जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अरुण साधु का सोमवार यानी आज 25 सितंबर को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 76 साल के थे और हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित थे।
उन्हें रविवार को भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था। लेकिन सोमवार तड़के लगभग 4.45 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अस्पताल की प्रभारी डीन डॉ. जयश्री मोंडकर के मुताबिक, साधु कार्डियोमायोपैथी यानी ह्दय की मांसपेशोयों से संबंधी रोग से पीड़ित थे।
उनकी आखिरी इच्छा के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा और उनके पार्थिव शरीर को दान किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार साधु के परिवार में पत्नी अरुणा और दो बेटियां शेफाली और सुवर्णा हैं। उनकी पत्नी एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
अस्पताल की प्रभारी डीन डॉ. जयश्री मोंडकर ने बताया कि भर्ती के बाद से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी, जिसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए वेंटीलेटर पर भी रखा गया था.
कई समाचार पत्रों के साथ काम करने वाले साधु ने हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में विभिन्न उपन्यास लिखे जिनके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। उन्हें उनके पहले उपन्यास ‘मुंबई दिनांक’ और उनकी किताब ‘सिंहासन’ के लिए जाना जाता है। ‘सिंहासन’ पर बाद में एक मराठी फिल्म भी बनाई गई थी। वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित थे. उन्होंने अपने चार दशक के पत्रकारिता करियर में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘द स्टेट्समैन’ के साथ काम किया। वह कई अन्य मराठी प्रकाशनों के अलावा ‘फ्री प्रेस जर्नल’ के संपादक भी थे।
उन्हें भारतीय भाषा परिषद, एन सी केल्कर और आचार्य अत्रे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। साधु ने कई लघु कहानियों के अलावा शिवसेना के उदय, वियतनाम युद्ध और चीनी क्रांति के बारे में भी लिखा।