कलि: शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापर:।
उत्तिष्ठंस्त्रेता भवति कृतं संपद्यते चरन्।।
चरैवेति। चरैवेति।।
अर्थ है- जो सो रहा है वह कलि है, निद्रा से उठ बैठने वाला द्वापर है, उठकर खड़ा हो जाने वाला त्रेता है लेकिन जो चल पड़ता है, वह कृतयुग, सतयुग और स्वर्णयुग बन जाता है। इसलिए चलते रहो, चलते रहो। यही मंत्र भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अमित शाह ने अपना कर पूरी तरह साकार किया है। तीन साल पहले भाजपा के अध्यक्ष बने अमित भाई ने कारगर रणनीति बनाकर राजनीति में नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उनके साथ पार्टी का महासचिव रहते हुए मैंने सीखा कि किस तरह काम करते हैं ही नहीं बल्कि कैसे काम लिया जाता है, यह कोई उनसे सीख सकता है। मेरे सामने अक्सर कई बार हमारे साथी कहते हैं, सोचते हैं कि यह काम समाप्त हो जाए तो कुछ आराम करें, पर आराम कहां, एक काम समाप्त होने से पहले दूसरी जिम्मेदारी मिल जाती है।
पिछले तीन वर्षों में भाजपा विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के तौर पर ऐसे ही स्थापित नहीं हुई है। उसके पीछे अमित भाई का अनवरत काम करते रहना और कार्यकर्ताओं को उत्साह के साथ जोड़े रखने की भावना है। पार्टी को बढ़ाने की रणनीति बनाने और उसे पूरा करने के दौरान कोई चर्चा न होने के कारण कुछ लोग यह कहते हैं कि अमित भाई के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में चर्चा नहीं होती है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। अमित भाई खूब चर्चा करते हैं पर यह चर्चा बाहर न जाए, इसकी भी व्यवस्था करते हैं। उनका मानना है कि काम पूरा होने के बाद ही चर्चा होनी चाहिए।
अमितजी ने तीन वर्षो में देश के हर राज्य का दौरा किया। हवाई सफर के बजाय उन्होंने ज्यादातर सड़क मार्ग से यात्रा की। रोजाना औसतन 541 किमी का सफर किया और 500 से अधिक रैलियां कीं। देशभर में 110 दिनों का सघन प्रवास करने वाले भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। यह सब कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा करने के लिए ही किया गया। हर जगह लोगों से मिले, उनकी बातें सुनी और उस पर अमल कराया।
भाजपा के आज 11 करोड़ सदस्य हैं। 13 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। पांच राज्यों में मिल कर सरकार चला रहे हैं। देश के चार शीर्ष पद पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री भाजपा के पास हैं। अमित भाई तीन साल पहले 9 अगस्त को विधिवत तौर पर भाजपा के अध्यक्ष बने थे। तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह के देश का गृह मंत्री बनने के बाद 9 जुलाई 2014 को उन्हें भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था और जनवरी 2016 तक उन्होंने बचा हुआ कार्यकाल पूरा किया। 2016 में उन्होंने फिर से अध्यक्ष की कमान संभाली।
अमितजी की सबसे बड़ी खासियत है सख्त फैसले लेना। हरियाणा में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का मसला हो या फिर महाराष्ट्र में शिवसेना को छोड़ने का फैसला। नहीं तो यह माना जाता रहा है कि इन राज्यों में भाजपा कभी अकेले चुनाव नहीं जीत सकती थी। यह करिश्मा उन्होंने जितनी बखूवी से किया किया, सब हैरान रह गए। हरियाणा विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने मुझे वहां का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा। तब लोग हैरान थे कि अमित शाह कौन सा और क्या प्रयोग कर रहे हैं। हरियाणा की राजनीति को उन्होंने बारीकी से देखा, परखा और रणनीति तैयार की।
अमित भाई के चुनावी दौरों के दौरान ही विपक्षी राजनीतिक दलों में हडकंप मच गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों और अमित भाई की चुनावी रणनीति ने हरियाणा में भाजपा की सरकार बनवा दी। भाजपा में कभी कोई सोच सकता था कि महाराष्ट्र में बड़े भाई की भूमिका में रहे शिवसेना की शर्तों के साथ समझौता न किया जाए। मुंबई में शिवसेना के मुख्यालय जाने की परम्परा को भी उन्होंने तोड़ दिया। महाराष्ट्र भाजपा को जिस आत्मविश्वास के साथ उन्होंने चुनाव में उतारा, वह भी खरा उतरा।
