Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeआपकी बातकलियुग के पाखंडी चेहरे!

कलियुग के पाखंडी चेहरे!

भारतवर्ष को दुनिया में अध्यात्मवाद का दर्शन देने वाले एक देश के रूप में पहचाना जाता है। और एक अध्यात्मवादी देश के रूप में  भारत का डंका सदियों से बजता आ रहा है। निश्चित रूप से यही वजह रही होगी कि लगभग सभी धर्मों के संतों, फकीरों, ऋषियों-मुनियों व अध्यात्मवाद का पाठ पढ़ाने वाले स्वदेशी तथा विदेशी महापुरुषों ने भारतवर्ष को ही अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना। भले ही आज वह महापुरुष हमारे बीच न हों पंरतु उनके द्वारा दिखाए गए अध्यात्म के मार्ग का आज भी देश में विभिन्न वर्गों के लोग अनुसरण करते हैं तथा उससे लाभ उठाने व शांति प्राप्त करने का उपाय करते हैं। पंरतु अब ऐसा प्रतीत  होने लगा है कि भारतवर्ष से अध्यात्म के रिश्ते की बात गोया सतयुग काल की बातें बनकर रह गई हों।
 
कलयुग के वर्तमान दौर के तथाकथित अध्यात्मवादियों ने अध्यात्म की परिभाषा ही वर्तमान समय की नब्ज़ एवं ज़रूरतों के मुताबिक गढऩी शुरु कर दी हो। अन्यथा क्या वजह हो सकती है कि जिस भारतवर्ष को कभी संसार में विश्वगुरू का दर्जा प्राप्त रहा हो वही महान देश आज पाखंडी अध्यात्मवादियों,बलात्कारियों,छलात्कारियों,भ्रष्टाचारियों एवं देश को बेचकर खाने वाले लोगों के देश के रूप में अपनी पहचान छोड़ रहा है।                 
 
अभी कुछ ही समय पूर्व की बात है जबकि जम्मू-कश्मीर राज्य में एक ढोंगी व दुष्चरित्र मौलवी द्वारा अपनी शिष्याओं को बहला-फुसला कर उनके साथ कई वर्षों तक बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया। मौलवी का भेष बनाए बैठा यह राक्षसरूपी व्यक्ति उन मासूम बच्चियों व धर्म  की शिक्षा ग्रहण करने वाली कुंआरी लड़कियों को अपने दुष्कर्मों के संबंध में यही समझाता था कि ऐसा करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। ज़रा  कल्पना कीजिए कि जहन्नुम में जाने के उपाय व वैसे कर्म करने वाला ढोंगी अध्यात्मवादी मौलवी अपने दुष्कर्मों को जन्नत का मार्ग कऱार दे रहा था। इसी को कहते हैं उल्टी गंगा बहाना। गोया कर्म नरक भोगने वाले और उस पर तुर्रा यह कि वह स्वर्ग में जाने वाले कर्म हैं।
 
अब ज़रा तुलना कीजिए उन वास्तविक अध्यात्मवादी फकीरों से इस खबीस मौलवी की जिनके दर पर आज भी हर धर्म व जाति के लोग अपनी हाज़री लगाने मात्र से ही शांति प्राप्त करने तथा अपनी मुंह मांगी मन्नतों को पूरा करने का विश्वास लेकर जाते हैं। क्या ऐसे ढोंगी व बदचलन तथाकथित अध्यात्मवादी व्यक्ति को ढोंगी फकीर कहना गलत है?                 
 
