भारतीय रेलवे ने अब प्रीमियम ट्रेनों के किराए पर लगाम लगाकर पैसेंजरों को तोहफा देने की तैयारी शुरू कर दी है । इसके तहत अब प्रीमियम ट्रेनों के किराए में अनाप-शनाप की बढ़ोतरी नहीं होगी। यही नहीं, अब प्रीमियम ट्रेन का टिकट सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं बल्कि रेलवे के टिकट काउंटर से भी मिल सकेगा। इसके अलावा अब यह भी तैयारी की जा रही है कि प्रीमियम ट्रेनों में टिकट की बुकिंग दस दिन के बजाय एक महीना पहले किया जाए। इस बात पर भी विचार हो रहा है कि प्रीमियम ट्रेन का टिकट रद्द कराने पर पैसेंजर को कुछ राशि वापस भी मिले। उम्मीद की जा रही है कि नए किराया सिस्टम के तहत प्रीमियम ट्रेनों को इसी साल जुलाई से शुरू किया जा सकता है।
किराए के मॉडल में बदलाव
इंडियन रेलवे के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक प्रीमियम ट्रेनों के किराए सिस्टम के पूरे मॉडल को ही बदला जा रहा है। इसके तहत अब मांग बढ़ने के साथ झटके में किराया नहीं बढ़ेगा बल्कि इसके लिए स्लैब सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इसके तहत ट्रेन की किसी क्लास की निर्धारित सीटें बुक होने के बाद ही उस क्लास के किराए में एक तयशुदा बढ़ोतरी होगी। इस तरह से किराए बढ़ाने के लिए स्लैब होंगे और इस तरह से हर स्लैब के बाद किराए में कुछ प्रतिशत की वृद्धि होगी। हालांकि इन किरायों के लिए अभी कोई ऊपरी कैप लगाने का फैसला नहीं हुआ है। इसी तरह प्रीमियम ट्रेन के बेस किराए में भी कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।
परेशानी बन चुका था सिस्टम
गौरतलब है कि यूपीए एक साल पहले जब प्रीमियम ट्रेनें शुरू की गई थीं तो इसमें हवाई जहाज की तरह ही डायनमिक किराया सिस्टम शुरू किया गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि एक साथ दस से बीस टिकट बुक होते ही ट्रेन के किराए में जबरदस्त उछाल आ जाता था। यही नहीं, अक्सर प्रीमियम ट्रेनों का किराया दो सौ से तीन सौ प्रतिशत तक बढ़ जाता था। चूंकि प्रीमियम ट्रेनों का मॉडल ऐसा था कि डिमांड के साथ किराया बढ़ता था, ऐसे में कई बार ऐसा भी होता था कि डिमांड बढ़ने पर थर्ड एसी का किराया सेकेंड एसी के किराए से भी बढ़ जाता था।
उम्मीद से कम फायदा हुआ
इसी वजह से बीते एक साल में चली डेढ़ हजार से ज्यादा प्रीमियम ट्रेनों से रेलवे को व्यावसायिक तौर पर कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ। इसकी वजह यह थी कि प्रीमियम ट्रेनों में से आधी से ज्यादा ट्रेनें ऐसी थीं, जिन्हें 50 फीसदी के आसपास ही पैसेंजर मिले। रेलवे के सीनियर अधिकारी का कहना है कि इसे देखते हुए ही रेलवे ने प्रीमियम ट्रेनों के किराया सिस्टम में आमूल बदलाव की तैयारी की है।
वापसी में प्रीमियम नहीं
रेलवे विचार कर रहा है कि उन रूटों पर ही प्रीमियम ट्रेनें चलाई जाएं, जहां पिछले साल 90 से सौ फीसदी सीटें बुक हुई थीं। जोनल रेलवे को अधिकार देने का विचार है कि एक तरफ की प्रीमियम ट्रेन को वापसी में तत्काल या फिर सामान्य के रूप में चला सकते हैं।
टिकट काउंटर से भी
किराए में स्लैब सिस्टम के साथ ही यह भी तय किया गया है कि अब सिर्फ वेबसाइट से ही प्रीमियम ट्रेन का टिकट बुक नहीं होगा, बल्कि यह रेलवे के टिकट काउंटर से भी खरीदा जा सकेगा। इससे जिन इलाकों में नेट कनेक्टिविटी की दिक्कत है या फिर जिन लोगों की इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, वे भी प्रीमियम ट्रेन का टिकट खरीद सकेंगे।
प्रीमियम ट्रेनों से मतलब
प्रीमियम ट्रेन देखकर यह न सोचें कि इन ट्रेनों में कोई खास चीज है। इन ट्रेनों की खासियत यह है कि इनकी बुकिंग अब तक सिर्फ ऑनलाइन ही हो सकती है। यह जरूर है कि इन ट्रेनों में वेटिंग का टिकट नहीं मिलता। टिकट मिलेगा तो कन्फर्म। साथ ही इन ट्रेनों में किसी तरह की रियायत नहीं होती। इनके स्टॉप कम रखे जाते हैं इसलिए ये सफर में कुछ कम वक्त लेती हैं।
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से