पूर्वोतर में जहां भाजपा को कभी कोई ताकत मानने को तैयार नहीं होता था, वहां असम में अपने दम पर सरकार बनवाई। जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी के साथ सरकार बनाई। मणिपुर में भाजपा की सरकार है। सबको साथ लेकर चलने की भावना के कारण ही बिहार में हमने फिर से जदयू के साथ सरकार बनाई। राजद नेताओं के भ्रष्टाचार के कारण असहज नीतीश कुमार ने फिर से भाजपा से दोस्ती की। गोआ में सरकार बनाने के लिए जिस तेजी से फैसला किया,उससे कांग्रेस की सारी योजना धरी रह गई। केरल विधानसभा में पहली बार भाजपा को सफलता मिली। भाजपा का केरल में वोट बैंक बढ़ा।
मुझे भाजपा का महासचिव बनाने के साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया। पश्चिम बंगाल में भाजपा का जिस तेजी से विस्तार हो रहा है, उससे वहां की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ही नहीं वामदल और कांग्रेस भी बौखला गए हैं। अमित भाई खुद पश्चिम बंगाल के बारे में लगातार जानकारी लेते रहते हैं। छोटी-छोटी घटनाओं पर खुद नजर रखते हैं। कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमलों को लेकर सजग रहते हैं। पार्टी को पश्चिम बंगाल में किस तरह से बढ़ाया जाए, इस पर बार-बार चर्चा करते रहते हैं। पार्टी के नेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं से बातचीत करते हैं। उनके सुख-दुख में भागीदार बनते हैं।
अमित भाई के अध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने जो सफलता पाई है, उसे लेकर वे अपनी पीठ नहीं थपथपाते बल्कि कार्यकर्ताओं को श्रेय देते हैं। उनका कहना है कि हम फैसले करते हैं, रणनीति बनाते हैं पर उसे अमलीजामा हमारे कार्यकर्ता ही पहनाते हैं। कार्यकर्ताओं के परिश्रम और लगन के बल पर ही पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
इस साल गुजरात विधानसभा के चुनाव होंगे, सब की नजरें अमित भाई पर टिकी हुई हैं। गुजरात में जहां आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की गई। वहां प्रधानमंत्री मोदी और अमित भाई के कारण भाजपा को तनिक भी नुकसान नहीं हुआ। स्थानीय निकायों में भाजपा ने बढ़त बनाई और विधानसभा चुनाव में फिर से फतह हासिल करेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को किन्हीं कारणों से करारी हार मिली, तब यह माना जा रहा था कि नगर निगम चुनावों में भाजपा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से पीछे रहेगी। क्या हुआ, हमने तीनों नगर निगमों से फिर से ज्यादा बहुमत हासिल किया।
सभी पुराने पार्षदों को टिकट न देने का फैसला मोदी-अमित शाह की जोड़ी ही कर सकती थी। पुराने नेताओं की नाराजगी का जोखिम उठाने की ताकत हर किसी में नहीं होती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 जीतने वाली आप को नगर निगम चुनाव में भाजपा ने बुरी तरह से धूल चटाई।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अब राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं। गुजरात के गृह मंत्री, उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी और भाजपा अध्यक्ष के तौर पर उनका कामकाज दुनिया ने देखा और सराहा। अब एक प्रखर सांसद के तौर पर उनकी भूमिका देखेंगे। राज्यसभा में भी भाजपा को हाल में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनने का अवसर मिला हैं। अगले साल राजग राज्यसभा में बहुमत हासिल कर लेगा। यह हमारे लिए उनकी अगुवाई में बहुत बड़ी सफलता होगी। उनकी सबसे खूबी यह भी है कि फैसले चाहे अच्छे न लगे, पर जनहित में होने चाहिए। ध्यान कीजिए उनका यह कहना कि मेरा मानना है कि सरकार अच्छे लगने वाले नहीं, बल्कि नोटबंदी जैसे कड़े और अच्छे फैसले ले। सच तो यही है कि ऐसे ही कोई अमित शाह नहीं बन जाता है।
(कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)