गत् एक दशक में देश में ऐसी दर्जनों घटनाएं सामने आईं जिन से यह पता चला कि अध्यात्म के नाम पर अपनी दुकान तथा व्यापार चलाने वाले दुष्कर्मी संतों ने किस प्रकार अपनी ही पुत्री व पौत्री समान शिष्याओं के साथ रासलीला रचाई। इनमें सबसे ताज़ा प्रकरण आसाराम  नामक उस ढोंगी व्यक्ति से जुड़ा है जो अपने कुकर्मों में अपने साथ अपने बेटे को भी शामिल रखता था। ज़रा सोचिए कि जिस भारतवर्ष के प्राचीन संस्कार ऐसे रहे हों जहां पिता के समक्ष पुत्र बैठने से, बोलने से परहेज़ करता हो,जहां पुत्र अपने पिता को ईश्वर व गुरु तुल्य समझता  हो, अपने पिता के सामने बुलंद आवाज़ से बात न करता हो उस देश का  यह तथाकथित महान संत व उसका बेटा नारायण साईं सामूहिक रूप से यौनाचार का मिशन चला रहा हो। और वह भी अध्यात्मवाद की आड़ में?  इससे बड़ा दुर्भाग्य हमारे देश का आखिर और क्या हो सकता है? आज  यही पाखंडी संत रूपी पिता-पुत्र न केवल अपने अनुयाईयों से बल्कि पूरे  देश,दुनिया और खासतौर पर मीडिया से अपना मुंह छिपाने के लिए मजबूर हैं। ज मु-कश्मीर के दुष्कर्मी मौलवी की ही तरह यह पिता-पुत्र भी अपने बलात्कार की शिकार अपनी शिष्या से भोग-विलास करते समय उससे भी यही कहा करते थे कि 'वह यही समझे कि उसके साथ प्रभु संभोग कर रहे हैं। और पुत्र के साथ रासलीला करने वाली कन्या स्वर्ग की भागीदार होती है।                 
 
आखिर ऐसे पापियों व अपराधियों को अपने दुष्कर्मों  में अध्यात्म को खींचने की ज़रूरत क्या है? यह ढोंगी व पापी मौलवी व संतरूपी लोग अपने दुष्कर्मों को अंजाम देने के लिए अध्यात्म के नकली चोलेे से आखिर बाहर क्यों नहीं निकल आते। इन पापियों की वजह से धर्म व देश तो बदनाम हो ही रहा है साथ-साथ अध्यात्मवाद की शिक्षा भी  इनकी वजह से बदनाम व संदिग्ध होती जा रही है। अध्यात्मवाद को संदिग्ध करने की रही-सही कसर पिछले दिनों उस समय पूरी होती हुई देखी गई जबकि एक कथित संत के सपने के आधार पर केंद्र सरकार के जि़योलोजिकल सर्वे आफ इंडिया विभाग (जीएसआई) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जि़ले में गंगा नदी के किनारे पडऩे वाले एक गांव डोडिया खेड़ा में स्थित एक मंदिर के आसपास की खुदाई करनी शुरु कर दी। उस कथित संत का दावा था कि उसने सपने में इस मंदिर के नीचे सोने का विशाल भंडार दबा देखा है।
 
जीएसआई ने भी उस साधू के सपने पर यह कहकर मोहर लगा दी कि वैज्ञानिक जांच-पड़ताल से भी ऐसा प्रतीत होता है कि  इस भूमि के तले बड़ी मात्रा में धातु रूपी भंडार मौजूद हैं। बस फिर  क्या था। बाबा के सपने और जीएसआई की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से आधार बनाकर सरकारी विभाग के लोग मज़दूरों की सेना लेकर मंदिर के आसपास की ज़मीन की खुदाई में जुट गए। उधर खुदाई के दौरान  सपने देखने वाला बाबा भी यह कहता रहा कि मैं अपने अध्यात्म के बल पर धरती के तले स्वर्ण भंडार होने की बात कह रहा हूं।
 
मेरी  यह वाणी सत्य होकर ही रहेगी अन्यथा मैं अपनी गर्दन कटवा दूंगा। परंतु खोदा पहाड़ निकली चूहिया जैसी कहावत उस गांव में चरितार्थ हुई। कई दिन तक की गई मेहनत-मशक्कत के बाद जीएसआई के अधिकारियों ने खुदाई का काम बंद कर दिया और सपने में देखा गया  स्वर्ण भंडार सपना ही बनकर रह गया।                  इस घटना ने भी साधु-संतों व फकीरों के प्रति अपनी गहन श्रद्धा रखने वाले भक्तों का विश्वास कम कर दिया है। निम्र स्तर पर तो अध्यात्म की खिल्ली उड़ाने वाली ऐसी सैकड़ों घटनाएं तो हमारे देश में आए दिन होती ही रहती है जबकि किसी तांत्रिक,ज्योतिषी अथवा मौलवी व  पंडित के कहने मात्र से दौलत की लालच में कोई अपने मकान की फ़र्श खुदवा डालता है तो कभी कोई अपने बच्चे या किसी दूसरे के बच्चे की  बलि तक चढ़ा देता है।
 
