर बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर, केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक्वी, मोरक्को के राजदूत मोहम्मद मलिकी, अभिनेत्री दिव्या दत्ता, तनिष्ठा चटर्जी आदि सहित विभिन्न गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे। उद्घाटन समारोह के दौरान रजनीगंधा से डीएस ग्रुप के असोसिएट वाइस प्रेसिडेंट राजीव जैन व सुरेश कुमार मौजूद रहे।
दूसरे दिन फ़िल्मी दुनिया की चर्चित हस्तियों पर बायोग्राफी लिख चुके कई लेखक, जिनमें यासेर उस्मान, असीम छाबड़ा, उदयन मित्रा, पूनम सक्सेना और प्रकाश के रे जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। दूसरे दिन शामिल हुए सेलीब्रिटी मेहमानों में मनोज वाजपेयी जो कि बॉलीवुड की नाराजगी को साझा करने वाली फिल्म ’नाम शबाना’ की विशेष स्क्रीनिंग के लिए आये थे। उनके अतिरिक्त तनिष्ठा चटर्जी ने भी दूसरे दिन दर्शकों को आकर्षित किया। तनिष्ठा अपनी फिल्म डॉक्टर रख्माबाई के लिए आयीं थी। दूसरे दिन उरुग्वे, अल्जीरिया और सूडान के राजदूत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।
वहीं तीसरे दिन अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा, अभिनेता राकेश बेदी, निर्देशक विनोद पांडे, डेबू निदेशक पाखी टायरवाला, अभिनेत्री सलोनी लूथरा की उपस्थिति रही। चौथे दिन एक्टिंग पर बैरी जॉन एक्टिंग स्टूडियों के अनिरूद्ध धनियन की मास्टर क्लास, गुटरूं गुटरगूं फिल्म के निर्देशक प्रतीक शर्मा व अभिनेत्री अस्मिता शर्मा और अनारकली ऑफ आरा की अभिनेत्री स्वरा भास्कर व निर्देशक अविनाश दास की मौजूदगी प्रमुख आकर्षण रहे।
कार्यक्रम में श्री नक्वी और श्री संजय गुप्त ने फेस्टिवल पर एक डाक टिकट भी जारी किया। पारम्परिक उद्घाटन के उपरान्त आनन्द सुरापुर की फिल्म ’द फकीर ऑफ वेनिस’ का वर्ल्ड प्रीमियर हुआ जहां फिल्म के प्रोड्यूसर व डायरेक्टर भी मौजूद थे।
इस वर्ष जेएफएफ द्वारा मोरक्को को कंट्री पार्टनर बनाए जाने पर किंगडम ऑफ मोरक्को के राजदूत मोहम्मद मलीकी ने हर्ष जताते हुए कहा कि, “फेस्टिवल में हमारे देश की लगभग 12 फिल्में दिखायी जायेंगी, जिससे भारत के लोग हमारे बारे में और ज्यादा जान पाएंगे।“
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