 पंरतु ऐसा तो शायद पहली बार सुना जा रहा है जबकि किसी अशिक्षित साधू के स्वप्र के आधार पर सरकार ने अपनी कार्रवाई करनी शुरु कर दी हो। इस घटना से भारत में अध्यात्मवाद  की वर्तमान दयनीय स्थिति का तो बोध होता ही है साथ-साथ हमें यह भी  देखने को मिलता है कि लालची केवल कोई व्यक्ति या परिवार ही नहीं  बल्कि स्वयं सरकार भी हो सकती है। अन्यथा देश के लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाली केंद्र  सरकार को किसी बाबा के कहने पर धरती के नीचे कथित रूप से दबे  हुए सोने की तलाश में हरगिज़ नहीं जुटना चाहिए था। परंतु सरकार ने एक ढोंगी साधू की बात मानकर यह साबित कर दिया कि सरकार भी  अंधविश्वास तथा ढोंगी अध्यातमवाद के झांसे में आ सकती है तथा यह भी साबित होता है कि किसी निक मे व लालची व्यक्ति की ही तरह सरकार भी बिना किसी कर्म के धनवान होने की िफराक में रहती है।                 
 
ढोंगी अध्यात्मवाद तथा अंधविश्वास की गिर त में हमारे देश के नेताओं व अधिकारियों का रहना कोई नई बात नहीं है। नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री नरसि हाराव तथा इनके अतिरिक्त भी देश के सैकड़ों प्रमुख व्यक्ति ढोंगी बाबाओं,ज्योतिषियों तथा झाडफ़ूंक करने वाले मौलवियों व पंडितों  की गिर त में फंसे देखे जाते रहे हैं। आज जेल की हवा खा रहा बलात्कारी आसाराम तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपने  मंच पर बुलाकर दुनिया को अपनी ढोंगी अध्यात्मवादी शक्ति का परिचय करा चुका है। प्राय: मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह भी इन्हीं तथाकथित  अध्यातमवादियों व पंडितों द्वारा सुझाए गए दिन व समय (मुहूर्त)के अनुसार आयोजित किए जाते हैं। जबकि विज्ञान ऐसी बातों की इजाज़त कतई नहीं देता।                 
 
हमारे देश में अध्यात्मवाद की दुकानदारी का तो अब यह आलम हो गया है कि जिसे देखो वही गेरुआ वस्त्र पहन कर लाटरी व सट्टे का नंबर बताता फिरता है। और ऐसे ढोंगियों के लालची भक्तों की  भी कोई कमी नहीं है। कई पाखंडी लोगों की दुकानें इसी सट्टा व लाटरी के व्यापार से ही चल रही हैं। लाखों ढोंगी अध्यात्मवादी केवल अपने नशे की लत को पूरी करने की खातिर अध्यात्म का चोला धारण किए बैठे हैं। तमाम ऐसे भी है जो अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में असफल होने के बाद अध्यात्मिक गुरु ही बन कर बैठ गए हैं। और सीधे-सादे  लोगों को मार्गदर्शन व अध्यात्मवाद का ज्ञान बेचने लगे हैं। इन्हीं तथाकथित अध्यात्मवादियों में कई ऐसे भी मिल जाएंगे जो अपने-अपने इलाकों में जघन्य अपराधों को अंजाम देने के बाद अध्यात्म के चोले  में खुद को छुपाए बैठे हैं तथा कानून की नज़रों से स्वयं को बचाए हुए हैं। अत: देश के धर्मभीरू लोगों को ऐसे कलयुगी अध्यात्मवादियों से स्वयं को न केवल बचाने की ज़रूरत है बल्कि इन्हें बेनकाब करना  भी बेहद ज़रूरी है। ऐसे लोग धर्म व अध्यात्म के साथ-साथ हमारी प्राचीन अध्यात्मवादी पहचान पर भी एक बड़ा कलंक हैं।   
                       
तनवीर जाफरी
1618,  महावीर नगर, 
अंबाला शहर, हरियाणा 
फोन : 0171-2535628   
 

.

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार